रांचीः संथाल परगना के छह जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से घट रही आदिवासियों की आबादी और बदल रही डेमोग्राफी मामले में दायर डैनियल दानिश की जनहित याचिका पर अब तक हुई सुनवाई के दौरान पेश तथ्यों को गंभीर बताते हुए हाईकोर्ट ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी से जांच कराने की जरुरत बतायी है. इस मसले पर 20 सितंबर को केंद्र और राज्य सरकार को पक्ष रखना है. वहीं इस मुद्दे को लेकर राजनीति बयानबाजी भी तेज हो गई है.
संथाल में घुसपैठ के मुद्दे को भाजपा जोरशोर से उठा रही है. भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस नहीं भेजा गया तो आने वाले समय में संथाल से आदिवासी गायब हो जाएंगे. भाजपा का आरोप है कि राज्य सरकार जांच से बचना चाह रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि हेमंत सरकार की मंशा ही नहीं है जांच कराने की. वो घुसपैठियों को वोट बैंक के रूप में देखती है.
वहीं सत्ताधारी दलों का कहना है कि अगर घुसपैठ हुआ है तो इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेवार ठहराया जाना चाहिए. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि घुसपैठ का मुद्दा केवल भाजपा की राजनीति का हिस्सा है. झारखंड सरकार जल्द ही इसे लेकर ग्राउंड रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर देगी. उन्होंने कहा कि झारखंड की सीमा बांग्लादेश से नहीं लगती है. अगर यहां घुसपैठ हुई भी है तो वो बिहार और असम से हुई होगी, दोनों ही जगह भाजपा की सरकार है. वहां घुसपैठ रोकने की जरूरत है.
बता दें कि अब इस मामले में सबकी नजर हाईकोर्ट पर टिकी हुई है. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने बांग्लादेशी घुसपैठ से जुड़े पीआईएल पर सुनवाई करते हुए कई आदेश जारी किए हैं. अब यह मामला फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन तक आ पहुंचा है.
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की क्यों है जरुरत
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र दोनों के द्वारा अपनाए गए प्रतिद्वंद्वी रुख पर विचार करते हुए ऐसे विवादित मसले पर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन के लिए नामों का प्रस्ताव मांगा है, ताकि उचित आदेश दिया जा सके. यदि घुसपैठ का मुद्दा सही है, तो सर्वानंद सोनोवाल बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में इस मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए.
12 सितंबर 2024 को सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कमेटी के गठन को लेकर किसी तरह का सुझाव नहीं आया. इसपर सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से दोबारा सुझाव मांगा गया.
17 सितंबर 2024 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पांच जिलों के उपायुक्तों ने घुसपैठ से इनकार किया है, जबकि साहिबगंज के डीसी ने दो घुसपैठ की बात स्वीकार की है. वहीं केंद्र सरकार का मानना है कि घुसपैठ हुआ है और उनकी पहचान कर कार्रवाई करने की जरूरत है. वहीं राज्य सरकार का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार से राय मशविरा करना जरुरी है. वहीं सॉलिसिटर जनरल ने मौखिक तौर पर बताया कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में सदस्यों का नाम तय करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव और गृह मंत्रालय के सचिव को मीटिंग करनी चाहिए. यह बताते हुए सालिसिटर जनरल की तरफ से 19 सितंबर 2024 तक एफिडेविट फाइल करने का आग्रह किया गया. अब इसपर 20 सितंबर को विस्तृत सुनवाई होनी है.
ये भी पढ़ेंः