वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में 400 से ज्यादा परिवारों को अपनी जिंदगी का संकट सता रहा है. ये कभी भी गिर सकते हैं. दरअसल, बनारस में नगर निगम के पास बीते 10 सालों से भी ज्यादा वक्त से 404 जर्जर मकानों की लिस्ट मौजूद है.
सबसे मजे की बात यह है कि हर साल यह लिस्ट इस नंबर के साथ आगे बढ़ा दी जाती है. बनारस के अलग-अलग मोहल्ले अलग-अलग जोन में जर्जर मकानों की यह सूची अपडेट भी नहीं होती न मकान को खाली करने या गिराने के लिए कोई कार्रवाई होती है.
हां जब कोई हादसा हो जाता है तो खानापूर्ति के लिए मकान की कुछ ईंटों को सरकाकर नगर निगम अपना काम पूरा कर लेता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर जर्जर मकानों को लेकर नगर निगम की नींद कब टूटेगी और इन मकानों में रह रहे लोगों की सुरक्षा को लेकर नगर निगम कब चेतेगा.
वाराणसी नगर निगम के मुताबिक, पिछले कई साल से 404 चिह्नित किए गए जर्जर भवन की संख्या इस साल भी उतनी ही है. जिस पर सवाल उठना लाजमी है कि क्या मानसून में पुराने और जर्जर मकान नगर निगम को खतरे के रूप में दिखाई नहीं दे रहे हैं.
दरअसल, वाराणसी नगर निगम हर साल सर्वे करके जर्जर और खतरनाक भवनों की लिस्ट तैयार करता है और मानसून के पहले इन्हें नोटिस जारी करके इन पर कार्रवाई शुरू की जाती है. इस बार अब तक नगर निगम की तरफ से यह कोई भी काम नहीं किया गया है.
अलादीन नगर निगम का कहना है हमारी नजर जर्जर मकानों को लेकर लगातार बनी हुई है और इस पर कार्रवाई समय-समय पर की जाती है लेकिन वह सही समय आएगा कब यह बताने को अधिकारी तैयार नहीं.
पिछले वर्ष 404 भवन चिह्नित किए गए थे. जिनमें से 341 भवन स्वामियों को नोटिस जारी करते हुए इन भवनों को खतरनाक माना गया था और इनमें से 10 भवनों को गिराने के लिए कार्रवाई करते हुए कुछ को तोड़ा भी गया था, लेकिन इस बार अब तक यह कार्रवाई पूरी ही नहीं हुई है.
नगर निगम वाराणसी की लिस्ट के मुताबिक, पिछली बार लिस्ट में जारी की गई नोटिस के बाद जब इन भवनों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू की गई तो आधे से ज्यादा भवन ऐसे मिले जो पुराने और जर्जर थे, लेकिन इनमें किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद था.
इनका प्रकरण कोर्ट में होने की वजह से इन पर स्टे आर्डर हो रखा था, जिसके चलते नगर निगम ने इन भवनों को छूना भी उचित नहीं समझा और जर्जर हो चुके भवनों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. इस बार तो हद ही हो गई, नगर निगम वाराणसी ने मानसून शुरू होने के बाद भी ना ही सर्वे का काम पूरा किया है और ना ही भवन स्वामियों को नोटिस जारी किया है. जिसके बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि अगर कोई हादसा होता है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा.
वाराणसी नगर निगम के 404 जर्जर भवनों की सूची से बाहर आठ ऐसे मकान भी हैं, जिनकी स्थिति काफी खराब है. यहां पर रहने वाले लोग रातों को जाकर अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि वाराणसी के बिंदु माधव वार्ड के दुर्गा घाट स्थित शाही नाले के ऊपर सैकड़ो साल पुराने आठ भावनों को नगर निगम ने यह सूचना जारी की है कि मकान जर्जर है और कभी भी गिर सकते हैं, लेकिन इनको लेकर कोई बड़ी कार्रवाई की तैयारी नहीं है.
यहां रहने वाले लगभग 20 से ज्यादा परिवार खतरे में है. मकान में दरारें आ चुकी हैं और नगर निगम सिर्फ कागजी कार्यवाही में ही उलझा हुआ. निगम की तरफ से इन आठ मकान को एक लेटर सूचना के जरिए जारी किया गया है, जिसमें मकान की जर्जर स्थिति का जिक्र करते हुए जान माल की सुरक्षा के लिए किसी सुरक्षित स्थान पर जाने की अपील की गई है.
लेकिन, बड़ी बात यही है कि 1940 से पहले बनाए गए इन भवनों की इस जर्जर स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है? समय-समय पर भावनों का सर्वे और निरीक्षण क्यों नहीं करवाया गया और आज जब जर्जर भवनों की यह स्थिति है तो उनमें रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कार्रवाई भी क्यों नहीं की जा रही है? क्या इंतजार है किसी बड़े हादसे का.
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