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गंगोत्री के एसटीपी में कम हुआ फेकल कोलीफॉर्म, NGT के निर्देश पर 6 जिलों में हुआ STP ऑडिट - GANGOTRI STP FECAL COLIFORM

NGT के सख्त निर्देश पर गढ़वाल मंडल में गंगा से लगे सभी 6 जिलों में STP की ऑडिट, गंगोत्री STP में कम हुआ प्रदूषण

GANGOTRI STP FECAL COLIFORM
जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक इंजीनियर नीलिमा गर्ग (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 20, 2024, 10:45 AM IST

Updated : Nov 20, 2024, 1:03 PM IST

देहरादून: उत्तरकाशी में गंगोत्री एसटीपी में मानक से ऊपर अशुद्धता पाए जाने पर एनजीटी ने आपत्ति दर्ज की थी. जिसके बाद अब उत्तराखंड जल संस्थान गंगा और सहायक नदियों से सटे सभी जिलों में सभी एसटीपी (Sewage treatment plant) का थर्ड पार्टी ऑडिट करवा रहा है.

गंगोत्री एसटीपी में कम हुआ फेकल कोलीफॉर्म: भागीरथी नदी पर गंगोत्री में मौजूद एसटीपी में फेकल कोलीफॉर्म (Fecal coliform) मानक से अधिक पाए जाने पर एनजीटी (National Green Tribunal) ने आपत्ति दर्ज की थी. जिसके बाद एनजीटी के निर्देशों पर उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा दो बार गंगोत्री एसटीपी पर जांच करवाई गई.

जल संस्थान ने कराया एसटीपी का ऑडिट (VIDEO- ETV Bharat)

जल संस्थान की सीजीएम नीलिमा गर्ग ने क्या कहा: वहीं उत्तराखंड जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक इंजीनियर नीलिमा गर्ग ने बताया कि एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद दो बार इस एसटीपी पर दो अलग-अलग लेबोरेटरी से जांच करवाई गई है. जांच में एनजीटी के मानकों के अनुसार अब फेकल कोलीफॉर्म इसमें काफी कम पाया गया है. नीलिमा गर्ग ने बताया कि हालांकि यह एसटीपी MoEF (Ministry of Environment and Forest) के मानकों के अनुसार ठीक थी. लेकिन एनजीटी के अलग मानक होने के वजह से यह उसके मानकों पर खरी नहीं उतर पायी थी. अब इसमें सुधार कर लिए गए हैं.

6 जिलों में एसटीपी का हुआ ऑडिट: इसके अलावा उन्होंने बताया कि जल संस्थान द्वारा वैसे भी रूटीन के तौर पर हर साल गंगा और गंगा की सहायक सभी नदियों के किनारे पड़ने वाले शहरों में एसटीपी की जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में जल संस्थान द्वारा गढ़वाल क्षेत्र के 6 जिलों के बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, हरिद्वार और देहरादून में मौजूद सभी STP में फ्लूएंट ट्रीटेड वॉटर के पैरामीटर की जांच के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि इस ऑडिट में खास तौर से BOD (Biochemical Oxygen Demand) और फोकल कोलीफॉर्म की जांच की जाती है.
ये भी पढ़ें: उद्गम स्थल से ही प्रदूषित हो रही है गंगा, NGT का उत्तराखंड की मुख्य सचिव को जांच का निर्देश, ये है पूरा मामला

देहरादून: उत्तरकाशी में गंगोत्री एसटीपी में मानक से ऊपर अशुद्धता पाए जाने पर एनजीटी ने आपत्ति दर्ज की थी. जिसके बाद अब उत्तराखंड जल संस्थान गंगा और सहायक नदियों से सटे सभी जिलों में सभी एसटीपी (Sewage treatment plant) का थर्ड पार्टी ऑडिट करवा रहा है.

गंगोत्री एसटीपी में कम हुआ फेकल कोलीफॉर्म: भागीरथी नदी पर गंगोत्री में मौजूद एसटीपी में फेकल कोलीफॉर्म (Fecal coliform) मानक से अधिक पाए जाने पर एनजीटी (National Green Tribunal) ने आपत्ति दर्ज की थी. जिसके बाद एनजीटी के निर्देशों पर उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा दो बार गंगोत्री एसटीपी पर जांच करवाई गई.

जल संस्थान ने कराया एसटीपी का ऑडिट (VIDEO- ETV Bharat)

जल संस्थान की सीजीएम नीलिमा गर्ग ने क्या कहा: वहीं उत्तराखंड जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक इंजीनियर नीलिमा गर्ग ने बताया कि एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद दो बार इस एसटीपी पर दो अलग-अलग लेबोरेटरी से जांच करवाई गई है. जांच में एनजीटी के मानकों के अनुसार अब फेकल कोलीफॉर्म इसमें काफी कम पाया गया है. नीलिमा गर्ग ने बताया कि हालांकि यह एसटीपी MoEF (Ministry of Environment and Forest) के मानकों के अनुसार ठीक थी. लेकिन एनजीटी के अलग मानक होने के वजह से यह उसके मानकों पर खरी नहीं उतर पायी थी. अब इसमें सुधार कर लिए गए हैं.

6 जिलों में एसटीपी का हुआ ऑडिट: इसके अलावा उन्होंने बताया कि जल संस्थान द्वारा वैसे भी रूटीन के तौर पर हर साल गंगा और गंगा की सहायक सभी नदियों के किनारे पड़ने वाले शहरों में एसटीपी की जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में जल संस्थान द्वारा गढ़वाल क्षेत्र के 6 जिलों के बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, हरिद्वार और देहरादून में मौजूद सभी STP में फ्लूएंट ट्रीटेड वॉटर के पैरामीटर की जांच के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि इस ऑडिट में खास तौर से BOD (Biochemical Oxygen Demand) और फोकल कोलीफॉर्म की जांच की जाती है.
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Last Updated : Nov 20, 2024, 1:03 PM IST
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