देहरादून: दस मई को गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा की विधिवत शुरुआत हो जाएगी. चारधाम यात्रा को लेकर शासन-प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटे हुए है. लोक निर्माण विभाग ने भी अपनी लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली है.
उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि कि चारधाम की यात्रा 10 मई से शुरू होने जा रही है, जिसकी तैयारियां लंबे समय से की जा रही थी. करीब एक महीना पहले वो खुद केदारनाथ और बदरीनाथ धाम का निरीक्षण करने गए थे. वर्तमान समय में अपर सचिव केदारनाथ और बदरीनाथ धाम मार्गों का निरीक्षण कर रहे है. वहीं अगले वो खुद गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की सड़कों का निरीक्षण करने जा रहे है.
सचिव पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि जिन सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है, उनका भी समय-समय पर रिव्यू किया जा रहा है. इसके साथ ही बदरीनाथ में, जोशीमठ से आगे, धरासू से लेकर गंगोत्री के बीच और बड़कोट से लेकर जानकीचट्टी के बीच की सड़कों के वाइडनिंग का काम चालू है. सड़कों की वाइडनिंग को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से कमेटी बनाई गई है. कमेटी निरीक्षण के बाद ये बताएगी कि सड़कों की वाइडनिंग कितनी की जानी है. सिर्फ यही काम प्रोसेस में है, बाकी सारे कामों को पूरा कर लिया गया है.
सचिव पंकज कुमार पांडेय के मुताबिक लैंडस्लाइड वाले स्थानों को लेकर भी नए प्रोजेक्ट शुरू किए गए है. लैंडस्लाइड क्षेत्रों में जेसीबी की व्यवस्था पहले ही कर दी गई है. ताकी रास्ता खुलने में ज्यादा समय न लगे. चारधाम जाने वाले मार्ग पूरी तरह से दुरुस्त है. इसके साथ ही वैकल्पिक मार्ग भी चिन्हित किए गए है कि अगर कोई सड़क बाधित होती है तो वैकल्पिक मार्ग के जरिए यातायात सुचारू किया जा सके इसका पूरा प्लान तैयार किया जा चुका है.
वर्तमान समय में धरातल पर भी टीम वैकल्पिक मार्गो को जांच रही है, ताकि स्थानीय जनता को दिक्कत ना हो. सचिव पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि पिछले साल रोड सेफ्टी के लिए बड़ा फंड मिला था, जिसके चलते करीब 700 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को स्वीकृत किया गया था, जिसपर काम चल रहा है.
आचार संहिता लागू होने से पहले जो काम शुरू हुए थे, वो पूरा हो चुके है और कुछ काम आचार संहिता खत्म होने के बाद शुरू होंगे. पर्वतीय क्षेत्रों पर हो रहे रोड सेफ्टी के कामों की गुणवक्ता को जांचने के लिए टीम लगाया गया है. साथ ही कहा कि सरकार की कोशिश है कि पर्वतीय क्षेत्रों में सभी एनएच और एसएच पर रोड सेफ्टी के काम किए जाए.
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