सूरजपुर : छत्तीसगढ़ में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. एसईसीएल क्षेत्र में बंद पड़ी खदानों को पिछली सरकार ने पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया. इसमें करोड़ों रुपए खर्च किए गए.लेकिन देखरेख के अभाव में अब पर्यटन स्थल खंडहर में बदल रहे हैं.ताजा मामला सूरजपुर के एसईसीएल क्षेत्र का है.जहां के केनापारा खदान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया.इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता ऐसी है कि जो भी यहां एक बार आए तो उसका मन यहां से जाने का नहीं करता.यही वजह थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी कर चुके हैं. तत्कालीन कलेक्टर के.सी देवसेनापति ने इस जगह को डेपलेप करवाया था.
कश्मीर की डल लेक के तर्ज पर सरोवर हुआ विकसित : केनापारा के खुली खदान को डल लेक की तर्ज पर विकसित किया गया.तालाब में वोटिंग से साथ फ्लोटिंग रेस्टोरेंट खोला गया.केनापारा के कायाकल्प के कारण इस जगह पर सैलानियों की भीड़ जुटने लगी.लोग शाम ढलते ही इस जगह पर आते और रेस्टोरेंट में ठंडी हवाओं के झोंकों के साथ गरम चाय का आनंद लेते.आधी रात कर केनापारा में सैलानियों का मेला लगा रहता. केनापारा के सरोवर को नया लुक देने के साथ आसपास मोटल्स का निर्माण किया गया.मकसद ये था कि सैलानी इस जगह पर रूकें.लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण करोड़ों की लागत से बने मोटल्स अब खंडहर बनते जा रहे हैं.
लोकार्पण को तरसे मोटल्स : ईटीवी भारत की टीम ने केनापारा पर्यटन स्थल का दौरा किया. जो तस्वीरें कैमरे में कैद हुईं वो चौकाने वाली थी.हमारी टीम ने पाया कि केनापारा के आसपास जिन मोटल्स का निर्माण हुआ,उनके ताले तक नहीं खुले हैं. बिना लोगों की सेवा किए ही ये मोटल्स खंडहर में तब्दील हो गए हैं.मोटल्स को रात्रि विश्राम के लिए बनाया गया था.लेकिन अब दो मिनट भी इन मोटल्स में कोई ठहर नहीं सकता.
चोरों का शिकार हुए मोटल : इन मोटल्स में सैलानी तो नहीं ठहरे लेकिन चोरों ने अपनी नजर जरुर गड़ा दी.चोर बेखौफ होकर मोटल्स को अपना निशाना बनाने लगे.जितने भी कीमती समान साज सज्जा के लिए लगाए गए थे वो चोरों अपने साथ ले गए.ना तो पुलिस में इसकी कंप्लेन हुई और ना ही प्रशासन ने इस ओर ध्यान दिया. साफ सफाई ना होने से ये मोटल्स कबाड़खाने से ज्यादा कुछ नहीं है.
सुंदर मोटल्स हुए बदहाल : केनापारा पर्यटन स्थल के मोटल्स को जब बनाया गया था तो हर कोई इनकी तारीफ करते नहीं थकता था.लेकिन आज यदि कोई इस जगह का दौरा कर ले तो शायद ही कभी वापस लौटेगा.जिला कलेक्टर से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने इस बारे में कदम उठाने का आश्वासन दिया है.
'' पर्यटक विभाग को पत्र लिखकर जिले में स्थित पर्यटक क्षेत्रों को सूचीबद्ध करने के लिए कहा गया है.मोटल्स के रखरखाव के लिए योजना बनाई जा रही है.जरुरत पड़ी तो प्राइवेट वेंडर्स को इसमें शामिल करेंगे.ताकि मोटल्स अच्छे से चल सके.'' रोहित व्यास,कलेक्टर
केनापारा की बदहाली का जिम्मेदार कौन ?: जिस पर्यटन स्थल की तारीफ प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री ने की हो ऐसी जगह की दुर्दशा होना कई सवाल खड़े करता है. सरकारी खजाने से बने इन मोटल्स की सुंदरता अब ग्रहण लग चुका है.जिन्हें संवारने के लिए और पैसों की जरुरत होगी. ऐसे में बड़ी बात ये है कि जब पहली बार इस जगह को संवारा गया तो इसके रखरखाव और संचालन की कार्ययोजना क्यों नहीं बनीं.क्योंकि यदि पहले से ही इस जगह की कार्ययोजना बनीं होती तो शायद केनापारा बदहाल ना होता.