शिमला: हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. हालांकि, सीएम सुक्खू इससे इनकार कर रहे हैं, लेकिन आलम ये है कि महीने की इस महीने की 3 तारीख होने के बावजूद कर्मचारियों को सैलरी और पेंशनरों को पेंशन देने में सरकार को मुश्किल हो रही है. वहीं, दूसरी ओर सरकार और विपक्ष प्रदेश में आए आर्थिक संकट का ठीकरा एक-दूसरे के ऊपर फोड़ने में लगे हैं. जहां भाजपा कांग्रेस सरकार की मुफ्त स्कीम वाली 'खटाखट' योजना को लेकर घेर रही है. वहीं, सीएम सुक्खू पूर्व की 'डबल इंजन' वाली सरकार की वित्तीय कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
हिमाचल पर आई आर्थिक संकट को लेकर पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार को घेरा है. जयराम ठाकुर ने कहा, "हिमाचल में जो आर्थिक संकट का उदाहरण बनी है, वह बहुत बड़ा उदाहरण फ्रीबीज देने का जो राहुल गांधी का खटाखट का फार्मूला है, इससे से देशभर में सबकी आंखे खुल गई है. खटाखट देने की गारंटी का असर ये होगा कि कर्मचारियों को समय पर सैलरी नहीं मिल पाएगी और आने वाला समय में संकट और भी गहरा होता दिख रहा है".
जयराम ठाकुर ने कहा, "हिमाचल प्रदेश में शायद ये पहली बार हुआ है कि 3 तारीख होने के बावजूद कर्मचारियों की सैलरी अभी तक नहीं आई है. इसका अभिप्राय है कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक रूप से गंभीर संकट है. कई बार सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कहते हैं कि संकट है और कभी बोलते हैं कि संकट नहीं है. इसके लिए कांग्रेस पार्टी की सरकार जिम्मेदार है. सरकार को ये बात समझनी चाहिए. फिलहाल परिस्थिति यह बन गई है कि डीए-एरियर की बात तो दूर की है सैलरी भी समय पर नहीं आ रही है.
वहीं, जयराम ठाकुर के वित्तीय कुंप्रबंधन के आरोप पर सीएम सुक्खू ने निशाना साधा. सीएम सुक्खू ने कहा, "जयराम ठाकुर जी को अब आना चाहिए, हम चाहते हैं कि वित्तीय कुप्रबंधन पर विपक्ष चर्चा करे. हमने तो इसे सरकार की तरफ से लाया. विपक्ष किसी भी नियम की तहत चर्चा करें. हम भी हिमाचल की 75 लाख जनता को बताना चाहते हैं कि वित्तीय कुप्रबंधन क्यों हुआ और कैसे डबल इंजन की सरकार ने जनता की खजाने को लूटा दिया. बिजली माफ कर दी, पानी माफ कर दिया, 600 के करीब शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थान खोल दिए, इन सब चीजों की अगर वो चर्चा नहीं लाएंगे तो हमारे द्वारा चर्चा लाई जाएगी".
सीएम सुक्खू ने कहा, "हम जनता को जागरूक करना चाहते हैं कि जब कोई नीतिगत फैसले नहीं होते तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है. जो एक करोड़ का इनकम टैक्स देता हो, उसको मुफ्त की बिजली, पानी नहीं चाहिए. इन्होंने बिना सोचे समझे उन लोगों को मुफ्त की सुविधाएं दे दी, जो अपने पैसे से पानी और बिजली खरीदना चाहते थे. ये चीजें गरीब को मुफ्त में मिलनी चाहिए. जयराम सरकार ने पांच साल जिस तरह से खजाने का लूटा है, उस दृष्टि से इसको लेकर चर्चा लानी चाहिए. सरकार इस मुद्दे पर किसी भी तरह के नियम के अनुरूप चर्चा करने के लिए तैयार है".
वहीं, हिमाचल में गहराते आर्थिक संकट को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सिरे से नकार दिया. सीएम सुक्खू ने कहा, "हम प्रदेश को आर्थिक संकट से उबार रहे हैं. फिजिकल डिसिप्लिन करना मतलब हम आर्थिक संकट से उबर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर प्रदेश बनाने के लिए यह चेंजिंग जरूरी है. इस तरह के फैसले किए जाएंगे".
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