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यूपी में जल्द सस्ता होगा आलू; नया आलू देगा राहत, जानिए अभी क्यों महंगा है सब्जियों का राजा

इस बार अक्टूबर में तापमान सामान्य से अधिक रहा. इसका असर खेतों में आलू की बोआई पर पड़ा. इसके बाद आलू के फलने-फूलने पर दिखा.

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यूपी में जल्द सस्ता होगा आलू. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 18 hours ago

Updated : 16 hours ago

फर्रुखाबाद: यूपी के फर्रुखाबाद जिले में करीब 5 लाख किसानों ने 43 हजार हैक्टेयर में आलू की फसल लगाई है. किसानों के मुताबिक अक्टूबर-नवंबर में तापमान सामान्य से ज्यागा रहने की वजह से खेतों में आलू ठीक से नहीं पनप रहा है. ज्यादा तापमान से आलू ट्यूबर, जिसे कंद भी कहते हैं, वह कम पैदा हुआ है. पहले जिस पौधे में चार-पांच कंद लगते थे. वहां अब दो-तीन कंद ही लग रहे हैं. आलू का बीज भी खेतों में ही सड़ रहा है.

किसान अजय मिश्रा ने बताया कि इस बार अक्टूबर में तापमान सामान्य से अधिक रहा. इसका असर खेतों में आलू की बोआई पर पड़ा. इसके बाद आलू के पौधे के फलने-फूलने पर असर दिखा. ज्यादा तापमान से आलू के पौधे की जड़ें तो फैलीं लेकिन, उसमें कंद कम निकले या निकले ही नहीं. आलू की फसल लेने का पूरा चक्र इस बार लेट रहा.

यूपी में आलू की फसल की ग्रोथ पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

ज्यादा गर्मी से आलू के पौधों की सिर्फ जड़ निकली. ज्यादा तापमान की वजह से जो कंद बना वह भी छोटा है. आलू के अंकुरण के बाद जब खेत में लगाया तो फला ही नहीं निकला, जबकि खेत में पर्याप्त नमी थी. दो बार पानी लगाने के बाद आलू में कंद आना शुरू हुआ. यही कारण है कि जो बाजार में अभी आलू आ रहा है वह 40 से 50 रुपये प्रति किलो फुटकर में बिक रहा है.

आलू एवं शाकभाजी विकास अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि जिस तरीके से क्लाइमेट चेंज हो रहा है, उसकी वजह से फसल पर सबसे बड़ा असर पड़ेगा. आलू की फसल का ट्यूबर कंद फॉर्मेशन के लिए टेंपरेचर चाहिए आलू की फसल के लिए और वेजिटेबल फसलों के लिए सभी चीजों के लिए धीरे-धीरे टेंपरेचर बढ़ गया.

आलू की बोआई दो प्रकार से होती है. एक सीड साइड पोटैटो से करते हैं दूसरा ओवर साइज होता है. जो सीड साइज आलू होता है वह ज्यादा टेंपरेचर की वजह से कम सड़ता है जो हम लोग ओवर (साइज काट के आलू) की बोआई करते हैं उसमें ज्यादा टेंपरेचर से आलू के सड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. इस साल वही हुआ है. ज्यादा टेंपरेचर की वजह से आलू का सड़न हुआ है. एवरेज टेंपरेचर 17 से 20 डिग्री चाहिए. जिससे कंद का डेवलपमेंट होता है.

लेकिन अभी जो टेंपरेचर है वह 24 डिग्री चल रहा है. अक्टूबर में यह एवरेज टेंपरेचर 28 से 29 डिग्री रहा है. जिसमें आलू की किसानों ने बोआई की थी. हाई टेंपरेचर की वजह से यह समस्या है. जैसे-जैसे टेंपरेचर कम होगा समस्या भी खत्म हो जाएगी.

उन्होंने बताया कि पूरे भारत में देखा जाए तो हर जगह टेंपरेचर अलग-अलग होता है. लोकल क्लाइमेटिक कंडीशनें होती हैं. फर्रुखाबाद में आलू की फसल में चार से पांच परसेंट सड़न हुआ है. क्लाइमेट चेंज का हर फसल पर असर पड़ता है. बारिश उतनी ही होती है लेकिन क्लाइमेट चेंज में पहले बारिश 2 महीने होनी चाहिए लेकिन अब वह एक महीने हो रही है.

पहले सर्दी 3 महीने में पड़नी चाहिए लेकिन वह अब सर्दी एक महीने पड़ रही है. जो टाइम स्पेंड है वह काम हो गया है लेकिन सर्दी कम समय पड़ रही है. जो आलू की फसल अगैती खेती की जाती है वह बारिश की वजह से 10 से 15 दिन डीले हुआ था. अभी हमारा नया आलू निकलना शुरू नहीं हुआ है. जैसे ही नया आलू निकलना शुरू होगा और मार्केट में आएगा तो दाम कम हो जाएंगे.

ये भी पढ़ेंः कोरियर से भेजा भ्रूण; लखनऊ एयरपोर्ट के कार्गो में पकड़ा, हिरासत में कंपनी एजेंट

फर्रुखाबाद: यूपी के फर्रुखाबाद जिले में करीब 5 लाख किसानों ने 43 हजार हैक्टेयर में आलू की फसल लगाई है. किसानों के मुताबिक अक्टूबर-नवंबर में तापमान सामान्य से ज्यागा रहने की वजह से खेतों में आलू ठीक से नहीं पनप रहा है. ज्यादा तापमान से आलू ट्यूबर, जिसे कंद भी कहते हैं, वह कम पैदा हुआ है. पहले जिस पौधे में चार-पांच कंद लगते थे. वहां अब दो-तीन कंद ही लग रहे हैं. आलू का बीज भी खेतों में ही सड़ रहा है.

किसान अजय मिश्रा ने बताया कि इस बार अक्टूबर में तापमान सामान्य से अधिक रहा. इसका असर खेतों में आलू की बोआई पर पड़ा. इसके बाद आलू के पौधे के फलने-फूलने पर असर दिखा. ज्यादा तापमान से आलू के पौधे की जड़ें तो फैलीं लेकिन, उसमें कंद कम निकले या निकले ही नहीं. आलू की फसल लेने का पूरा चक्र इस बार लेट रहा.

यूपी में आलू की फसल की ग्रोथ पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

ज्यादा गर्मी से आलू के पौधों की सिर्फ जड़ निकली. ज्यादा तापमान की वजह से जो कंद बना वह भी छोटा है. आलू के अंकुरण के बाद जब खेत में लगाया तो फला ही नहीं निकला, जबकि खेत में पर्याप्त नमी थी. दो बार पानी लगाने के बाद आलू में कंद आना शुरू हुआ. यही कारण है कि जो बाजार में अभी आलू आ रहा है वह 40 से 50 रुपये प्रति किलो फुटकर में बिक रहा है.

आलू एवं शाकभाजी विकास अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि जिस तरीके से क्लाइमेट चेंज हो रहा है, उसकी वजह से फसल पर सबसे बड़ा असर पड़ेगा. आलू की फसल का ट्यूबर कंद फॉर्मेशन के लिए टेंपरेचर चाहिए आलू की फसल के लिए और वेजिटेबल फसलों के लिए सभी चीजों के लिए धीरे-धीरे टेंपरेचर बढ़ गया.

आलू की बोआई दो प्रकार से होती है. एक सीड साइड पोटैटो से करते हैं दूसरा ओवर साइज होता है. जो सीड साइज आलू होता है वह ज्यादा टेंपरेचर की वजह से कम सड़ता है जो हम लोग ओवर (साइज काट के आलू) की बोआई करते हैं उसमें ज्यादा टेंपरेचर से आलू के सड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. इस साल वही हुआ है. ज्यादा टेंपरेचर की वजह से आलू का सड़न हुआ है. एवरेज टेंपरेचर 17 से 20 डिग्री चाहिए. जिससे कंद का डेवलपमेंट होता है.

लेकिन अभी जो टेंपरेचर है वह 24 डिग्री चल रहा है. अक्टूबर में यह एवरेज टेंपरेचर 28 से 29 डिग्री रहा है. जिसमें आलू की किसानों ने बोआई की थी. हाई टेंपरेचर की वजह से यह समस्या है. जैसे-जैसे टेंपरेचर कम होगा समस्या भी खत्म हो जाएगी.

उन्होंने बताया कि पूरे भारत में देखा जाए तो हर जगह टेंपरेचर अलग-अलग होता है. लोकल क्लाइमेटिक कंडीशनें होती हैं. फर्रुखाबाद में आलू की फसल में चार से पांच परसेंट सड़न हुआ है. क्लाइमेट चेंज का हर फसल पर असर पड़ता है. बारिश उतनी ही होती है लेकिन क्लाइमेट चेंज में पहले बारिश 2 महीने होनी चाहिए लेकिन अब वह एक महीने हो रही है.

पहले सर्दी 3 महीने में पड़नी चाहिए लेकिन वह अब सर्दी एक महीने पड़ रही है. जो टाइम स्पेंड है वह काम हो गया है लेकिन सर्दी कम समय पड़ रही है. जो आलू की फसल अगैती खेती की जाती है वह बारिश की वजह से 10 से 15 दिन डीले हुआ था. अभी हमारा नया आलू निकलना शुरू नहीं हुआ है. जैसे ही नया आलू निकलना शुरू होगा और मार्केट में आएगा तो दाम कम हो जाएंगे.

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Last Updated : 16 hours ago
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