देहरादून: अक्सर चर्चाओं में रहने वाला उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. कुछ समय पहले नर्सिंग अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ था तो वहीं अब नर्सिंग अधिकारियों की नीयत को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है. जिसको देखते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक ने एक बार फिर सख्त रुख अख्तियार किया है. महानिदेशक ने कई जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर नर्सिंग अधिकारियों के प्रमाण पत्रों की दोबारा जांचकर पुष्टि करने के संबंध में जानकारी मांगी है.
दरअसल, नर्सिंग अधिकारियों के नियुक्ति के दौरान विभाग की ओर से मांगे गए तमाम प्रमाण पत्रों की जांच पूर्व में कराई गई थी, लेकिन संविदा एवं बेरोजगार नर्सिंग संघ ने तमाम नर्सिंग अधिकारियों के स्थायी निवास प्रमाण पत्र को लेकर इस सवाल खड़े किए थे. साथ ही 20 मई 2024 को इस संबंध में शिकायत भी की थी. लिहाजा, मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक तारा आर्य ने एक बार फिर नर्सिंग अधिकारियों के प्रमाण पत्रों की जांच कराए जाने को लेकर जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है.
वहीं, चयनित 8 नर्सिंग अधिकारियों के फर्जी प्रमाण पत्र की शिकायत पर स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से 21 दिसंबर 2023 को कमेटी गठित की गई थी. ताकि, इन नर्सिंग अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच की जा सके. जांच के बाद गठित कमेटी ने इन सभी नर्सिंग अधिकारियों को क्लीन चिट दे दिया था. जिसके बाद उन्हें नियुक्ति दे दी गई थी, लेकिन एक बार फिर से संविदा एवं बेरोजगार नर्सिंग संघ की ओर से शिकायत किए जाने पर इनमें से पांच नर्सिंग अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक ने जिला अधिकारियों को पत्र लिखा है.
इनके स्थायी निवास प्रमाण पत्रों की हो रही जांच: संविदा एवं बेरोजगार नर्सिंग संघ की शिकायत के आधार पर सुरेंद्र यादव के स्थायी निवास प्रमाण पत्र की जांच के लिए नैनीताल डीएम को पत्र भेजा गया है. आशीष भारद्वाज और मनीष जगरिया के स्थायी निवास प्रमाण निवास के सभी दस्तावेजों की जांच के लिए देहरादून डीएम को पत्र भेजा गया है. कुमारी सोनिया सिंह के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए हरिद्वार जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया है. साथ ही मनीष कुमार सैनी के नर्सिंग काउंसिल रजिस्ट्रेशन की जांच के लिए नर्सिंग काउंसिल को पत्र भेज कर जानकारी मांगी है.
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