पटना: बिहार में एक और नई पार्टी ने दस्तक दे दी है. दरअसल, प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज पार्टी को लॉन्च कर दिया है. बुधवार को पटना के वेटरनरी ग्राउंड में प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी को लॉन्च कर दिया है. बता दें कि प्रशांत किशोर पिछले दो साल से जन सुराज अभियान के तहत राज्यभर में पदयात्रा निकाल रहे थे. अब उन्होंने पार्टी का पहला कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज भारती को बनाकर 'दलित कार्ड' खेलकर सभी को चौंका दिया है.
'पार्टी का अध्यक्ष मुझसे बेहतर होगा': मनोज भारती के नाम का ऐलान करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने आप लोगों से कहा था कि पार्टी का जो भी अध्यक्ष होगा वह मुझसे बेहतर होगा. मुझसे ज्यादा जानकारी भी होगा. मैं मनोज भारती को सामने लाया है. मैंने दो बार नेतरहाट की परीक्षा दी, लेकिन पास नहीं कर पाया. मनोज भारती नेतरहाट से पढ़े मैं नहीं पढ़ पाया, लेकिन मनोज भारती विदेश सेवा में गए.
प्रशांत किशोर ने खेला दलित कार्ड: बिहार में विधानसभा की 243 सीट है और उसमें से प्रशांत किशोर ने कम से कम 40 सीट मुसलमानों को देने की घोषणा कर दी है. 40 सीट महिलाओं और 75 सीट अति पिछड़ा को देने की घोषणा की है. बिहार में विधानसभा की 40 सीट दलितों के लिये सुरक्षित है और प्रशांत किशोर कम से कम 40 सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारेंगे. बिहार में अति पिछड़ा और 21% के करीब दलित आबादी है प्रशांत किशोर की नजर इन्हीं तीनों आबादी पर मुख्य रूप से है.
"मैं पार्टी के उम्मीद पर खरा उतरुंगा और मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है उसे बखूबी निभाने की कोशिश करूंगा. बिहार के समक्ष बाढ़ एक बड़ी चुनौती है. बाढ़ से निपटने के लिए क्या कुछ हो सकता है. उसे लेकर हम विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं. प्रशांत किशोर के नेतृत्व में दल काफी आगे बढ़ेगा और बिहार की समस्याओं का समाधान भी होगा." - मनोज भारती, कार्यकारी अध्यक्ष, जन सुराज
नेतरहाट स्कूल से की पढ़ाई: मनोज भारती भारतीय विदेश सेवा में अधिकारी रहे हैं. विदेश सेवा के दौरान वह चार देशों में भारत के राजदूत रहे हैं. मनोज भारती बिहार के नेतरहाट स्कूल में पढ़ाई की. उसके बाद आईआईटी कानपुर के लिए चयन हुआ. फिर उनका चयन सिविल सेवा में हो गया और वे भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुन लिए गए.
मनोज जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों के जानकार: मनोज भारती बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे हैं. उनके नेतृत्व में विभिन्न सामाजिक आंदोलनों और सुधार अभियानों का संचालन हुआ, जिसने उन्हें क्षेत्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान दिलाई. माना जा रहा है कि उनके जमीनी अनुभव और सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त बनाया.
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