पटनाः दावा तो ये है कि अब गांव-गांव, गली-गली बिजली की रोशनी से जगमग हैं, लेकिन हकीकत क्या है ? अगर ये जानना हो तो चले आए पटना जिले के धनरुआ प्रखंड में जहां एक सरकारी स्कूल अभी भी बिजली के लिए तरस रहा है. कभी-कभी तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि यहां मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में ही बच्चों को पढ़ाना पड़ता है.
सरकार के लिए आईना है ये सरकारी स्कूलः धनरूआ प्रखंड का वासुदेव सिंह मध्य विद्यालय सरकार के लिए आईना है, जहां बिजली के अभाव में अंधेरे में पढ़ाई होती है. स्कूल की शिक्षिका खुशबू बताती हैं कि "इस विद्यालय में बिजली की व्यवस्था नहीं है. किसी तरह से टोक फंसा कर स्कूल में बिजली की व्यवस्था कर रहे हैं."
"कई सालों से लगातार बिजली विभाग को और ऊपर के पदाधिकारियों को स्कूल की बदहाली और बिजली की व्यवस्था के बारे में जानकारी दी गयी है, लेकिन आज तक इस स्कूल में बिजली की व्यवस्था सुधर नहीं हो पाई है. नतीजन आज तक हमारे स्कूल में इसी तरह से अंधेरे में पढ़ाई होती है. खासकर बारिश के दिनों में तो घुप्प अंधेरा हो जाता है." खुशबू, शिक्षिका, वासुदेव सिंह मध्य विद्यालय, धनरूआ
स्कूल में 200 छात्र पढ़ते हैंः इस स्कूल में करीब 200 छात्र पढ़ते हैं और सात शिक्षक हैं. स्कूल में पढ़नेवाले छात्रों का कहना है कि " हमारे स्कूल में बहुत ही बदहाल व्यवस्था है. किसी तरह से टॉर्च की रोशनी में हम लोग पढ़ाई कर रहे हैं. सरकार को हम सभी छात्रों की कठिनाइयों का समाधान करना चाहिए."
"स्कूल में चार कमरे हैं. वो भी सभी बदहाल हैं. बारिश के समय में पढ़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. अंधेरे में छात्र मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में पढ़ने को विवश हैं. इस कारण पीछे बैठने वाले छात्रों को पढ़ाई में तो काफी दिक्कत होती है." रमेंद्र कुमार, प्रधानाध्यापक,वासुदेव सिंह मध्य विद्यालय, धनरूआ