श्रीनगर: इन दिनों श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध बेस अस्पताल विवादों में घिरता नजर आ रहा है. कुछ दिन पहले मेडिकल कॉलेज की ओर से दी गई तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसे लेकर आज स्थानीय लोगों ने श्रीनगर कोतवाली का घेराव किया. जिससे बेस अस्पताल डायलिसिस का मामला गरमा गया.
स्थानीय लोगों का कहना है कि आम जनता डायलिसिस सुविधा सुचारू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रही थी. ऐसे में डायलिसिस यूनिट को ठीक करने के बजाय अस्पताल प्रशासन ने सही मांग उठाने वाले लोगों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करवा दिया. जबकि, मुकदमा उन डॉक्टरों पर होना चाहिए था, जिन्होंने आम जनता को परेशान करते हुए अस्पताल में ओपीडी सेवाओं को बंद रखा. वहीं, लोगों ने डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं करने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.
बता दें कि राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के टीचिंग बेस अस्पताल में बंद पड़ी डायलिसिस यूनिट को लेकर उपजे विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार को डायलिसिस मामले में धरने में बैठे स्थानीय लोगों, छात्र नेताओं और मरीजों ने कोतवाली पहुंचकर ओपीडी बंद करने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई न होने पर रोष व्यक्त किया. इस दौरान स्थानीय लोगों और छात्रों ने कोतवाली में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की.
स्थानीय लोगों का आरोप: छात्र नेता एवं स्थानीय निवासी शैलेश मलासी, विभोर बहुगुणा, यशीष रावत ने कहा कि अस्पताल प्रशासन की ओर से उन पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवाए गए हैं. उनकी ओर से न ही सरकारी कामों में किसी भी प्रकार की कोई व्यवधान पैदा नहीं किया गया, न ही किसी डॉक्टर के साथ अभद्र व्यवहार किया गया.
उनका कहना है कि डॉक्टरों ने इंटर्न और जेआर को मोहरा बनाकर ओपीडी बंद करवाई. ओपीडी बंद होने दूर-दराज से आने वाले मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ा. कहा कि डायलिसिस की तीन रिपोर्ट सही आने के बाद भी चिकित्सा प्रशासन द्वारा रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल की लापरवाही के कारण श्रीनगर से डायलिसिस करवा रहे जखोली के निवासी की सतपुली में मौत हो गई. बेस अस्पताल में डायलिसिस ले रहे 90 मरीजों से अब केवल 70 ही रह गए हैं. उनका कहना है कि यदि अस्पताल प्रशासन का इस तरह का रवैया रहा तो अन्य मरीजों की जान जा सकती है.
उन्होंने अस्पताल के एक डॉक्टर पर साल 2017 से उन्हीं के अंडर इलाज ले रहे एक मरीज पर मुकदमा दर्ज करवाने का आरोप लगाया है. जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हाल ही एम्स ऋषिकेश में उसकी किडनी ट्रांसप्लांट होनी है. उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पूछा कि क्या मरीज अपने हक के नहीं लड़ सकता है?
मरीजों ने कही ये बात: वहीं, बेस अस्पताल श्रीनगर से डायलिसिस ले रहे मरीज प्रमोद रतूड़ी ने कहा कि वो साल 2017 से डायलिसिस ले रहे हैं. डायलिसिस यूनिट को लेकर कई बार अस्पताल प्रशासन के साथ सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की जा चुकी है, बावजूद इसके कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई. यदि जल्द से डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज नहीं होता है, वो उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
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