नई दिल्ली: महार्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण में भले ही नायक के रूप में भगवान श्री राम हो, लेकिन रावण का व्यक्तित्व भी कम नहीं दिखता है. रावण एक अति विद्धान, महाबलशाली होने के साथ साथ भगवान शंकर का सबसे बड़ा भक्त भी था. लेकिन इस किरदार को निभाना आसान नहीं है. मंच में हजारों दर्शकों के बीच दंभ भरने वाली रावण जैसी आवाज, बोल और कदकाठी के रूप में दिखाना भी जरूरी होता है.
राम भक्ति में सराबोर हो रावण का निभाते हैं रोल : रावण का किरदार निभाने वाले कलाकारों को मालूम होता है कि जो सम्मान प्रभु राम, लक्ष्मण और हनुमान का रोल करने वालों को मिलता है. वैसा सम्मान कभी भी रावण को नहीं मिलता. इसके बावजूद भी वह अपना किरदार पूरी श्रद्धा और लगन के साथ निभाते हैं. ऐसे ही एक कलाकार हैं सुनील मेहरा. यह बीते कई वर्षों से रामलीला के मंचन में रावण का किरदार निभाते आ रहे हैं.
राम के किरदार को प्यार रावण को केवल तिरस्कार : रामलीला देखने आने वाले लोगों द्वारा राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान का किरदार निभाने वाले कलाकरों को लोगों को प्यार मिलता है. लोग उनके पैर तक छूते हैं. लेकिन जो रावण का किरदार करता है उनसे केवल नफरत का भाव मिलता है. हर कोई रावण को हारता हुआ देखना चाहता है. फिर भी कलाकार राम भक्ति के लिए रावण का रोल करते हैं. सुनील का मानना है कि ' समाज में रावण को जितना ऊंचा पद दिया जायेगा, भगवान राम का पद अपने आप उतना होता चला जायेगा. उन्हें फर्क नहीं पड़ता लोग क्या बोलते हैं. वे तो केवल राम भक्ति के भाव से रावण का किरदार निभाते हैं और आगे भी निभाते रहेंगे."
परिवार का पूरा समर्थन : लीला स्थल पर मौजूद सुनील की पत्नी साक्षी मेहरा ने बताया कि उनको गर्व है उनके पति रावण का किरदार निभाते हैं. रावण सर्वोपरि ज्ञानी था. मात्र एक गलती की वजह से उसे सामाजिक बहिष्कार झेलन पड़ा. परिवार के सभी लोगों को भी अच्छा लगता है. सभी के अंदर उत्सुकता होती है. जल्द से जल्द लीलाओं का दौर शुरू हो सुनील रावण बने. खास तौर में उनके नाती को वह रोज़ रामलीला देखने आता है और अपने नाना के रोल के आने का इंतज़ार करता है.
रावण दहन एक सन्देश है : सुनील आगे बताते हैं कि रामलीला के अंतिम दिन जब दशहरा मनाया जाता है उस दिन भी वह बहुत खुश होते हैं. क्योंकि रावण दहन के साथ समाज को यह सन्देश दिया जाता है कि असत्य पर हमेशा सत्य की ही जीत होती है. रावण के दस सिर थे. जिनको लोभ, इर्षा, अहंकार आदि का प्रतीक माना जाता है. प्रभु राम ने एक एक कर के रावण में मौजूद सभी बुराइयों का अंत कर दिया. ताकि अंत में वह रावण को अपने साथ वैकुण्ठ धाम ले जा सकें. इससे यह संदेश मिलता है. जिस इंसान के अंदर सभी बुराइयों का अंत हो जायेगा. वह प्रभु राम के दरबार में जाने लायक हो जायेगा.
रामकृष्ण्पुरम धार्मिक रामलीला कमिटी : बता दें कि राजधानी के आर के आश्रम स्थित रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली रामकृष्ण्पुरम धार्मिक रामलीला कमिटी में सुनील रावण का किरदार निभा रहे हैं. रामलीला का निर्देशन मोहित शर्मा द्वारा किया जा रहा है. मोहित ने 1999 से रामलीला में प्रभु राम का किरदार निभाना शुरू किया था. अब खुद का प्रोडक्शन हाउस चलाते हैं. इस बार भी वह खुद ही राम के किरदार में हैं. मोहित के विषय में रोचक बात यह है कि वह रामलीला शुरू होने से लेकर रावण दहन तक जमीन पर सोते हैं और खाने में लहसुन प्याज़ का सेवन भी बंद कर देते हैं.
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