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क्या केजरीवाल हरियाणा में "आप" का कर पाएंगे बेड़ापार! क्या सरकार विरोधी वोटों का होगा ध्रुवीकरण ? रिपोर्ट में जानें - Haryana Assembly Elections 2024

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन न होने के बाद आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हुए हैं. इस सबके बीच अरविंद केजरीवाल के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद अब आप का निशाना हरियाणा विधानसभा चुनाव है. पार्टी इस बार हरियाणा में किसी भी स्थिति में खुद के लिए जगह बनाने की कोशिश में जुटी है. हालांकि वह इसमें पार्टी कितना सफल होगी, यह चुनावी नतीजे ही बताएंगे.

Haryana Assembly Elections 2024
Haryana Assembly Elections 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 17, 2024, 8:22 AM IST

Updated : Sep 17, 2024, 9:29 AM IST

Haryana Assembly Elections 2024 (Etv Bharat)

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के जमानत पर जेल से बाहर आने और उनके सीएम पद से इस्तीफा देने की तैयारी के बाद हरियाणा में आप नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश है. इस सबके बीच अब चर्चा होने लगी है कि हरियाणा में सरकार के खिलाफ जो एंटी कैंबैंसी वोट है. उसका ध्रुवीकरण होगा? और क्या इससे कांग्रेस और अन्य दलों के बीच इन वोट का बंटवारा होगा?

आप के सामने चुनौती: हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन न होने के बाद आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हुए हैं. इस सबके बीच अरविंद केजरीवाल के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद अब आप का निशाना हरियाणा विधानसभा चुनाव है. पार्टी इस बार हरियाणा में किसी भी स्थिति में खुद के लिए जगह बनाने की कोशिश में जुटी है. हालांकि वह इसमें पार्टी कितना सफल होगी, यह चुनावी नतीजे ही बताएंगे.

'हरियाणा में केजरीवाल का कोई असर नहीं': पहली नजर में आप के अकेले चुनावी मैदान में होने से लग रहा है कि इससे सरकार विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण होगा. लेकिन इस मामले में कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल के बेल पर आने से हरियाणा में चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हमारा आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर था. यहां गठबंधन की चर्चा जरूर हुई थी. लेकिन अब वो अलग लड़ रहे हैं और हम अलग लड़ रहे हैं. यानी कांग्रेस मानती है कि केजरीवाल का हरियाणा में कोई असर नहीं होगा.

'बीजेपी जाएगी और कांग्रेस आएगी': इसी को लेकर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के तहत राहुल गांधी की तरफ से गठबंधन को लेकर सकारात्मक पहल हुई थी. हम चाहते थे कि जो विपक्ष का वोट है वह बांटे ना, लेकिन उन्होंने अचानक से अपनी लिस्ट घोषित कर दी. गठबंधन होने की बात पर इससे विराम लग गया. यह भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है. तमाम पार्टियां चुनाव लड़ सकती हैं. आम आदमी पार्टी का भी स्वागत है, लेकिन आज जिस तरीके से हरियाणा में माहौल बना हुआ है. बीजेपी का जाना तय है. कांग्रेस का आना भी तय है. लोगों का मन बन चुका है. हालांकि हरियाणा में सभी दल अपनी अपनी ताकत लगाएंगे. जनता समझ चुकी है कि यह सभी दल वोट का कटवा की भूमिका निभाएंगे. लेकिन यह कुछ नहीं कर पाएंगे.

हरियाणा में आप करेगी बड़ा बदलाव!: इधर इसी मामले में जब राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वैसे तो पिछले चुनाव के आधार पर वर्तमान चुनाव का विश्लेषण नहीं करना चाहिए. लेकिन केजरीवाल खुद कहते हैं और यह सच्चाई भी है कि वह हरियाणा के बेटे हैं. लेकिन हरियाणा में जब से आम आदमी पार्टी आई है उसकी जमीन में कोई बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है, ऐसा कुछ दिखता नहीं है.

'आप की जमानत पहले भी हो चुकी है जब्त': वे कहते हैं कि 2019 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी में 46 उम्मीदवार उतारे थे. आम आदमी पार्टी को पांच फीसद से भी कम वोट मिला था. इसके साथ ही उसके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. उस वक्त भी केजरीवाल मैदान में थे. हालांकि इस बार वे जमकर विक्टिम कार्ड खेलने को कोशिश करेंगे. उनको जेल में डालने का बीजेपी के खिलाफ विक्टिम कार्ड खेलेंगे.

बीजेपी को हराना चाहती है जनता!: वह कहते हैं कि लेकिन हरियाणा का जमीनी स्तर पर अगर चुनाव का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि हरियाणा में इस बार दो तरह का ही वोट है, या बीजेपी के पक्ष में या बीजेपी के विरोध में. जो बीजेपी के खिलाफ वोट है, उसमें यह साफ है कि वह अपना वोट बंटने नहीं देंगे. वे बीजेपी के उम्मीदवार को हराना चाह रहे हैं. मतदाता समझता है कि किसी और पार्टी को वोट देना वोट खराब करना होगा.

'बीजेपी-कांग्रेस में चुनावी टक्कर': ये भी कहते हैं कि किसान आंदोलन के बाद एक बड़ा तब का है. जिसमें बीजेपी को लेकर नाराजगी है. जातीय आधार पर चुनाव होते हैं, लेकिन बीते 10 सालों में कई और भी मुद्दे हरियाणा में अहम हो गए हैं. जिससे चीजें जाति की सीमा से बाहर निकल गई है. ऐसे में अगर मतदाता को बीजेपी को हराना है, तो सामने कौन सी पार्टी है तो वह कांग्रेस है. यह कहते हैं कि किसी अन्य दल को वोट मिलना मुश्किल है. इसलिए आम आदमी पार्टी लोगों के बीच चर्चा का विषय भी नहीं है.

'जीतने की स्थिति में नहीं आप उम्मीदवार': वहीं, वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल इस पर कहते हैं कि केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद भले ही वोटों का बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण न हो. लेकिन इतना जरूर है कि अगर वे जेल में होते तो आप को शायद उतना वोट न मिलता, जितना उनके बाहर आने से मिलेंगे. वे यह भी कहते हैं कि उनके बाहर आने के बाद भी ऐसा नहीं दिखता कि आप का कोई उम्मीदवार जीतने की स्थिति में आएगा. लेकिन वोटों के बंटवारे में आप अपनी भूमिका अदा कर सकती है.

ये भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने वाले बयान पर अशोक तंवर का तंज बोले- 'बहुत पहले छोड़ देना चाहिए था सीएम पद' - Ashok Tanwar on Arvind Kejriwal

ये भी पढ़ें: विनेश फोगाट के सामने हो गई जंग, आपस में भिड़ गए कांग्रेसी, रोकने के लिए मैदान में कूदी रेसलर - Congress Workers Clash in Jind

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चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के जमानत पर जेल से बाहर आने और उनके सीएम पद से इस्तीफा देने की तैयारी के बाद हरियाणा में आप नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश है. इस सबके बीच अब चर्चा होने लगी है कि हरियाणा में सरकार के खिलाफ जो एंटी कैंबैंसी वोट है. उसका ध्रुवीकरण होगा? और क्या इससे कांग्रेस और अन्य दलों के बीच इन वोट का बंटवारा होगा?

आप के सामने चुनौती: हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन न होने के बाद आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हुए हैं. इस सबके बीच अरविंद केजरीवाल के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद अब आप का निशाना हरियाणा विधानसभा चुनाव है. पार्टी इस बार हरियाणा में किसी भी स्थिति में खुद के लिए जगह बनाने की कोशिश में जुटी है. हालांकि वह इसमें पार्टी कितना सफल होगी, यह चुनावी नतीजे ही बताएंगे.

'हरियाणा में केजरीवाल का कोई असर नहीं': पहली नजर में आप के अकेले चुनावी मैदान में होने से लग रहा है कि इससे सरकार विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण होगा. लेकिन इस मामले में कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल के बेल पर आने से हरियाणा में चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हमारा आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर था. यहां गठबंधन की चर्चा जरूर हुई थी. लेकिन अब वो अलग लड़ रहे हैं और हम अलग लड़ रहे हैं. यानी कांग्रेस मानती है कि केजरीवाल का हरियाणा में कोई असर नहीं होगा.

'बीजेपी जाएगी और कांग्रेस आएगी': इसी को लेकर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के तहत राहुल गांधी की तरफ से गठबंधन को लेकर सकारात्मक पहल हुई थी. हम चाहते थे कि जो विपक्ष का वोट है वह बांटे ना, लेकिन उन्होंने अचानक से अपनी लिस्ट घोषित कर दी. गठबंधन होने की बात पर इससे विराम लग गया. यह भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है. तमाम पार्टियां चुनाव लड़ सकती हैं. आम आदमी पार्टी का भी स्वागत है, लेकिन आज जिस तरीके से हरियाणा में माहौल बना हुआ है. बीजेपी का जाना तय है. कांग्रेस का आना भी तय है. लोगों का मन बन चुका है. हालांकि हरियाणा में सभी दल अपनी अपनी ताकत लगाएंगे. जनता समझ चुकी है कि यह सभी दल वोट का कटवा की भूमिका निभाएंगे. लेकिन यह कुछ नहीं कर पाएंगे.

हरियाणा में आप करेगी बड़ा बदलाव!: इधर इसी मामले में जब राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वैसे तो पिछले चुनाव के आधार पर वर्तमान चुनाव का विश्लेषण नहीं करना चाहिए. लेकिन केजरीवाल खुद कहते हैं और यह सच्चाई भी है कि वह हरियाणा के बेटे हैं. लेकिन हरियाणा में जब से आम आदमी पार्टी आई है उसकी जमीन में कोई बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है, ऐसा कुछ दिखता नहीं है.

'आप की जमानत पहले भी हो चुकी है जब्त': वे कहते हैं कि 2019 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी में 46 उम्मीदवार उतारे थे. आम आदमी पार्टी को पांच फीसद से भी कम वोट मिला था. इसके साथ ही उसके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. उस वक्त भी केजरीवाल मैदान में थे. हालांकि इस बार वे जमकर विक्टिम कार्ड खेलने को कोशिश करेंगे. उनको जेल में डालने का बीजेपी के खिलाफ विक्टिम कार्ड खेलेंगे.

बीजेपी को हराना चाहती है जनता!: वह कहते हैं कि लेकिन हरियाणा का जमीनी स्तर पर अगर चुनाव का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि हरियाणा में इस बार दो तरह का ही वोट है, या बीजेपी के पक्ष में या बीजेपी के विरोध में. जो बीजेपी के खिलाफ वोट है, उसमें यह साफ है कि वह अपना वोट बंटने नहीं देंगे. वे बीजेपी के उम्मीदवार को हराना चाह रहे हैं. मतदाता समझता है कि किसी और पार्टी को वोट देना वोट खराब करना होगा.

'बीजेपी-कांग्रेस में चुनावी टक्कर': ये भी कहते हैं कि किसान आंदोलन के बाद एक बड़ा तब का है. जिसमें बीजेपी को लेकर नाराजगी है. जातीय आधार पर चुनाव होते हैं, लेकिन बीते 10 सालों में कई और भी मुद्दे हरियाणा में अहम हो गए हैं. जिससे चीजें जाति की सीमा से बाहर निकल गई है. ऐसे में अगर मतदाता को बीजेपी को हराना है, तो सामने कौन सी पार्टी है तो वह कांग्रेस है. यह कहते हैं कि किसी अन्य दल को वोट मिलना मुश्किल है. इसलिए आम आदमी पार्टी लोगों के बीच चर्चा का विषय भी नहीं है.

'जीतने की स्थिति में नहीं आप उम्मीदवार': वहीं, वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल इस पर कहते हैं कि केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद भले ही वोटों का बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण न हो. लेकिन इतना जरूर है कि अगर वे जेल में होते तो आप को शायद उतना वोट न मिलता, जितना उनके बाहर आने से मिलेंगे. वे यह भी कहते हैं कि उनके बाहर आने के बाद भी ऐसा नहीं दिखता कि आप का कोई उम्मीदवार जीतने की स्थिति में आएगा. लेकिन वोटों के बंटवारे में आप अपनी भूमिका अदा कर सकती है.

ये भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने वाले बयान पर अशोक तंवर का तंज बोले- 'बहुत पहले छोड़ देना चाहिए था सीएम पद' - Ashok Tanwar on Arvind Kejriwal

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Last Updated : Sep 17, 2024, 9:29 AM IST
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