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क्या आप जानते हैं कि पटना चिड़ियाघर कितना पुराना है? 10 लोगों के टिकट के लिए चुकाने होते थे मात्र इतने रुपये - Patna Zoo

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 22, 2024, 10:17 AM IST

Updated : Jun 22, 2024, 11:08 AM IST

PATNA ZOO FOUNDATION DAY: बिहार के पटना जू के बारे में कौन नहीं जानता. हर कोई इससे वाकिफ है लेकिन शायद ही किसी को पता होगा कि जू कितना पुराना है और पहले के समय में एक टिकट के कितने रुपये लगते थे. 22 जून को पटना जू अपना स्थापना दिवस मना रहा है. आइये इस मौके पर चिड़ियाघर के बारे में सबकुछ जानते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

PATNA ZOO
पटना जू स्थापना दिवस (ETV Bharat)

पटना: बिहार का पटना जू आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. पटना जू के बारे में सभी लोग जानते हैं और प्रतिदिन हजारों लोग यहां अपने सगे संबंधी परिवार के संग घूमते हैं. लेकिन कई लोगों को यह मालूम नहीं होगा कि जब चिड़ियाघर आम लोगों के लिए खोला गया था तो उस समय टिकट दर क्या था? चिड़ियाघर के स्थापना से लेकर अब तक तीन बार नाम बदला गया नाम बदलने के पीछे भी अलग-अलग तथ्य है. स्थापना दिवस के मौके पर इन सब बातों की जानकारी मिलेगी.

पटना जू में मौजूद बाघ
पटना जू में मौजूद बाघ (ETV Bharat)

1969 में जू की स्थापनाः उद्यान (पटना जू) 1969 में 34 सेक्टर में वनस्पति उद्यान के रूप में बनाया गया. 1973 में आम लोगों के लिए शुरू किया गया. लगभग 153 एकड़ में फैला यह चिड़ियाघर है जिसमें कई सुविधा पर्यटकों के लिए शुरू किया गया. जानवरों को देखने के साथ-साथ मनोरंजन के भी साधन हैं. वोटिंग और रेस्टोरेंट की भी व्यवस्था की गई है.

एक रुपए में 10 टिकटः पटना जू जब 1973 में आम लोगों के लिए खोला गया था तो उस समय 10 पैसे की टिकट में दिन भर चिड़ियाघर में घूमते थे. यानि एक रुपए में 10 लोग घूम सकते थे. आज चिड़ियाघर में ₹40 टिकट का दाम हो गया है. पहले जब शुरुआत हुई तो उस समय लोग सिर्फ पैदल ही भ्रमण करते थे लेकिन बदलते जमाने के अनुसार चिड़िया घर में कई बदलाव किए गए.

पटना जू में मौजूद पैंथर
पटना जू में मौजूद पैंथर (ETV Bharat)

इलेक्ट्रिक टॉय ट्रेन की होगी शुरुआतः टॉय ट्रेन से लोग चिड़ियाघर में पशु पक्षी जानवरों को देखा करते थे, लेकिन पिछले कई सालों से टॉय ट्रेन बंद है. अब फिर एक बार विभाग पहल कर रही है और फिर से इलेक्ट्रिक टॉय ट्रेन शुरू होने जा रही है. इसके अलावे इलेक्ट्रिक वाहन की भी सुविधा है जिस पर बैठकर लोग आसानी से जीव जंतुओं का दीदार करते हैं.

पटना जू का तीन बार नाम बदल गयाः 1969 में वनस्पति उद्यान के रूप में चिड़ियाघर को बनाया गया था उस समय इसका नाम गार्डन रखा गया था. 1972 में वन विभाग ने चिड़ियाघर का नाम बदलकर जैविक उद्यान कर दिया. इसके बाद पार्क को 1973 में चिड़ियाघर के रूप में आम लोगों के लिए खोल दिया गया. कई लोग पटना जू, चिड़ियाखाना, चिड़ियाघर के नाम से जानते हैं. लेकिन 1980 में चिड़ियाघर का नाम एक बार फिर बदल गया 1980 में संजय गांधी की मृत्यु के बाद नाम बदलकर संजय गांधी जैविक उद्यान कर दिया गया.

पटना जू में पेड़ पर चढ़ा भालू
पटना जू में पेड़ पर चढ़ा भालू (ETV Bharat)

1980 में नाम बदलाः संजय गांधी के नाम पर चिड़ियाघर का नाम इसलिए रखा गया कि 23 जून 1980 को विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई. उस समय संजय गांधी की मां इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. कांग्रेस की सत्ता थी. बिहार में भी कांग्रेस की सरकार थी और बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा थे इनके नेतृत्व में चिड़ियाघर का नाम जैविक उद्यान के बदले संजय गांधी बायोलॉजिकल पार्क कर दिया गया.

800 से अधिक जानवरों का बसेराः पटना जू में वर्तमान में लगभग 110 प्रजातियों के 800 से अधिक जानवरों का घर है. जिसमें बाघ, तेंदुआ, दरियाई घोड़ा, मगरमच्छ, हाथी, काला भालू, सियार, हिरण, मोर, पहाड़ी मैना, घड़ियाल, अजगर, चिंपांजी, जिराफ, जेबरा, सफेद मोर किसान अनेक प्रजातियों के मछली और 32 प्रजातियों के साप हैं. वनस्पति उद्यान के रूप में शुरू होने के बाद तरह-तरह के पेड़ पौधे हैं .पार्क में नर्सरी ,फर्न हाउस, ग्लास हाउस, गुलाब उद्यान, वोटिंग की सुविधा है.

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पटना जू में मौजूद बाघ
पटना जू में मौजूद बाघ (ETV Bharat)

1969 में जू की स्थापनाः उद्यान (पटना जू) 1969 में 34 सेक्टर में वनस्पति उद्यान के रूप में बनाया गया. 1973 में आम लोगों के लिए शुरू किया गया. लगभग 153 एकड़ में फैला यह चिड़ियाघर है जिसमें कई सुविधा पर्यटकों के लिए शुरू किया गया. जानवरों को देखने के साथ-साथ मनोरंजन के भी साधन हैं. वोटिंग और रेस्टोरेंट की भी व्यवस्था की गई है.

एक रुपए में 10 टिकटः पटना जू जब 1973 में आम लोगों के लिए खोला गया था तो उस समय 10 पैसे की टिकट में दिन भर चिड़ियाघर में घूमते थे. यानि एक रुपए में 10 लोग घूम सकते थे. आज चिड़ियाघर में ₹40 टिकट का दाम हो गया है. पहले जब शुरुआत हुई तो उस समय लोग सिर्फ पैदल ही भ्रमण करते थे लेकिन बदलते जमाने के अनुसार चिड़िया घर में कई बदलाव किए गए.

पटना जू में मौजूद पैंथर
पटना जू में मौजूद पैंथर (ETV Bharat)

इलेक्ट्रिक टॉय ट्रेन की होगी शुरुआतः टॉय ट्रेन से लोग चिड़ियाघर में पशु पक्षी जानवरों को देखा करते थे, लेकिन पिछले कई सालों से टॉय ट्रेन बंद है. अब फिर एक बार विभाग पहल कर रही है और फिर से इलेक्ट्रिक टॉय ट्रेन शुरू होने जा रही है. इसके अलावे इलेक्ट्रिक वाहन की भी सुविधा है जिस पर बैठकर लोग आसानी से जीव जंतुओं का दीदार करते हैं.

पटना जू का तीन बार नाम बदल गयाः 1969 में वनस्पति उद्यान के रूप में चिड़ियाघर को बनाया गया था उस समय इसका नाम गार्डन रखा गया था. 1972 में वन विभाग ने चिड़ियाघर का नाम बदलकर जैविक उद्यान कर दिया. इसके बाद पार्क को 1973 में चिड़ियाघर के रूप में आम लोगों के लिए खोल दिया गया. कई लोग पटना जू, चिड़ियाखाना, चिड़ियाघर के नाम से जानते हैं. लेकिन 1980 में चिड़ियाघर का नाम एक बार फिर बदल गया 1980 में संजय गांधी की मृत्यु के बाद नाम बदलकर संजय गांधी जैविक उद्यान कर दिया गया.

पटना जू में पेड़ पर चढ़ा भालू
पटना जू में पेड़ पर चढ़ा भालू (ETV Bharat)

1980 में नाम बदलाः संजय गांधी के नाम पर चिड़ियाघर का नाम इसलिए रखा गया कि 23 जून 1980 को विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई. उस समय संजय गांधी की मां इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. कांग्रेस की सत्ता थी. बिहार में भी कांग्रेस की सरकार थी और बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा थे इनके नेतृत्व में चिड़ियाघर का नाम जैविक उद्यान के बदले संजय गांधी बायोलॉजिकल पार्क कर दिया गया.

800 से अधिक जानवरों का बसेराः पटना जू में वर्तमान में लगभग 110 प्रजातियों के 800 से अधिक जानवरों का घर है. जिसमें बाघ, तेंदुआ, दरियाई घोड़ा, मगरमच्छ, हाथी, काला भालू, सियार, हिरण, मोर, पहाड़ी मैना, घड़ियाल, अजगर, चिंपांजी, जिराफ, जेबरा, सफेद मोर किसान अनेक प्रजातियों के मछली और 32 प्रजातियों के साप हैं. वनस्पति उद्यान के रूप में शुरू होने के बाद तरह-तरह के पेड़ पौधे हैं .पार्क में नर्सरी ,फर्न हाउस, ग्लास हाउस, गुलाब उद्यान, वोटिंग की सुविधा है.

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Last Updated : Jun 22, 2024, 11:08 AM IST
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