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Rajasthan: फर्जी क्लेम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है बीमा कंपनी: स्थाई लोक अदालत

स्थाई लोक अदालत ने एक मामले में आदेश देते हुए कहा कि फर्जी क्लेम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बीमा कंपनी स्वतंत्र है.

Permanent Lok Adalat
स्थाई लोक अदालत (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 2, 2024, 10:16 PM IST

जयपुर: जिले की स्थाई लोक अदालत ने फर्जी व झूठे क्लेम के मामलों को गंभीरता से लेते हुए बीमा कंपनियों को कहा है कि वे ऐसा करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. वहीं कोर्ट ने विपक्षी बीमा कंपनी चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ 9.16 लाख रुपए की क्लेम याचिका खारिज कर दी. स्थाई लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी अनूप कुमार सक्सेना व दीपक चाचान ने यह आदेश सुरेश कुमार गुर्जर की याचिका पर दिया.

लोक अदालत ने कहा कि प्रार्थी ने ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है जिससे साबित हो कि जिस ट्रॉली का एक्सीडेंट होना बताया है, उसकी मरम्मत कब और किससे करवाई व इसकी सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को क्यों नहीं दी. ऐसा लगता है कि प्रार्थी ने अपने वाहन में कोई अन्य ट्रॉली जोड़कर यह झूठा क्लेम दायर किया है. मामले से जुड़े अधिवक्ता रविन्द्र शर्मा ने बताया कि प्रार्थी ने याचिका दायर कर कहा कि उसने विपक्षी बीमा कंपनी से अपनी टाटा सिग्ना-लाइन ट्रॉली की पॉलिसी 19 अगस्त, 2020 को ली थी.

पढ़ें: संशोधित मार्कशीट पाकर छात्र के चेहरे पर लौटी खुशी, बॉर्ड पर 1,10,000 का जुर्माना - District Legal Services Authority

इस दौरान 17 सितंबर, 2020 को वाहन का एक्सीडेंट हो गया. उसने बीमा कंपनी को इसकी सूचना दे दी. वाहन को मरम्मत के लिए वर्कशॉप पर दिया और इसका 9.16 लाख रुपए का बिल कंपनी को दिया, लेकिन कंपनी ने उसे क्लेम नहीं दिया. इसे स्थाई लोक अदालत में चुनौती देते हुए बीमा कंपनी से क्लेम दिलवाने का आग्रह किया. वहीं बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि क्लेम याचिका मिलीभगत कर दायर की गई है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद लोक अदालत ने क्लेम याचिका को खारिज कर दिया है.

जयपुर: जिले की स्थाई लोक अदालत ने फर्जी व झूठे क्लेम के मामलों को गंभीरता से लेते हुए बीमा कंपनियों को कहा है कि वे ऐसा करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. वहीं कोर्ट ने विपक्षी बीमा कंपनी चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ 9.16 लाख रुपए की क्लेम याचिका खारिज कर दी. स्थाई लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी अनूप कुमार सक्सेना व दीपक चाचान ने यह आदेश सुरेश कुमार गुर्जर की याचिका पर दिया.

लोक अदालत ने कहा कि प्रार्थी ने ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है जिससे साबित हो कि जिस ट्रॉली का एक्सीडेंट होना बताया है, उसकी मरम्मत कब और किससे करवाई व इसकी सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को क्यों नहीं दी. ऐसा लगता है कि प्रार्थी ने अपने वाहन में कोई अन्य ट्रॉली जोड़कर यह झूठा क्लेम दायर किया है. मामले से जुड़े अधिवक्ता रविन्द्र शर्मा ने बताया कि प्रार्थी ने याचिका दायर कर कहा कि उसने विपक्षी बीमा कंपनी से अपनी टाटा सिग्ना-लाइन ट्रॉली की पॉलिसी 19 अगस्त, 2020 को ली थी.

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इस दौरान 17 सितंबर, 2020 को वाहन का एक्सीडेंट हो गया. उसने बीमा कंपनी को इसकी सूचना दे दी. वाहन को मरम्मत के लिए वर्कशॉप पर दिया और इसका 9.16 लाख रुपए का बिल कंपनी को दिया, लेकिन कंपनी ने उसे क्लेम नहीं दिया. इसे स्थाई लोक अदालत में चुनौती देते हुए बीमा कंपनी से क्लेम दिलवाने का आग्रह किया. वहीं बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि क्लेम याचिका मिलीभगत कर दायर की गई है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद लोक अदालत ने क्लेम याचिका को खारिज कर दिया है.

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