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यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने के खिलाफ पीथमपुर में पैदल मार्च, जलाने का विरोध शुरू - Pithampur Union Carbide Toxic Waste

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 6:19 PM IST

भोपाल के यूनियन कार्बाइड में गैस कांड होने के बाद यहां बचे अवशिष्ट और कचरे को पीथमपुर में जलाने पर सहमति बनी थी. इस मामले में केन्द्र सरकार ने हाईकोर्ट में भी पक्ष रखा था. अब इसी कचरे को यहां जलाने को लेकर विरोध शुरू हो गया है.

PITHAMPUR UNION CARBIDE TOXIC WASTE
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे के खिलाफ पैदल मार्च (ETV Bharat)

इंदौर: 40 साल पहले भोपाल में हुई दुनिया की सबसे भीषण यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी में बचे कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध शुरू हो गया है. पीथमपुर की रामकी कंपनी में इसे जलाने को लेकर भारत सरकार की सहमति बनने के बाद पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने कचरे को जलाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का विरोध शुरू

भोपाल के यूनियन कार्बाइड में गैस कांड होने के बाद यहां बचे अवशिष्ट और कचरे को जलाने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है. इस मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद सहमति बनी थी कि पीथमपुर स्थित रामकी फैक्ट्री मे इसे जलाया जा सकता है लेकिन अब भारतीय मानव अधिकार परिषद एवं पीथमपुर बचाव समिति द्वारा कचरे के रासायनिक दुष्प्रभाव की आशंका के चलते पीथमपुर में इसे जलाने का विरोध किया जा रहा है. इसी के विरोध में मंगलवार को रीगल तिराहे पर प्रदर्शन किया और रैली निकालकर संभाग आयुक्त कार्यालय में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया.

'कचरा जलाना स्वास्थ्य के लिए घातक'

भारतीय मानव अधिकार परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सलीम शेख और पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष हेमंत हीरोले का कहना है कि "जहरीला रासायनिक युक्त कचरा ना केवल पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के पर्यावरण की दृष्टि से खतरनाक है बल्कि आम जनता और बच्चों के भविष्य के स्वास्थ्य के साथ भी यह घातक साबित होगा. 40 साल पहले हम भोपाल गैस त्रासदी में इस जहरीले गैस कांड से पीड़ित लोगों की दशा देख चुके हैं और भोपाल गैस त्रासदी का दुखद अनुभव अभी भी सभी को है. यदि उनकी मांगों को नहीं माना जाता है तो कोर्ट में अपील दायर करेंगे."

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हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का जहरीला कचरा कब उठाओगे

कोर्ट का फैसला आने के बाद बनी थी सहमति

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का विनष्टीकरण पीथमपुर में होगा. एमपी हाईकोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने एमपी हाईकोर्ट में लगभग 3 माह पहले जवाब पेश किया था. हाईकोर्ट में जानकारी दी गई थी कि 347 मीट्रिक टन रासायनिक कचरे के विनष्टीकरण के लिए प्रदेश सरकार को 126 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की जा चुकी है. सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि ओवरसाइट समिति ने अपनी बैठक में निर्णय लिया कि संयंत्र में संग्रहित रासायनिक कचरे का निपटान पीथमपुर औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पीथमपुर में किया जाएगा. इस कार्य में 185 से 377 दिन का समय लगने की संभावना है.

इंदौर: 40 साल पहले भोपाल में हुई दुनिया की सबसे भीषण यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी में बचे कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध शुरू हो गया है. पीथमपुर की रामकी कंपनी में इसे जलाने को लेकर भारत सरकार की सहमति बनने के बाद पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने कचरे को जलाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

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भोपाल के यूनियन कार्बाइड में गैस कांड होने के बाद यहां बचे अवशिष्ट और कचरे को जलाने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है. इस मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद सहमति बनी थी कि पीथमपुर स्थित रामकी फैक्ट्री मे इसे जलाया जा सकता है लेकिन अब भारतीय मानव अधिकार परिषद एवं पीथमपुर बचाव समिति द्वारा कचरे के रासायनिक दुष्प्रभाव की आशंका के चलते पीथमपुर में इसे जलाने का विरोध किया जा रहा है. इसी के विरोध में मंगलवार को रीगल तिराहे पर प्रदर्शन किया और रैली निकालकर संभाग आयुक्त कार्यालय में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया.

'कचरा जलाना स्वास्थ्य के लिए घातक'

भारतीय मानव अधिकार परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सलीम शेख और पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष हेमंत हीरोले का कहना है कि "जहरीला रासायनिक युक्त कचरा ना केवल पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के पर्यावरण की दृष्टि से खतरनाक है बल्कि आम जनता और बच्चों के भविष्य के स्वास्थ्य के साथ भी यह घातक साबित होगा. 40 साल पहले हम भोपाल गैस त्रासदी में इस जहरीले गैस कांड से पीड़ित लोगों की दशा देख चुके हैं और भोपाल गैस त्रासदी का दुखद अनुभव अभी भी सभी को है. यदि उनकी मांगों को नहीं माना जाता है तो कोर्ट में अपील दायर करेंगे."

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