जयपुर : राजस्थान में सियासी संकट के समय चर्चा में आया फोन टैपिंग का मामला अब एक बार फिर सुर्खियों में है. इस मामले में बड़ा अपडेट यह है कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा अब इस मामले में सरकारी गवाह बन गए हैं. लोकेश शर्मा ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सरकारी गवाह बनने के लिए अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है. ऐसे में इस पूरे मामले को लेकर राजस्थान की सियासत का पारा फिर से बढ़ने के आसार हैं.
लोकेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने 8 दिसंबर को सरकारी गवाह बनने की अर्जी कोर्ट में दी थी, जिसे आज कोर्ट की मंजूरी मिल गई है. उनसे हुई पूछताछ में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, अब क्राइम ब्रांच उन्हें भी जांच प्रक्रिया में शामिल करेगी. जल्द ही उन लोगों से पूछताछ भी हो सकती है.
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25 नवंबर को गिरफ्तारी, तत्काल मिली जमानत : पूर्व जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से 2021 में दर्ज करवाए गए फोन टैपिंग के मामले में 25 नवंबर को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने लोकेश शर्मा को गिरफ्तार किया और तुरंत जमानत पर रिहा कर दिया. लोकेश शर्मा ने बताया था कि उन्होंने 21 नवंबर को ही पटियाला हाउस कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली थी. थाने में गिरफ्तारी के कागजात बने और फिर वहीं से उन्हें जमानत मिल गई थी.
लोकेश शर्मा नामजद, बाकी अन्य आरोपी : मार्च 2021 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टैपिंग मामले को लेकर दिल्ली क्राइम ब्रांच में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें मुख्य अभियुक्त के रूप में लोकेश शर्मा को नामजद किया गया. हालांकि, अन्य आरोपियों के नाम इसमें शामिल नहीं थे. लोकेश शर्मा ने इस एफआईआर को निरस्त करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे 14 नवंबर 2024 को उन्होंने वापस ले लिया. याचिका वापस लेने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक भी हट गई थी.
सियासी संकट के समय सामने आया था ऑडियो : राजस्थान में 2020 के दौरान सियासी उठापटक का दौर था. चर्चा थी कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है और गिर सकती है. उसी समय एक ऑडियो क्लिप सामने आया था, जिसमें कथित रूप से विधायकों की खरीद-फरोख्त की बातचीत रिकॉर्ड थी. इस ऑडियो के बाहर आने के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली क्राइम ब्रांच में मुकदमा दर्ज करवाया था.