रायपुर : छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. पहले विधानसभा, फिर लोकसभा और अब नगरीय निकाय पंचायत चुनाव में मिली करारी हार को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. पार्टी के दिग्गज हार की समीक्षा करने में जुटे हैं. मंथन किया जा रहा है ,कि आखिर हार की क्या वजह रही. लेकिन इस बीच देखने को मिला कि छत्तीसगढ़ की राजनीति तीन दिशाओं में बिखरी हुई नजर आई. तीन नेता, तीन रणनीति के तहत 3 दिशाओं में काम करते नजर आए. जिसका परिणाम हुआ कि प्रदेश में विधानसभा लोकसभा और पंचायत तीनों चुनाव कांग्रेस हार गई. भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और दीपक बैज ये वो तीन नेता हैं, जो शायद एक साथ नहीं चले. जिसका परिणाम कांग्रेस को तीनों चुनाव में हार के रूप में भुगतना पड़ा.
हार के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार : कांग्रेस के तीन नेता तीन रणनीति तीन दिशा और तीन चुनाव हार के सवाल पर पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि हमें इन दोनों चुनाव में असफलता नहीं मिली, उसके पीछे कई कारण हैं. कांकेर में बहुत कम अंतर से हारे हैं. बस्तर और जांजगीर चांपा में दो सीटों पर हमारी संभावना थी, यहां की आठ विधानसभा कांग्रेस के पास थी. असफलता के पीछे कई फैक्टर जिम्मेदार हैं. इस चुनाव के दौरान एक लोकसभा में कौन प्रभावित तरीके से काम कर सकते हैं और बहुत से लोगों ने काम भी किया है.
सरगुजा में पिछले लोकसभा चुनाव में 172000 वोट से पीछे थे इस चुनाव में हम 60000 वोट से पीछे रहे हैं. हर जगह एक जैसी स्थिति नहीं है,पहले की तुलना में कांग्रेस का लोकसभा में भी बेहतर प्रदर्शन रहा है. विधानसभा में सत्ता में थे, वहां से हम बाहर हुए , जो कमी थी, वह सबके सामने है. उसे समय ट्राइबल और शहरी क्षेत्र में अच्छा नहीं कर पाए, हमें और काम करने की जरूरत है. साल 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान जो जिसके प्रभाव वाले क्षेत्र थे उन्हें इसकी जवाबदारी दी गई थी वहां उन्होंने काम किया यह अलग बात है कि हमें उसे दौरान सफलता हासिल नहीं- टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम
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क्यों हारे नगरीय निकाय : वहीं नगरीय का चुनाव का जिक्र करते हुए सिंहदेव ने कहा कि इस चुनाव के महज 10 -12 दिन का समय था. इतने कम समय में पार्टी प्रमुख लीडर का सभी जगह पहुंचाना संभव है. इसमें जो जिसकी प्रभाव वाला क्षेत्र था, उन्हें वहां पर जवाबदारी दी गई. उन्होंने काम किया ये अलग बात है परिणाम अच्छे नहीं रहे.
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क्या सच में कांग्रेस नहीं दिखी एकजुट : वहीं राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के तीन नेता भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और दीपक बैज 3 दिशा में नजर आए , इन तीनों में आपसी कोऑर्डिनेशन नहीं था. यह तीनों कांग्रेस में तो थे ,लेकिन एक साथ नहीं थे. जिसका खामियाजा कांग्रेस इन तीनों चुनाव में हार के रूप में उठाना पड़ा है. वहीं कांग्रेस की स्थिति के लिए उचित शर्मा ने राज्य के नेताओं को नहीं बल्कि केंद्र के नेताओं को जिम्मेदार ठहराया. उचित शर्मा की माने तो केंद्रीय नेतृत्व इनको एक साथ एक प्लेटफार्म पर लाने में नाकाम रहा. राजस्थान की बात हो मध्य प्रदेश की या छत्तीसगढ़ की, यहां कांग्रेस में नेता तो हैं ,लेकिन वह एक साथ नहीं है, इन्हें एकजुट करने में केंद्रीय नेतृत्व नाकाम रहा जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ रहा है।
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उचित शर्मा ने कहा कि इन तीन नेताओं को बीजेपी उनके क्षेत्र में बांधने में कामयाब रही.दीपक बैज बस्तर तक सिमट कर रह गए. भूपेश बघेल दुर्ग में फंसे रहे और सिंहदेव अंबिकापुर से बाहर नहीं निकल पाएं.इसके लिए बीजेपी ने अच्छी घेराबंदी भी कर रखी थी ,जिस वजह से कांग्रेस को करारी हार मिली और बीजेपी बाजी मारने में कामयाब रही- उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
विधानसभा चुनाव में हुआ बड़ा उलटफेर : आपको बता दें कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 15 साल के वनवास के बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. इस चुनाव में कांग्रेस ने एक तरफा जीत हासिल की. 90 में से 68 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. वहीं 15 साल सत्ता पर काबिज रहने वाली बीजेपी महज 15 सीटों पर ही सिमट गई थी. इसके बाद 5 साल कांग्रेस सरकार ने काम किया और साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस सरकार रिपीट होने की चर्चा थी. सभी को लग रहा था कि एक बार फिर कांग्रेस सरकार बनेगी. लेकिन बाद में बीजेपी ने नई रणनीति के तहत काम किया. जिसमें जो माहौल कांग्रेस के पक्ष में बना था ,वो बीजेपी के पक्ष में हो गया.जिसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई.
लोकसभा में भी चुनौती नहीं दे सकी कांग्रेस : विधानसभा के बाद लोकसभा 2024 चुनाव में भी दमखम के साथ कांग्रेस जीत का दावा करती रही. कई सीटों पर दिग्गजों को भी उतारा गया.लेकिन लोकसभा में जो हाल कांग्रेस के दिग्गजों का रहा उसे देखकर यही लगा कि पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ये दावा करती रही कि परिणाम चौंकाने वाले होंगे.लेकिन जब रिजल्ट आए तो कांग्रेस ने 11 में से महज एक सीट पर जीत दर्ज की.
नगरीय निकाय चुनाव में चुनौती नहीं दे सकी कांग्रेस : इसके बाद हर बार नगरीय निकाय चुनाव में अच्छा परफॉर्म करने वाली कांग्रेस पर लोगों की नजर थी. लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस पूरी तरह से बैकफुट पर चली गई. प्रदेश के 10 नगर निगम में से एक में भी कांग्रेस का मेयर जीतकर ना आ सका.नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी कांग्रेस पानी मांगती दिखी.अब तीनों चुनाव में मिली हार पर कांग्रेस समीक्षा की बात कह रही है.इसके लिए कई कारण गिनाए जा रहे हैं.लेकिन अब भी एक ही बात राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है कि तीन दिग्गजों के अलग-अलग चलने के कारण कांग्रेस की ये हालत हुई है.
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