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मोदी सरकार की नीतियों से खफा कर्मचारी और पेंशनर्स, देश में महा आंदोलन की तैयारी - Pensioners Employees Protest - PENSIONERS EMPLOYEES PROTEST

देश के सरकारी कर्मचारी व पेंशनर्स केंद्र सरकार की नीतियों से नाराज हैं. 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट का उन्हें इंतजार है. अगर यहां बात नहीं बनी तो फिर देशभर में आंदोलन की चेतावनी कर्मचारियों ने दी है.

PENSIONERS EMPLOYEES PROTEST
मोदी सरकार की नीतियों से खफा कर्मचारी और पेंशनर्स, (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 16, 2024, 5:14 PM IST

Pensioners Employees Protest: केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर 40 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारी व पेंशनर्स मुखर हो गए हैं. 7 सूत्रीय लंबित मांगो को लेकर सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि इससे पहले कर्मचारी और पेंशनर्स ने मांगे पूरी करने के लिए सरकार को चेतावनी दी है. मांगों से संबंधित नोटिस भी कैबिनेट सचिव को भेजा जा चुका है. यदि 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में उनकी मांगों पर विचार नहीं होता, तो वे देश भर में सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करेंगे.

Employees Pensioners Demand
कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी (ETV Bharat)

19 जुलाई को देशभर में जताएंगे विरोध

देश भर में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स से जुड़े करीब 130 संगठन हैं. जो सरकार को लंबित मांगों पर ध्यानाकर्षण के लिए 19 जुलाई को सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे. सभी संगठनों से संबंद्ध कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है, कि 19 जुलाई को लोग अपने कार्यालयों में लंच के समय विरोध प्रदर्शन करेंगे. हालांकि पोस्ट आफिस के अधिकतर कर्मचारी फील्ड में रहते हैं, इसलिए वो शाम छह बजे के बाद प्रदर्शन करेंगे.

ये हैं केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की प्रमुख मांगे

  1. कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग का तत्काल गठन किया जाए.
  2. एनपीएस खत्म करने के साथ सभी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए.
  3. कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 18 महीने का डीए व डीआर जारी करना, जो कि कोविड-19 महामारी के दौरान रोक दिया गया था. वर्तमान में 15 वर्षों के बजाय 12 वर्षों के बाद पेंशन के रूपांतरित हिस्से की बहाली.
  4. अनुकंपा नियुक्ति पर 5 प्रतिशत की सीमा हटाएं, मृत कर्मचारी के सभी आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दें.
  5. सभी विभागों में सभी संवर्गों के रिक्त पदों को भरें, सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और ठेकेदारीकरण बंद करें.
  6. जेसीएम तंत्र के प्रावधानों के अनुसार एसोसिएशन व फेडरेशनों की लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली सुनिश्चित करें. लंबित एसोसिएशन/फेडरेशनों को मान्यता प्रदान करें, पोस्टल ग्रेड की मान्यता रद्द करने के आदेश वापस लें. नियम 15 लागू करना बंद करें.
  7. कैजुअल, संविदा श्रमिकों और जीडीएस कर्मचारियों को नियमित करें, स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को सीजी कर्मचारियों के बराबर दर्जा दें.

यहां पढ़ें...

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मध्यप्रदेश पेंशनर्स को शिवराज सरकार ने दी बड़ी राहत, रक्षाबंधन 2023 के पहले मिलेगा ये गिफ्ट

लोकसभा चुनाव के बाद सरकार ने नहीं की सार्थक पहल

केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि 'लोकसभा चुनाव से पहले भी संगठन ने सरकार को अपनी मांगों के संबंध में नोटिस दिया था. जिसके बाद सरकार ने इस संबंध में एक समिति बनाई थी, लेकिन इसमें कर्मचारियों और पेंशनर्स की मांगों का निराकरण नहीं निकला. ऐसे में अब केंद्रीय कर्मचारी संगठन लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि अभी केंद्रीय बजट के जारी होने का इंतजार किया जा रहा है. यदि इसमें कर्मचारियों के हित में घोषणाएं नहीं हुई, तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा.'

Pensioners Employees Protest: केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर 40 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारी व पेंशनर्स मुखर हो गए हैं. 7 सूत्रीय लंबित मांगो को लेकर सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि इससे पहले कर्मचारी और पेंशनर्स ने मांगे पूरी करने के लिए सरकार को चेतावनी दी है. मांगों से संबंधित नोटिस भी कैबिनेट सचिव को भेजा जा चुका है. यदि 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में उनकी मांगों पर विचार नहीं होता, तो वे देश भर में सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करेंगे.

Employees Pensioners Demand
कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी (ETV Bharat)

19 जुलाई को देशभर में जताएंगे विरोध

देश भर में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स से जुड़े करीब 130 संगठन हैं. जो सरकार को लंबित मांगों पर ध्यानाकर्षण के लिए 19 जुलाई को सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे. सभी संगठनों से संबंद्ध कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है, कि 19 जुलाई को लोग अपने कार्यालयों में लंच के समय विरोध प्रदर्शन करेंगे. हालांकि पोस्ट आफिस के अधिकतर कर्मचारी फील्ड में रहते हैं, इसलिए वो शाम छह बजे के बाद प्रदर्शन करेंगे.

ये हैं केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की प्रमुख मांगे

  1. कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग का तत्काल गठन किया जाए.
  2. एनपीएस खत्म करने के साथ सभी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए.
  3. कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 18 महीने का डीए व डीआर जारी करना, जो कि कोविड-19 महामारी के दौरान रोक दिया गया था. वर्तमान में 15 वर्षों के बजाय 12 वर्षों के बाद पेंशन के रूपांतरित हिस्से की बहाली.
  4. अनुकंपा नियुक्ति पर 5 प्रतिशत की सीमा हटाएं, मृत कर्मचारी के सभी आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दें.
  5. सभी विभागों में सभी संवर्गों के रिक्त पदों को भरें, सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और ठेकेदारीकरण बंद करें.
  6. जेसीएम तंत्र के प्रावधानों के अनुसार एसोसिएशन व फेडरेशनों की लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली सुनिश्चित करें. लंबित एसोसिएशन/फेडरेशनों को मान्यता प्रदान करें, पोस्टल ग्रेड की मान्यता रद्द करने के आदेश वापस लें. नियम 15 लागू करना बंद करें.
  7. कैजुअल, संविदा श्रमिकों और जीडीएस कर्मचारियों को नियमित करें, स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को सीजी कर्मचारियों के बराबर दर्जा दें.

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केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि 'लोकसभा चुनाव से पहले भी संगठन ने सरकार को अपनी मांगों के संबंध में नोटिस दिया था. जिसके बाद सरकार ने इस संबंध में एक समिति बनाई थी, लेकिन इसमें कर्मचारियों और पेंशनर्स की मांगों का निराकरण नहीं निकला. ऐसे में अब केंद्रीय कर्मचारी संगठन लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि अभी केंद्रीय बजट के जारी होने का इंतजार किया जा रहा है. यदि इसमें कर्मचारियों के हित में घोषणाएं नहीं हुई, तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा.'

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