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कोरबा में धूमधाम से मना पोला तिहार, पूजे गए नंदी बैल, किसान परिवारों ने मांगा खुशहाली का आशीर्वाद - Pola tihar in Korba - POLA TIHAR IN KORBA

कोरबा में धूमधाम से पोला तिहार मनाया गया. इस दौरान नंदी बैल पूजे गए. नंदी बेल की पूजा के बाद किसान परिवारों ने अपने घर में भगवान शिव और नंदी से खुशहाली का आशीर्वाद मांगा

Pola tihar
पोला तिहार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 2, 2024, 6:21 PM IST

Updated : Sep 2, 2024, 6:31 PM IST

कोरबा में धूमधाम से मना पोला तिहार (ETV BHARAT)

कोरबा: छत्तीसगढ़ में सोमवार को जगह-जगह पोला तिहार मनाया गया. यहां जगह-जगह नंदी बैल पूजे गए. मान्यता है कि ऐसा करने से समृद्धि आती है और खेतों में पैदावार भी अच्छी होती है. छत्तीसगढ़ में पोला तिहार के दिन स्थानीय अवकाश की घोषणा भी की गई है.

ये है मान्यता: दरअसल, छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. किसान यहां बड़े पैमाने पर धान उगाते हैं. अब भी ऐसे किसानों की कमी नहीं है, जो पारंपरिक खेती पर आश्रित हैं और बैलों से ही अपने खेतों की जुताई करते हैं. आज के दिन पोला पर नंदी की पूजा की जाती है. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से समृद्धि आती है और खेतों में पैदावार भी अच्छी होती है.

"खेती किसानी में बैलों को अपना महत्व होता है. किसान आज भी खेतों की जुताई बैल से करते हैं, इसलिए पोला पर्व के दिन बैलों की पूजा होती है. जहां भी नंदी बैल को पूजा जाता है. वहां दरिद्रता का वास नहीं होता. बैलों की पूजा से महादेव के साथ ही मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं. धन-धान्य से घर भर जाता है. इसी कामना के साथ ही पोला पर बैलों की पूजा होती है." -कृष्णेश्वर महाराज, पुजारी

नंदी बैल के मूर्तियों की पूजा: खेती किसानी में बैलों का अपना अलग महत्व होता है. पोला त्याहोर में मुख्य तौर पर बैल की पूजा की जाती है. बाजार में पहले से ही नंदी बैल की छोटी-छोटी मूर्तियां बिकती है. लोग इस दिन नंदी बैल की मूर्तियां स्थापित कर घर में ही इसकी पूजा विधा-विधान से करते हैं. पूजा के बाद पूरे परिवार के लिए लोग समृद्धि का वरदान मांगते हैं.

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कोरबा: छत्तीसगढ़ में सोमवार को जगह-जगह पोला तिहार मनाया गया. यहां जगह-जगह नंदी बैल पूजे गए. मान्यता है कि ऐसा करने से समृद्धि आती है और खेतों में पैदावार भी अच्छी होती है. छत्तीसगढ़ में पोला तिहार के दिन स्थानीय अवकाश की घोषणा भी की गई है.

ये है मान्यता: दरअसल, छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. किसान यहां बड़े पैमाने पर धान उगाते हैं. अब भी ऐसे किसानों की कमी नहीं है, जो पारंपरिक खेती पर आश्रित हैं और बैलों से ही अपने खेतों की जुताई करते हैं. आज के दिन पोला पर नंदी की पूजा की जाती है. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से समृद्धि आती है और खेतों में पैदावार भी अच्छी होती है.

"खेती किसानी में बैलों को अपना महत्व होता है. किसान आज भी खेतों की जुताई बैल से करते हैं, इसलिए पोला पर्व के दिन बैलों की पूजा होती है. जहां भी नंदी बैल को पूजा जाता है. वहां दरिद्रता का वास नहीं होता. बैलों की पूजा से महादेव के साथ ही मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं. धन-धान्य से घर भर जाता है. इसी कामना के साथ ही पोला पर बैलों की पूजा होती है." -कृष्णेश्वर महाराज, पुजारी

नंदी बैल के मूर्तियों की पूजा: खेती किसानी में बैलों का अपना अलग महत्व होता है. पोला त्याहोर में मुख्य तौर पर बैल की पूजा की जाती है. बाजार में पहले से ही नंदी बैल की छोटी-छोटी मूर्तियां बिकती है. लोग इस दिन नंदी बैल की मूर्तियां स्थापित कर घर में ही इसकी पूजा विधा-विधान से करते हैं. पूजा के बाद पूरे परिवार के लिए लोग समृद्धि का वरदान मांगते हैं.

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Last Updated : Sep 2, 2024, 6:31 PM IST
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