विदिशा। शहर के बीचोंबीच स्थित लुहांगी पहाड़ी को राजेंद्र गिरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां गुरु पूर्णिमा पर मेला लगता है. इस मौके पर यहां वायु परीक्षण किया जाता है. इस साल भी वायु परीक्षण किया गया. इसके बाद घोषणा की गई कि इस साल उत्तम वर्षा का योग है. लुहांगी पहाड़ी पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्थान है. यहां सामान्य रूप से लोगों की आवाजाही नहीं होती. पहाड़ी पर 400 साल पुराना अन्नपूर्णा का मंदिर. ये मंदिर भी काफी सिद्ध स्थान माना जाता है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पहाड़ी पर वायु परीक्षण गया. इस दौरान वराह मिहिर ग्रंथ के अनुसार बारिश को लेकर अनुमान लगाया गया.
इस साल कृषि उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद
धर्माधिकारी गिरधर शास्त्री द्वारा आषाढ़ शुक्ल गुरु-पूर्णिमा पर रविवार को सायंकाल में विदिशा के सर्वोच्च स्थान राजेन्द्रगिरी लुहांगी पहाड़ी पर वर्षा की भविष्यवाणी के लिए वराहमिहिर के प्राचीन ग्रंथ वराही संहिता पद्धति से वायु परीक्षण किया गया. शाम को वायु पूर्व दिशा की ओर तेज गति से प्रवाहित हो रही थी. अतः आचार्य वराह मिहिर के प्राचीन ग्रंथ वाराही संहिता के अनुसार उत्तम वर्षा के साथ देश में खण्ड वृष्टि होगी. कृषि उत्पादन अच्छा होगा. देश में सुख, शांति एवं समृद्धि होगी. कृषकों के लिए यह वर्ष खुशहाली वाला रहेगा.
RBI के पास आएगी दौलत
देश में किसानों की अच्छी फसल से आमदनी बढ़ेगी और साथ ही एक्सपोर्ट में भी बढ़ोत्तरी की उम्मीद वराह मिहिर वायु भविष्यवाणी में जताई गई है. इससे देश को फॉरेन करेंसी के रुप में आमदनी होगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की इससे आमदनी बढ़ेगी और देश में दौलत जमा होगी.
लुहांगी पहाड़ी पर 108वें वर्ष में वायु परीक्षण
बता दें कि लुहांगी पहाड़ी पर 108वें वर्ष में वायु परीक्षण किया गया है. वराह मिहिर ईसा की पांचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे. वराह मिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है. कापित्थक (उज्जैन) में उनके द्वारा विकसित गणितीय विज्ञान का गुरुकुल सात सौ वर्षों तक अद्वितीय रहा. वराह मिहिर बचपन से ही अत्यन्त मेधावी और तेजस्वी थे. अपने पिता आदित्यदास से परम्परागत गणित एवं ज्योतिष सीखकर कई क्षेत्रों में व्यापक शोध कार्य किया.
लुहांगी पहाड़ी पर पांडवों ने डाला था डेरा
लुहांगी पहाड़ी पर गुरु पूर्णिमा के दिन मेला लगता है. मान्यता है कि यहां पर पांडवों द्वारा घोड़ों को प्रशिक्षित किया जाता था. यहां एक घोड़ा बावड़ी भी है. गुरु पूर्णिमा पर विभिन्न अखाड़ों के माध्यम से कुश्ती दंगल का आयोजन भी किया जाता है. लोग इसे विशेष तौर पर देखने के लिए भी आते हैं. इसके साथ ही वराह मिहिर संहिता के अनुसार वायु का परीक्षण भी होता है. देश और क्षेत्र में सालभर वर्षा की स्थिति का अनुमान लगाया जाता है.