कैमूरः बिहार के कैमूर में मगरमच्छ की मौत के बाद वन विभाग कार्रवाई में जुट गयी है. मारने वालों की पहचान कर जेल भेजा जाएगा. दरअसल, मामला जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र के निबिया ताड़ गांव की है. नहर में एक मगरमच्छ मृत अवस्था में मिला. स्थानीय लोगों ने बताया कि चैनपुर थाना क्षेत्र में मछली मारने के दौरान मछुआरों की जाल में मगरमच्छ फंस गया था. इसके बाद मछुआओं ने इसे पीट-पीटकर मार डाला और नहर में लाकर फेंक दिया.
पुलिस की डर से नहर में फेंकाः लोगों ने बताया कि मछुआरों ने पुलिस की डर से मगरमच्छ को नहर में फेंक दिया. निबिया ताड़ गांव के नहर के फाटक में मगरमच्छ देखा गया. स्थानीय संजू कुमार और जितेंद्र कुमार द्वारा बताया गया कि नहर के पास मगरमच्छ देखते ही भीड़ लग गयी. करीब 1 घंटे तक लोग जुटे रहे. इसी दौरान किसी ने डंडे के सहारे मगरमच्छ को हिलाया तो वह मर चुका था. इसके बाद वन विभाग को सूचना की गई, जहां वन विभाग की टीम पहुंचकर मगरमच्छ के शव को नहर से बाहर निकला है.
"मैं इसी रास्ते से जा रहा था. यहां पर भीड़ लगी थी. आए तो देखे कि नहर में मगरमच्छ मरा पड़ा था. इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गयी है. वन विभाग की टीम आकर मगरमच्छ के शव को ले गयी." -संजू कुमार, ग्रामीण
शरीर पर चोट के निशानः इस संबंध में कैमूर डीएफओ चंचल प्रशासम ने बताया कि निबिया टांड़ गांव के बगल से एक नहर गुजरी है. वहीं मगरमच्छ फाटक में फंसकर पड़ा हुआ था. वन विभाग के कर्मी पहुंचकर फटाक से मगरमच्छ को बाहर निकाला तो वह मरा हुआ था. उन्होंने बताया कि मगरमच्छ के शरीर पर चोट के भी निशान थे. किसी ने इसको पीट पीटकर मार डाला. मगरमच्छ की लंबाई लगभग 4.5 फीट है.
"ग्रामीणों से पूछताछ में पता चला कि चैनपुर के इलाके में मछुआरे मगरमच्छ को पकड़े हुए थे. मछुआओं ने पीट पीटकर मार डाला और लाकर नहर में डाल दिया. नहर में पानी के बहाव से बहते हुए निबिया टाड़ गांव के नहर के पास फाटक में फंस गया. वन विभाग द्वारा पोस्टमार्टम कराने के बाद दाह संस्कार किया गया है. जो भी इसमे संलिप्त होंगे उनके खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी." -चंचल प्रकाशम, डीएफओ कैमूर
भारतीय वन संरक्षण अधिनियम क्या है: जीवों के संरक्षण हेतु बनाए गए कानून है. इंसान की तरह जानवरों को भी जीने का अधिकार है. इसलिए जानवरों की रक्षा करने के लिए भारतीय वन संरक्षण अधिनियम 1972 में बनाया गया. इसके बाद इसमें संसोधन कर वन संरक्षण अधिनियम 2002 बनाया गया. इसके तहत कई प्रावधान किए गए हैं.
10 साल की सजाः वन्यजीव के शिकार, हाड़ मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाने के लिए यह कानून है. सबसे कठोर सजा स्टार कछुए की तस्करी और उसकी हत्या पर दी जाती है. 10 हजार रुपए जुर्माना और 10 साल की गैर जमानती जेल है. भारतीय वन्यजीव अधिनियम अनुसूची 1 और 2 के तहत जीव के शिकार या अभ्यारण या राष्ट्रीय उद्यान सीमा को बदलने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. कम से कम 3 साल और उससे ज्यादा 7 साल की सजा हो सकती है. जुर्माना 10 हजार से 25 हजार तक रखा जा सकता है.
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