शिमला: दुनियाभर में कैंसर सबसे खतरनाक बीमारी है. हर साल 4 फरवरी को World Cancer day मनाया जाता है ताकि इसके प्रति लोगों को जागरुक किया जा सके. आज लगभग 100 से ज्यादा तरह का कैंसर हर साल कई इंसानों की जान लेता है. ब्लड कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लिंफोमा, मूत्राश्य का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर और ना जाने कितनी तरह के कैंसर जानलेवा साबित होते हैं. लेकिन इनमें से एक कैंसर ऐसा है जो सिर्फ महिलाओं की जान पर भारी पड़ता है. सर्वाइकल कैंसर ऐसी बीमारी है, जो दुनियाभर में लाखों महिलाओं को अपनी जद में लेती है और इनमें से कई अपनी जान गंवा देती हैं.
डराने वाले हैं आंकड़ें- वैसे तो कैंसर का नाम सुनकर ही डर लगना स्वाभाविक है और बीते कुछ वक्त में ये कॉमन हो चली है. सर्वाइकल कैंसर के मामले में लगातार बढ़े हैं. हर साल ये बीमारी दुनियाभर में सैकड़ों महिलाओं की मौत का कारण बनती है. एक स्टडी के मुताबिक एशिया में सर्वाइकल कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज भारत से सामने आते हैं, जो चीन से भी ज्यादा है. एशिया में इस बीमारी से होने वाली 40 फीसदी मौतों में से 23 फीसदी अकेले भारत में हुई.
क्या होता है सर्वाइकल कैंसर
आम बोलचाल में इस कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहते हैं. गर्भाशय (uterus) के निचले हिस्से से शुरू होने वाला ये कैंसर जानलेवा हो सकता है. HPV यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण ये कैंसर होता है. शिमला स्थित आईजीएमसी कैंसर अस्पताल के सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपक तुली बताते हैं कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं को होने वाली गंभीर बीमारी है. आज दुनियाभर में कॉमन हो चुकी इस बीमारी से सबसे ज्यादा विकासशील देशों की महिलाएं प्रभावित हैं.
सर्वाइकल कैंसर के कारण
डॉ. तुली के मुताबिक ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) का एक समूह है, जो सर्वाइकल कैंसर की वजह है. यौन संचारित यह वायरस 100 से ज्यादा प्रकार का होता है और कई तरह के सर्वाइकल कैंसर की वजह बन सकता है. इस वायरस की वजह से शुरू हुआ इन्फेक्शन लंबे वक्त के बाद सर्वाइकल कैंसर बन सकता है, लेकिन इस वायरस के पनपने की कुछ वजहें हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
असुरक्षित यौन संबंध- HPV से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना या एक से अधिक पार्टनर के साथ यौन संबंध होने से सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. कम उम्र से ही यौन संबंध बनाना भी इसके खतरे को बढ़ाता है.
जननांगों की सफाई- सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए स्वच्छता को अपनाना बहुत जरूरी है. इसके अभाव में इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.
यौन संचारित बीमारियां- कुछ महिलाएं गोनोरिया, सिफलिस जैसी बीमारियां होती है. इनकी वजह से भी सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बढ़ता है.
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
- अनियमित पीरियड्स का होना
- पीरियड्स में ज्यादा खून आना
- इन्फेक्शन के बाद पानी बहना और बदबू आना
- माहवारी बंद होने (menopause) के बाद पानी आना
- सेक्स के वक्त दर्द या खून आना
- यूरीन पास करने में परेशानी
- पीठ और पेट में दर्द
सर्वाइकल कैंसर ठीक हो सकता है?: एक्सपर्ट्स के मुताबिक 35 से 40 उम्र के बाद ही महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की समस्या होती है. क्योंकि HPV या फिर इंफेक्शन के लंबे वक्त तक रहने के बाद ही सर्वाइकल कैंसर की संभावना बनती है. अगर शुरुआती स्टेज में इसकी जानकारी हो जाए तो इसके ठीक होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं. डॉ. तुली के मुताबिक भारत जैसे देशों में सर्वाइकल से ज्यादा मौत की वजह यही है कि मरीज इस बीमारी के बढ़ जाने के बाद डॉक्टरी सलाह लेते हैं.
सर्वाइकल कैंसर से बचाव कैसे करें: डॉक्टर्स के मुताबिक असुरक्षित यौन संबंध से बचने के साथ-साथ साफ सफाई का ध्यान रखना जरूरी है. इसके लक्षण पहली नजर में सामान्य लग सकते हैं लेकिन रिस्क ना लें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
वैक्सीनेशन- आज बाजार में सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी वैक्सीन भी उपलब्ध है. जो 9 से 14 साल की लड़कियों को दी जाती है.
स्क्रीनिंग- डॉक्टर्स के मुताबिक 35 से 40 की उम्र के बाद सर्वाइकल स्क्रीनिंग करवा सकते हैं. इसे दो से तीन साल में एक बार करवाया जा सकता है. ऐसा करने से सर्वाइकल का खतरा कम होगा और बीमारी होने की स्थिति में जल्द से जल्द पता चल जाएगा.
सर्वाइकल कैंसर से ज्यादा मौतें क्यों होती हैं: डॉ. तुली के मुताबिक हमारे देश में सर्वाइकल कैंसर से मौत के ज्यादा मामले सामने आते हैं, क्योंकि महिलाएं इसके लक्षणों को शुरुआत में इग्नोर करती हैं और जब ये समस्या बड़ी हो जाती है और हायर स्टेज में पहुंच जाती है. उसके बाद डॉक्टर तक पहुंचते है, जिसकी वजह से ये जानलेवा साबित होता है. विकसित देशों में भारत जैसे विकासशील देशों के मुकाबले सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु दर कम है. बीमारी के प्रति जागरुकता, जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह और साफ-सफाई इसकी सबसे बड़ी वजह है.
हिमाचल में भी बढ़ रहे मामले: हिमाचल प्रदेश में भी सर्वाइकल कैंसर से जुड़े मामले सामने आते हैं. डॉ. तुली के मुताबिक आईजीएमसी में ही रोजाना दो से तीन नए मरीज सामने आते हैं. ऐसे में प्रदेशभर में सर्वाइकल कैंसर से जुड़े मरीजों के आंकड़ों का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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