चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह आज चंडीगढ़ दौरे पर रहे. पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (PEC) में पीएम ने 3 नए क्रिमिनल कानूनों की समीक्षा की. यहां उन्होंने लागू किए गए कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का डेमो भी देखा. पीएम मोदी और अमित शाह के चंडीगढ़ आगमन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी.
"जनवरी 2020 में मांगे गए थे सुझाव" : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नए आपराधिक कानूनों को राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "देश की नई न्याय संहिता अपने आप में जितना समग्र दस्तावेज है, इसको बनाने की प्रक्रिया भी उतनी ही व्यापक रही है. इसमें देश के कितने ही महान संविधानविदों और कानूनविदों की मेहनत जुड़ी है. गृह मंत्रालय ने इसे लेकर जनवरी 2020 में सुझाव मांगे थे. इसमें देश के मुख्य न्यायाधीशों का सुझाव और मार्गदर्शन रहा, इसमें हाई कोर्ट के चीफ जस्टिसेज ने भरपूर सहयोग दिया. इन सबने वर्षों तक मंथन किया, संवाद किया, अपने अनुभवों को पिरोया, आधुनिक परिपेक्ष्य में देश की जरूरतों पर चर्चा की गई. आजादी के सात दशकों में न्याय व्यवस्था के सामने जो चुनौतियां आईं उन पर गहन मंथन किया गया. हर कानून का व्यवहारिक पक्ष देखा गया.
Addressing a programme marking the successful implementation of the three new criminal laws. It signifies the end of colonial-era laws. https://t.co/etzg5xLNgf
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2024
"हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट का जताया आभार" : उन्होंने आगे कहा कि मैं इसके लिए देश के सुप्रीम कोर्ट का, माननीय न्यायाधीशों का, देश के सभी हाई कोर्ट का विशेषकर हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट का विशेष आभार प्रकट करता हूं. मुझे भरोसा है सबके सहयोग से बनी भारत की ये न्याय संहिता भारत की न्याय यात्रा में मील का पत्थर साबित होगी.
"रेप केस का फैसला 45 दिन में हो जाएगा" : उन्होंने कहा कि हमेशा से सुनते आए हैं कि कानून की नजर में सब बराबर होते हैं, लेकिन व्यावहारिक सच्चाई कुछ और ही दिखाई देती है. गरीब, कमजोर व्यक्ति कानून के नाम से डरता था. जहां तक संभव होता था वो 'कोर्ट-कचहरी' और थाने में कदम रखने से डरता था. अब भारतीय न्याय संहिता समाज के इस मनोविज्ञान को बदलने का काम करेगी. उसे भरोसा होगा कि देश का कानून समानता की गारंटी है. यही सच्चा सामाजिक न्याय है जिसका भरोसा हमारे संविधान में दिलाया गया है. अब महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे घृणित अपराधों में पहली सुनवाई से 60 दिन के भीतर चार्ज फ्रेम करने ही होंगे. सुनवाई शुरू होने के 45 दिनों के भीतर-भीतर फैसला भी सुनाया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. अब तारीख पर तारीख का खेल खत्म हो गया है. अब न्याय जल्दी मिलेगा. नए कानूनों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मजबूत होगी. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आने वाली कानूनी अड़चन भी दूर होगी.
#WATCH | Chandigarh | While addressing a programme marking the successful implementation of the three new criminal laws, PM Modi says, " with the integration of digital evidence and technology - we will get help to fight against terrorism. in the new laws - terorrists and terror… pic.twitter.com/RBuvqjcatu
— ANI (@ANI) December 3, 2024
आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में मदद मिलेगी : पीएम मोदी ने कहा कि पुरानी प्रणाली में प्रक्रिया सजा थी. आईपीसी में पीड़ित लोगों को ही कानून का डर होता था. पहले अपराधियों से ज्यादा डर निर्दोषों को रहता था. डिजिटल साक्ष्य और प्रौद्योगिकी के एकीकरण के साथ - हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में मदद मिलेगी. नए कानूनों में आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों को इससे कोई फायदा नहीं होगा. भ्रष्टाचार को बल मिलता था, उस पर भी लगाम लगेगी. ज्यादातर विदेशी निवेशक पहले भारत में इसलिए निवेश नहीं करना चाहते थे, क्योंकि कोई मुकदमा हुआ तो उसी में वर्षों निकल जाते, लेकिन ये डर खत्म हुआ, तो अब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
#WATCH | Chandigarh | While addressing a programme marking the successful implementation of the three new criminal laws, PM Modi says, " the intended aim of earlier laws was to punish indians, to keep them slaves. the unfortunate thing is that even decades after independence - our… pic.twitter.com/8brDL4MI0L
— ANI (@ANI) December 3, 2024
अंग्रेजों का मकसद यही था कि भारतीयों को दंड दिया जाए. आजादी के दशकों बाद भी हमारे कानून उसी माइंडसेट के इर्द-गिर्द घूमते रहे. जिनका इस्तेमाल नागरिकों को गुलाम मानकर होता था. आजाद देश में गुलामों में बने कानूनों को क्यों ढोया जाए, ये सवाल न हमने खुद से पूछा, न शासन करने वाले लोगों ने इस पर विचार करने पर जरूरत समझी. गुलामी की इस मानसिकता ने भारत की विकास यात्रा को बहुत ज्यादा प्रभावित किया.
#WATCH | Chandigarh | While addressing a programme marking the successful implementation of the three new criminal laws, PM Modi says, " in the older system - the process was punishment. in a healthy system - the law should work as a support but in ipc - there was one way only -… pic.twitter.com/AdLjVcCQSL
— ANI (@ANI) December 3, 2024
"पुलिस किसी को भी मर्जी से हिरासत में नहीं ले सकेगी" : पीएम ने आगे कहा कि यह भी तय किया गया है कि किसी केस में 2 बार से अधिक स्थगन नहीं लिया जा सकेगा. भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है नागरिक प्राथमिकता. ये कानून नागरिक अधिकारों के संरक्षक बन रहे हैं, न्याय की सुगमता बन रहे हैं. पहले FIR करवाना भी कितना मुश्किल होता था, लेकिन अब शून्य FIR को भी कानूनी रूप दे दिया गया है. अब उसे कहीं से भी केस दर्ज करवाने की सहूलियत मिली है. FIR की कॉपी पीड़ित को दी जाए, उसे ये अधिकार दिया गया है. अब आरोपी के ऊपर कोई केस अगर हटाना भी है तो तभी हटेगा जब पीड़ित की सहमति होगी. अब पुलिस किसी भी व्यक्ति को अपनी मर्जी से हिरासत में नहीं ले सकेगी.
"ये कानून अंग्रेजों ने नहीं भारतीयों ने बनाए हैं" : इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी तीन नये आपराधिक कानूनों को राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि इससे पहले जो कानून थे वो 160 साल पहले बने थे. अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे. नागरिकों की जगह अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे. पीएम मोदी जो तीन कानून लेकर आए हैं, ये भारतीय लोगों ने बनाए हैं. भारतीय संसद में बने हैं और भारत के नागरिकों को सुरक्षा और न्याय मिले इसके लिए बनाए गए हैं. प्रधानमंत्री ने सरकार के सभी विभागों के साथ एक आग्रह रखा कि हमारे प्रशासन में से गुलामी के सभी चिन्हों को समाप्त करके नए भारत की सोच को प्रत्यापित करना चाहिए. मुझे बहुत संतोष है कि देश की 140 करोड़ जनता की सुरक्षा सम्मान और उनके संविधानरत अधिकारों की सुरक्षा करने वाला सिस्टम, हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली आज से पूर्णतया भारतीय बन चुकी है और भारत के लोगों द्वारा बनाए गए कानूनों से आप सभी को न्याय मिलने वाला है.
"आतंकवाद को किया गया परिभाषित" : उन्होंने आगे कहा कि अब तक आतंकवाद और संगठित अपराध की कोई व्याख्या नहीं थी, जिससे आतंकवादियों को फ़ायदा होता था. इन कानूनों में आतंकवाद को परिभाषित किया गया है.
इसे भी पढ़ें : चंडीगढ़ पहुंचे पीएम मोदी, 3 नए क्रिमिनल कानूनों की करेंगे समीक्षा, सुरक्षा कड़ी