नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिटकुल के जीएम (विधि) प्रवीण टंडन की अपने निलंबन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने प्रबंध निदेशक की ओर से जारी निलंबन आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और साफ किया है कि निलंबन दंड नहीं है.
प्रवीण टंडन का कहना था कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी होने के नाते निदेशक मंडल को निलंबन आदेश जारी करना चाहिए था. प्रभारी प्रबंध निदेशक के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. पीटीसीयूएल (पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड) के महाप्रबंधक (एचआर) की ओर से दाखिल जवाबी शपथ पत्र में कहा गया है कि निदेशक मंडल ने एमडी को शक्ति सौंपी थी. ऐसे में बोर्ड से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता के बिना याचिकाकर्ता को निलंबित करने का अधिकार है. ये देखते हुए कि प्रबंध निदेशक को महाप्रबंधक को हटाने के लिए निदेशक मंडल की शक्ति दी गई है, निलंबन आदेश को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता के आधार को अस्वीकार्य माना गया.
गौरतलब है कि पहली जून 2023 को पिटकुल के जीएम विधि प्रवीन टंडन को वैधानिक कार्य दायित्वों के निर्वहन में बरती जा रही लापरवाही, कामों के प्रति उदासीनता, गंभीर दुराचार, व्यापक अनुशासनहीनता, महिलाओं के विरुद्ध झूठे वाद दायर करना, वैधानिक कार्यों में व्यवधान पैदा करना आदि आरोप पत्र देते हुए निलंबित कर दिया गया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि टंडन को कुल 11 आरोप-पत्र जारी किए गए थे.
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने निर्धारित किया कि आरोपित निलंबन आदेश को चुनौती देने के लिए प्रस्तुत आधारों के आधार पर हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं थी. रिट याचिका का निपटारा सक्षम प्राधिकारी को अदालत के आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तिथि से चार महीने के भीतर अनुशासनात्मक जांच समाप्त करने के निर्देश के साथ किया गया.
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