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सुपौल में आपदा के बीच गूंजी किलकारी, प्रशासन की मदद से गर्भवती महिला ने बच्चे को दिया जन्म - bihar flood - BIHAR FLOOD

बाढ़ की तबाही के बीच सोमवार को किशनपुर प्रखंड के बौराहा पंचायत से एक सुखद खबर आई. एक गर्भवती महिला ने सुरक्षित रूप से बच्चे को जन्म दिया. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में प्रसव पीड़ा शुरू होते ही परिवार की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन प्रशासन की तत्परता से समय पर मेडिकल टीम पहुंची और नार्मल डिलीवरी कराई गई. इस घटना से पूरे गांव में खुशी का माहौल है, मानो बाढ़ की आपदा में उम्मीद की किरण चमक उठी हो.

flood in Supaul
बाढ़ में बच्चे का जन्म (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 30, 2024, 10:44 PM IST

सुपौल: बिहार के सुपौल जिले के किशनपुर प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बौराहा पंचायत में सोमवार को एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. प्रसव पीड़ा होते ही परिवार के लोगों की बैचेनी बढ़ गयी. लोगों के समझ में नहीं आ रहा था कि चारो ओर घिरे पानी में गर्भवती महिला का प्रसव कैसे अस्पताल लेकर जाया जाए. यहां से बाहर निलकले का एक मात्र सहारा नाव ही दिख रहा था. बढ़ते जलस्तर के बीच परिवार के लोग यह जोखिम नहीं उठाना चाह रहे थे.

मदद की लगायी गुहारः इसी बीच परिवार के लोगों ने एक अधिकारी को फोन कर अपनी पीड़ा सुनायी. अधिकारी ने अपने मातहत कर्मी को तत्काल निर्देश जारी किया. इसके साथ ही बिना विलंब किये एनडीआरएफ के साथ महिला मेडिकल टीम को भेजा गया. मेडिकल टीम जब वहां पहुंची तो देखा कि घर के चारों ओर पानी की तेज धारा बह रही है. प्रसव पीड़िता पानी के बीच रखी चौकी पर दर्द से कराह रही थी.

flood in Supaul
पानी के बहाव में उजड़ा आशियाना. (ETV Bharat)

प्रशासन की प्रशंसाः इसके बाद मेडिकल टीम में शामिल दक्ष एएनएम ने पीड़िता की जांच कर सूई लगायी. इसके कुछ देर बाद ही उसके घर में किलकारियां गूंजने लगी. बताया गया कि महिला को नॉर्मल प्रसव कराया गया. जच्चा व बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ्य हैं. लगभग तीन घंटे तक एनडीआरएफ और एएनएम की टीम वहां रही. उसके बाद जच्चा व बच्चा को नाव के सहारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किशनपुर लाया गया. जहां दोनों को भर्ती कराया गया. जिला प्रशासन के इस पहल की बाढ़ प्रभावित परिवारों में प्रशंसा की जा रही है.

flood in Supaul
नाव पर बाइक ले जाता बाढ़ पीड़ित. (ETV Bharat)

सपने पानी में बह जाते: बता दें कि इन दिनों सीमांचल का इलाका बाढ़ की चपेट मं है. कोसी नदी ने ऐसा रौद्र रूप धारण किया कि पलक झपकते ही लाखों जिंदगियों को सिसकने पर विवश कर दिया है. तटबंध के भीतर बसे लाखों लोगों की जीवन शैली को बदल दिया है. ऐसे लोग हर साल कोसी नदी की विभीषिका को झेलते हैं. जिनके लिए नदी एक नई चुनौती और संघर्ष की कहानी लेकर आती है. उनके घर, खेत और सपने सब कुछ देखते ही देखते पानी में बह जाते हैं.

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बाढ़ के पानी में घिरा गांव. (ETV Bharat)

बाढ़ का जख्मः गांव का नमोनिशान तक मिट जाता है. हजारों परिवार अपने आशियानों को छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेने पर मजबूर हो जाते हैं. बाढ़ पीड़ितों की आंखों में झलकता दर्द यह बयां करता है कि उनके लिए कोसी नदी का नाम अब सिर्फ एक भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि एक जख्म है. जो हर साल तीन माह के लिए हरा हो जाता है. कोसी की बाढ़ ने न केवल उनकी आजीविका छीन लेती है. ऐसे में प्रसव और लोगों की बीमारी लोगों की परेशानी और बढ़ा देती है.

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मदद की लगायी गुहारः इसी बीच परिवार के लोगों ने एक अधिकारी को फोन कर अपनी पीड़ा सुनायी. अधिकारी ने अपने मातहत कर्मी को तत्काल निर्देश जारी किया. इसके साथ ही बिना विलंब किये एनडीआरएफ के साथ महिला मेडिकल टीम को भेजा गया. मेडिकल टीम जब वहां पहुंची तो देखा कि घर के चारों ओर पानी की तेज धारा बह रही है. प्रसव पीड़िता पानी के बीच रखी चौकी पर दर्द से कराह रही थी.

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पानी के बहाव में उजड़ा आशियाना. (ETV Bharat)

प्रशासन की प्रशंसाः इसके बाद मेडिकल टीम में शामिल दक्ष एएनएम ने पीड़िता की जांच कर सूई लगायी. इसके कुछ देर बाद ही उसके घर में किलकारियां गूंजने लगी. बताया गया कि महिला को नॉर्मल प्रसव कराया गया. जच्चा व बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ्य हैं. लगभग तीन घंटे तक एनडीआरएफ और एएनएम की टीम वहां रही. उसके बाद जच्चा व बच्चा को नाव के सहारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किशनपुर लाया गया. जहां दोनों को भर्ती कराया गया. जिला प्रशासन के इस पहल की बाढ़ प्रभावित परिवारों में प्रशंसा की जा रही है.

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नाव पर बाइक ले जाता बाढ़ पीड़ित. (ETV Bharat)

सपने पानी में बह जाते: बता दें कि इन दिनों सीमांचल का इलाका बाढ़ की चपेट मं है. कोसी नदी ने ऐसा रौद्र रूप धारण किया कि पलक झपकते ही लाखों जिंदगियों को सिसकने पर विवश कर दिया है. तटबंध के भीतर बसे लाखों लोगों की जीवन शैली को बदल दिया है. ऐसे लोग हर साल कोसी नदी की विभीषिका को झेलते हैं. जिनके लिए नदी एक नई चुनौती और संघर्ष की कहानी लेकर आती है. उनके घर, खेत और सपने सब कुछ देखते ही देखते पानी में बह जाते हैं.

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बाढ़ के पानी में घिरा गांव. (ETV Bharat)

बाढ़ का जख्मः गांव का नमोनिशान तक मिट जाता है. हजारों परिवार अपने आशियानों को छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेने पर मजबूर हो जाते हैं. बाढ़ पीड़ितों की आंखों में झलकता दर्द यह बयां करता है कि उनके लिए कोसी नदी का नाम अब सिर्फ एक भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि एक जख्म है. जो हर साल तीन माह के लिए हरा हो जाता है. कोसी की बाढ़ ने न केवल उनकी आजीविका छीन लेती है. ऐसे में प्रसव और लोगों की बीमारी लोगों की परेशानी और बढ़ा देती है.

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