सरगुजा : अम्बिकापुर में इन दिनों पिकल गर्ल चर्चा में हैं. कॉलेज की इस छात्रा के स्टार्टअप ने इसे चर्चा का विषय बना दिया है. असल में पुरुष स्ट्रीट वेंडर्स की लाइन में जब एक पढ़ी लिखी लड़की दिखी तो यह असामान्य सा लगा और फिर चर्चा शुरू हो गई. अकेली छात्रा चौक के किनारे ठेला लगाकर अपना अचार बेचती है.
मां के संघर्ष ने बनाया मजबूत : रुचिका ने अपने मां के संघर्ष को करीब से देखा.इसलिए अब रुचिका ने फैसला किया है कि वो अपने मां के काम में हाथ बटाकर उनका बोझ हल्का करेगी. रूचिका जनवरी 2024 से अचार बेचने का काम कर रही है. मां आचार बनाती है और बाजार में बेचने में उनका सहयोग करती है. हर महीने अचार बेचकर इस परिवार को 30 हजार रुपये की कमाई हो जाती है.
''पिता ने मां को मेरे जन्म के बाद ही छोड़ दिया था, उनका किसी और से अफेयर था, तब से मां ने अकेले पाला है, मां कांच के बर्तन बेचकर पैसे कमाती थी, लोगों के घरों में झाड़ू बर्तन करती थी. लेकिन अब सब ठीक है. मैं मां का साथ दे रही हूं अचार के बिजनेस से जीवन बेहतर हैं, मैं लड़कियों के लिये उदाहरण बनना चाहती हूँ, क्योंकि लड़कियां दूसरे कामों में ज्यादा उलझी रहती है. रील बनाती हैं. उन्हें अपने माँ की मदद करनी चाहिए"- रुचिका गुप्ता, पिकल गर्ल
रुचिका अचार बेचकर उन बेटियों को नसीहत दे रही हैं जो सोशल मीडिया के चक्कर में अपना समय बर्बाद करती हैं.रुचिका के मुताबिक वो उन बेटियों से बेहतर हैं जो रील्स बनाकर समय का सदुपयोग नहीं करतीं.यदि आपके अंदर किसी भी तरह का हुनर है तो उसे सामने लाईए,ताकि आपका जीवन बेहतर हो सके.रूचिका और उसकी मां की संघर्ष की कहानी लंबी है.मां ने तकलीफें सहीं और बेटी को लायक बनाया. लेकिन अब बेटी मां का सहारा बन चुकी है. रुचिका अपनी मां को बेटे की कमी महसूस नहीं होने दे रही हैं. खुद का स्टार्टअप कर पैसे कमाने घर से बाहर निकल चुकी हैं. बेझिझक स्ट्रीट वेंडर्स की लाइन में खड़ी ये पिकल गर्ल अपनी तकदीर खुद लिख रही है.