जबलपुर। कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल का कहना है कि "खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ाकर किसानों के उत्पाद को सही दाम तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर 20% का शुल्क बढ़ा दिया है." दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमत बहुत कम हो गई है. इसकी वजह से सस्ता खाद्य तेल बड़ी तादाद में आयात किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने इसे सूरजमुखी के तेल पर 12.5 की जगह 32.5 प्रतिशत कर दिया है.
विदेश से आने वाले तेल पर शुल्क बढ़ाया
वहीं, रिफाइंड तेल के मामले में 5.5% के स्थान पर 25.5% कर दिया है. दूसरे तेलों में भी 20% तक आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है. प्रहलाद पटेल का कहना है "केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद पूरे देश में किसानों को फायदा होगा और उनकी तिलहन फसल को अब बेहतर धाम मिल सकेंगे, क्योंकि विदेश से आने वाला सस्ता तेल यदि महंगा हो जाएगा तो देश में भी तिलहन की मांग बढ़ेगी. तिलहन के रेट बढ़ेंगे ताकि किसान को एसपी से ज्यादा रेट मिल सकेंगे." दूसरी तरफ, राज्य सरकार ने यह भी तय किया है कि सरकार किसानों से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी करेगी. सोयाबीन का एमएसपी 4880 रुपया तय किया गया है.
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सोच-समझकर ही सरकार ने एमएसपी बढ़ाया है
प्रहलाद पटेल का कहना है "जिस तरह से केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य तय किए हैं. वे बड़े वैज्ञानिक विधि से तय किए गए हैं और इसके पहले यह प्रयास कभी नहीं हुआ." जाहिर सी बात है यदि सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है तो इसका असर बाजारों पर देखने लगेगी. हालांकि आज भी मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन 4300 से 4500 रुपया प्रति क्विंटल के दाम पर बिका है, लेकिन अब सरकार की आयात शुल्क के फैसले के बाद के बाद इसमें तेजी नजर आएगी. सोयाबीन की फसल आने में अभी भी 1 महीने का समय है यदि सरकार की नीतियों का असर सोयाबीन के दामों पर देखा तो यह दम 6000 तक पहुंच सकते हैं.