दौसा. लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. सभी सियासी पार्टियां तैयारियों में जुटी गई हैं. वहीं, राजस्थान में कांग्रेस ने सभी 25 सीटों पर कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर दिए हैं. इसी बीच बुधवार को दौसा लोकसभा के समन्वयक व पूर्व विधायक प्रशांत बैरवा जिले के दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने जिले के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. साथ ही चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों से बायोडाटा मांगा. इसके बाद कई नेताओं ने उन्हें बायोडाटा सौंप उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की.
कांग्रेस में चुनाव लड़ने वालों की भरमार : बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए कोऑर्डिनेटर प्रशांत बैरवा ने कहा कि पिछले 10 साल से प्रदेश में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती है. ऐसे में इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी नेतृत्व ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व ने क्षेत्रवार रणनीतियां बनानी शुरू कर दी है, ताकि इस बार के चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सके और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की जा सके. बैरवा ने कहा कि इस बार क्षेत्र में कांग्रेस को लेकर अच्छा माहौल है. यही वजह है कि दौसा से भाजपा का कोई नेता चुनाव नहीं चाहता है. हालांकि, कांग्रेस में ठीक इसके विपरीत स्थिति है और चुनाव लड़ने वालों की भरमार है.
इसे भी पढ़ें - पीकेसी परियोजना पर डोटासरा का सीएम भजनलाल पर बड़ा हमला, कहा- सदन में दी गलत जानकारी, लाएंगे विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव
इस वजह से हारी कांग्रेस : वहीं, विधानसभा चुनाव में मिली हार पर उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं हमारे कई प्रत्याशी दो गुटों में बंट गए थे, जिसका खामियाजा हमें झेलना पड़ा. उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता बयान दे रहे थे कि कांग्रेस के सभी विधायक एक फॉर्च्यूनर कार में सिमट जाएंगे, लेकिन फॉर्च्यूनर में तो केवल 7-8 लोग ही बैठ सकते हैं. खैर, हम 70-71 सीट्स जीते.
राजनीति में राम को मुद्दा बनाना गलत : उन्होंने कहा कि राम मंदिर शुरू से ही हमारे लिए चैलेंजिंग रहा, लेकिन भाजपा इसे मुद्दा बनाते आई है. भगवान राम हम सबके अराध्य हैं. हम सभी भगवान राम, कृष्ण और शंकरजी की पूजा करते हैं, लेकिन कांग्रेस ने कभी भी राम को सियासी मुद्दा नहीं बनाया.
गुटबाजी ने बिगाड़ा खेल : उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने आमजन के लिए कई सारी योजनाएं चलाई. भारी संख्या में प्रदेशवासी लाभान्वित भी हुए. बावजूद इसके हम सत्ता में नहीं आ सके, लेकिन यह भी हकीकत है कि हम बड़े मार्जिन से नहीं हारे. वहीं, पिछले 30 सालों से सत्ता परिवर्तन की परिपाटी चली आ रही है. एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को राज्य की जनता मौका देती आ रही है. इसके अलावा हमारी कुछ कमियां भी रहीं, जिसमें गुटबाजी खासा नुकसानदेह साबित हुई.
इसे भी पढ़ें - कांग्रेस लोकसभा प्रभारी के सामने छलका कार्यकर्ताओं का दर्द, बोले- हमारी कोई नहीं सुनता, न घर के रहे न घाट के
हमारे पास खोने को कुछ नहीं : बैरवा ने कहा कि विधानसभा चुनाव हम हार चुके हैं. वहीं, राजस्थान से हमारे पास एक भी सांसद नहीं है. ऐसे में इससे ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है, लेकिन मेरा भरोसा है कि अब सब सही होगा. हमारे पास खोना को कुछ नहीं है. सचिन पायलट को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में बैरवा ने कहा कि पायलट कांग्रेस में एक बड़े फेस हैं, लेकिन अशोक गहलोत से बेहतर कोई मुख्यमंत्री नहीं हो सकता है.