बेतिया: बिहार के बेतिया में आम जनता को नगर निगम की गलती का भुगतान करना पड़ रहा है. जिसका असर सुप्रिया रोड में देखने को मिल रहा है. यहां पर कई बड़े-बड़े मॉल है. बेतिया का सबसे पॉश इलाका माने जाने वाला सुप्रिया रोड में स्थित मॉल कर्मी परेशान है क्योंकि उनके यहां अब कोई आने को तैयार नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि सामान खरीदने मॉल पहुंच रहे लगों को अपने वाहन के लिए हर्जाना देना पड़ रहा है.
पार्किंग की समस्या से आम जनता परेशान: नगर निगम की लापरवाही के कारण बड़े-बड़े मॉल सुप्रिया रोड में बनकर तैयार हैं लेकिन उन मॉल के द्वारा पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई है. नगर निगम द्वारा पार्किंग की व्यवस्था बिना देखे नक्शा पास कर दिया गया. जिसका खामियाजा आज आम जनता भुगत रही है. शादी के समय लोग खरीदारी करने मॉल आ रहे हैं, लेकिन जैसे ही मॉल के बाहर उनका पार्क होता है, उसे जप्त कर लिया जा रहा है. साथ ही उनसे जुर्माने की राशि वसूली जा रही है.
500 रुपये की खरीदारी पर 1000 रुपये का जुर्माना: सुप्रिया रोड में कई बैंक है. जहां लोग जरूरी काम के लिए आ रहे हैं लेकिन उनकी बाइक को नगर निगम उठाकर जप्त कर ले जा रही है. ऐसे में आम जनता परेशान है. बाजार में लोग अगर 500 रुपये की खरीदारी करने आ रहे हैं, तो 1000 रुपये का जुर्माना लग रहा है. वहीं जब इस बारे में बेतिया नगर निगम के नगर आयुक्त विनोद कुमार ने बताया कि उनकी पोस्टिंग अभी हुई है. इसके पहले जिन्होंने नक्शा पास किया उसके बारे में उन्हें नहीं पता है. वहीं उन्हें जानकारी मिली कि इस रोड में जाम की समस्या बनी रहती है, जिस कारण रोड के दोनों साइड से अतिक्रमण हटाया जा रहा है.
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"यह गलती मॉल वालों की है कि उन्होंने पार्किंग की व्यवस्था नहीं की. ट्रैफिक की समस्या का कारण सड़क के दोनों किनारे से अतिक्रमण को मुक्त कराया जा रहा है, ताकि शहर को जाम की समस्या से मुक्ति मिल सके. मॉल वालों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए बोला जाएगा. अगर जरूरत होगी तो उनके साथ बैठक भी की जाएगी."-विनोद कुमार, नगर आयुक्त, नगर निगम
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किसकी है ये लापरवाही?: ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप का खेल कर नगर निगम बचना चाहता है? क्या नगर निगम के अधिकारी इतने लापरवाह थे कि इतने बड़े-बड़े मॉल बन गए लेकिन पार्किंग की व्यवस्था करने के लिए उन्हें नहीं कहा गया. वहीं मॉल के द्वारा पार्किंग के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है. जिसका खामियाजा आज जनता को भुगतना पड़ रहा है.
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