गया: जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने भाजपा और प्रधानमंत्री पर वन नेशन वन इलेक्शन के मामले पर तंज किया है. प्रशांत किशोर ने भाजपा की नीयत पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि भाजपा अपने लाभ के लिए पूरे देश में एक चुनाव के फार्मूले को लागू करना चाहते हैं. जब यह हारते हैं तो एक इलेक्शन की बात खत्म हो जाती है. प्रशांत किशोर का मानना है कि अगर इसे सही नीयत से लागू किया जाए तो वन नेशन वन इलेक्शन देश के लिए काफी फायदेमंद होगा.
नीयत से की जाए तो उसमें कोई गलत नहीं है: दरअसल, आज बेलागंज के निमचक गांव में 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर प्रशांत किशोर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन सही नीयत से की जाए तो उसमें कोई गलत नहीं है. देश में आजादी के बाद वन नेशन वन पोल 1965 तक था, लेकिन अभी इस नीयत से किया जा रहा है कि हमारी 'भाजपा की हवा बह रही है. अगर हमारी हवा नहीं है तो चुनाव को अलग-अलग कर दो.
भाजपा अपने फायदे की करती है बात: उन्होंने कहा कि भाजपा पहले वन नेशन वन इलेक्शन की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ छोटे से राज्य झारखंड में चार भाग में बांट कर चुनाव कर रहे हैं, ताकि प्रचार करने के लिए आपको समय मिले. यह दोनों बात साथ में नहीं चल सकती है. यह दिखाता है कि सिर्फ इस बात के लिए इसको तैयार किया जा रहा है कि अगर उनको लगे भाजपा की हवा बन गई है तो एक ही बार में पूरे देश में चुनाव कर दें. यह गलत नीयत से किया जा रहा है.
"यदि यह कानून सही नीयत से लाया जाता है, तो यह स्वागत योग्य कदम है, लेकिन अगर इसका इस्तेमाल किसी विशेष वर्ग या समाज को हानि पहुंचाने के लिए किया जाता है, तो यह उचित नहीं होगा."- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
लोकसभा में नहीं मिली बहुमत तो हो गए थे चुप: प्रशांत किशोर ने कहा कि जब भी कोई कानून बनता है तो उसके पीछे की मंशा होती है. अगर कोई मंशा किसी को नुकसान पहुंचाने का है तो वह सही नहीं हो सकता. हमको लगता है कि वन नेशन वन इलेक्शन भी लाभ के लिए भाजपा करना चाहती है. लोकसभा में कम सीट जीत कर आए तो वन नेशन वन इलेक्शन की बात ठंडा बस्ती में चली गई. लेकिन जैसे ही हरियाणा जीते तो वन नेशन वन इलेक्शन की बात बीजेपी वालों ने शुरू कर दी.
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