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बोतलों की दीवार बनी पौधों की हथियार, पटना के छात्र ने वेस्ट से निकाला बेस्ट रास्ता - protect plants from plastic bottles

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 4, 2024, 7:21 PM IST

Updated : Jul 4, 2024, 7:43 PM IST

Protection Of Roadside Plants: बिहार में टैलेंट की कोई कमी नहीं है. इस बात को एक बार फिर से साबित कर दिखाया है पटना के इंजीनियरिंग के छात्र शुभम कुमार ने. सड़क के किनारे लगे पौधों को संरक्षित करने के लिए उन्होंने जो कदम उठाया है आज उसकी सभी तारीफ कर रहे हैं. साथ ही इस छात्र ने सड़क हादसों को कम करने के लिए भी कारगर कदम उठाए हैं, जिसे जानकर सभी हैरान है. पढ़ें पूरा लेख.

पटना के छात्र ने वेस्ट से निकाला बेस्ट रास्ता
पटना के छात्र ने वेस्ट से निकाला बेस्ट रास्ता (ETV Bharat)

कचरे से पौधों का संरक्षण (ETV Bharat)

पटना: अक्सर हमें देखने को मिलता है कि सड़क किनारे लगे पेड़ पौधों को लगाने के बाद देख-रेख नहीं की जाती, जिसके कारण वह सुख जाते हैं. सड़क किनारे लगाए गए पेड़ पौधों को ना समय पर पानी मिलता है और ना ही इसकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था की जाती है. ऐसे में पटना के एक इंजीनियरिंग के छात्र ने पौधों को समय पर पानी और सुरक्षा देने का बीड़ा उठाया है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

कचरे से पौधों का संरक्षण: इंजीनियरिंग के छात्र शुभम कुमार वेस्ट प्लास्टिक बोतल को बेस्ट बनाकर पौधा को सुरक्षा कवच प्रदान कर रहे हैं. शुभम कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि पर्यावरण को लेकर लोग जागरुक तो हुए हैं, पेड़ पौधे लगा रहे हैं. लेकिन पौधों की सुरक्षा के लिए जो पहल करनी चाहिए वह नहीं हो पा रही है.

"हमारी टीम कचरे से प्लास्टिक की बोतल चुन चुनकर डिजाइन कर पौधों का सुरक्षा कवच तैयार करते हैं. प्लास्टिक की बोतल से तैयार सुरक्षा कवच से मवेशी पेड़ पौधों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं. इसका नाम हमने बोतल फॉर ट्री प्रोटेक्शन रखा है."- शुभम कुमार, फाउंडर, बीइंग हेल्पर फाउंडेशन

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

बोतलों की दीवार बनी पौधों की हथियार: शुभम कुमार ने बताया कि प्लास्टिक से एनवायरमेंट को काफी नुकसान पहुंचता है. जो लोग भी पानी की बोतल पीकर कचरे में फेंक देते हैं उसको हमारी टीम बेस्ट बनाती है. बोतलों को एक नए रूप तैयार कर पेड़ पौधों को सुरक्षा देते हैं. हम लोगों ने इस आइडिया के बारे में काफी रिसर्च किया और बाद में इस मुकाम तक पहुंचे हैं.

वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों के सहारे पौधों को पानी: शुभम कुमार ने बताया कि यह सिर्फ पौधों को सुरक्षा नहीं देता है बल्कि पौधों को जितना पानी की जरूरत होती है उतना पानी भी मुहैया कराता है. एक पौधा का घेरा तैयार करने में 144 बोतल का उपयोग किया जाता है. हर बोतल को नीचे वाले बोतल से अटैच किया जाता है. ऊपर वाले हिस्सा को काट दिया जाता है .जब बारिश होती है या टैंकर से जब पानी पौधों को दिया जाता है तो उस बोतल में पानी एकत्रित हो जाता है और नीचे लगे ढक्कन से बूंद बूंद पानी निकालती है जिससे एक सप्ताह तक पानी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

रोड सेफ्टी के लिए भी कारगर: शुभम कुमार ने बताया कि पौधों के लिए यह सुरक्षा कवच है और रोड सेफ्टी के लिए वरदान है. पानी बोतल को ब्लू रंग से रंग कर सुरक्षा कवच का नया मॉडल तैयार किया गया है. इसके कारण दूर से ही गाड़ी चलाने वाले को यह दिख जाता है जिसके कारण वह सतर्क हो जाता है.

क्यों ब्लू रखा गया इसका रंग?: शुभम बताते हैं कि ब्लू रंग का बोतल इसलिए लगाया गया है कि रात्रि के समय में गाड़ी की लाइट जैसे ही इस पर पड़ती है तो वह रिफ्लेक्ट के रूप में काम करती है. इससे एक्सीडेंट की संभावना कम होती है. हम लोगों का आगे का प्रयास है कि जहां पर एक्सीडेंट की संभावनाएं ज्यादा होती है वहां पर रेड कलर से इस मॉडल को तैयार कर रहे हैं .रेड कलर डेंजर का प्रतीक है. इसलिए रेड कलर से पेंट करके इस सुरक्षा कवच को तैयार कर रहे हैं.

फाउंडेशन से जुड़े लगभग 600 लोग: शुभम कुमार ने बताया कि बीइंग हेल्पर फाउंडेशन के माध्यम से पूरे बिहार में 600 सदस्य जुड़े हुए हैं. पटना में इस फाउंडेशन में 150 सदस्य जुड़ करके काम कर रहे हैं. कचरे से एकत्र करके प्लास्टिक बोतल से पौधों के लिए सुरक्षा कवच बनाते हैं. उन्होंने बताया कि अब इस मानसून में 2 लाख प्लास्टिक का बोतल उपयोग कर हम लोग पौधों के लिए सुरक्षा कवच बनाएंगे.

नए मॉडल की हर तरफ हो रही चर्चा: बीइंग हेल्पर फाउंडेशन के सदस्य गिरधर झा ने कहा कि प्लास्टिक की बोतल कचरा से चुन चुन कर इसकी शुरुआत की गई थी. अब यह बड़ा रूप ले लिया है. राजधानी के बड़े-बड़े मॉल होटल से संपर्क साधते हुए वहां से बोतल को कलेक्ट करते हैं और फिर एक जगह एकत्रित कर पौधों का सुरक्षा कवच तैयार करते हैं.

"इससे लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. हमारी संस्था पिछले 5 साल से पर्यावरण पर काम कर रही है. पेड़ पौधा लगाने के साथ-साथ उसकी सुरक्षा भी होनी चाहिए और इसी मकसद से हम लोगों ने कचरे की प्लास्टिक बोतल को नया रूप नया मॉडल में तैयार किया है."- गिरधर झा, बीइंग हेल्पर फाउंडेशन, सदस्य

पटना में 20 हजार पौधों को सुरक्षित करने का लक्ष्य: वहीं सदस्य अनीश कुमार ने कहा कि हम लोगों ने यह अभी शुरुआत की है. बस कुछ दिनों के बाद जब 2 लाख बोतल जमा हो जाएंगे तो हम लोग पटना में 20 हजार पौधों को सुरक्षा कवच बनाकर उसकी देखभाल करेंगे.

"इससे कई तरह के फायदे होंगे. समय-समय पर पानी मिलता रहेगा और रिफ्लेक्टर का काम करेगा. जिससे की एक्सीडेंट कम होगा और कचरे में फेंके गए बोतल का इस्तेमाल भी हो रहा है. इसके कारण प्रदूषण की संभावनाएं भी कम होगी."- अनीश कुमार, बीइंग हेल्पर फाउंडेशन, सदस्य

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कचरे से पौधों का संरक्षण (ETV Bharat)

पटना: अक्सर हमें देखने को मिलता है कि सड़क किनारे लगे पेड़ पौधों को लगाने के बाद देख-रेख नहीं की जाती, जिसके कारण वह सुख जाते हैं. सड़क किनारे लगाए गए पेड़ पौधों को ना समय पर पानी मिलता है और ना ही इसकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था की जाती है. ऐसे में पटना के एक इंजीनियरिंग के छात्र ने पौधों को समय पर पानी और सुरक्षा देने का बीड़ा उठाया है.

ईटीवी भारत GFX
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कचरे से पौधों का संरक्षण: इंजीनियरिंग के छात्र शुभम कुमार वेस्ट प्लास्टिक बोतल को बेस्ट बनाकर पौधा को सुरक्षा कवच प्रदान कर रहे हैं. शुभम कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि पर्यावरण को लेकर लोग जागरुक तो हुए हैं, पेड़ पौधे लगा रहे हैं. लेकिन पौधों की सुरक्षा के लिए जो पहल करनी चाहिए वह नहीं हो पा रही है.

"हमारी टीम कचरे से प्लास्टिक की बोतल चुन चुनकर डिजाइन कर पौधों का सुरक्षा कवच तैयार करते हैं. प्लास्टिक की बोतल से तैयार सुरक्षा कवच से मवेशी पेड़ पौधों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं. इसका नाम हमने बोतल फॉर ट्री प्रोटेक्शन रखा है."- शुभम कुमार, फाउंडर, बीइंग हेल्पर फाउंडेशन

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बोतलों की दीवार बनी पौधों की हथियार: शुभम कुमार ने बताया कि प्लास्टिक से एनवायरमेंट को काफी नुकसान पहुंचता है. जो लोग भी पानी की बोतल पीकर कचरे में फेंक देते हैं उसको हमारी टीम बेस्ट बनाती है. बोतलों को एक नए रूप तैयार कर पेड़ पौधों को सुरक्षा देते हैं. हम लोगों ने इस आइडिया के बारे में काफी रिसर्च किया और बाद में इस मुकाम तक पहुंचे हैं.

वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों के सहारे पौधों को पानी: शुभम कुमार ने बताया कि यह सिर्फ पौधों को सुरक्षा नहीं देता है बल्कि पौधों को जितना पानी की जरूरत होती है उतना पानी भी मुहैया कराता है. एक पौधा का घेरा तैयार करने में 144 बोतल का उपयोग किया जाता है. हर बोतल को नीचे वाले बोतल से अटैच किया जाता है. ऊपर वाले हिस्सा को काट दिया जाता है .जब बारिश होती है या टैंकर से जब पानी पौधों को दिया जाता है तो उस बोतल में पानी एकत्रित हो जाता है और नीचे लगे ढक्कन से बूंद बूंद पानी निकालती है जिससे एक सप्ताह तक पानी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.

ईटीवी भारत GFX
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रोड सेफ्टी के लिए भी कारगर: शुभम कुमार ने बताया कि पौधों के लिए यह सुरक्षा कवच है और रोड सेफ्टी के लिए वरदान है. पानी बोतल को ब्लू रंग से रंग कर सुरक्षा कवच का नया मॉडल तैयार किया गया है. इसके कारण दूर से ही गाड़ी चलाने वाले को यह दिख जाता है जिसके कारण वह सतर्क हो जाता है.

क्यों ब्लू रखा गया इसका रंग?: शुभम बताते हैं कि ब्लू रंग का बोतल इसलिए लगाया गया है कि रात्रि के समय में गाड़ी की लाइट जैसे ही इस पर पड़ती है तो वह रिफ्लेक्ट के रूप में काम करती है. इससे एक्सीडेंट की संभावना कम होती है. हम लोगों का आगे का प्रयास है कि जहां पर एक्सीडेंट की संभावनाएं ज्यादा होती है वहां पर रेड कलर से इस मॉडल को तैयार कर रहे हैं .रेड कलर डेंजर का प्रतीक है. इसलिए रेड कलर से पेंट करके इस सुरक्षा कवच को तैयार कर रहे हैं.

फाउंडेशन से जुड़े लगभग 600 लोग: शुभम कुमार ने बताया कि बीइंग हेल्पर फाउंडेशन के माध्यम से पूरे बिहार में 600 सदस्य जुड़े हुए हैं. पटना में इस फाउंडेशन में 150 सदस्य जुड़ करके काम कर रहे हैं. कचरे से एकत्र करके प्लास्टिक बोतल से पौधों के लिए सुरक्षा कवच बनाते हैं. उन्होंने बताया कि अब इस मानसून में 2 लाख प्लास्टिक का बोतल उपयोग कर हम लोग पौधों के लिए सुरक्षा कवच बनाएंगे.

नए मॉडल की हर तरफ हो रही चर्चा: बीइंग हेल्पर फाउंडेशन के सदस्य गिरधर झा ने कहा कि प्लास्टिक की बोतल कचरा से चुन चुन कर इसकी शुरुआत की गई थी. अब यह बड़ा रूप ले लिया है. राजधानी के बड़े-बड़े मॉल होटल से संपर्क साधते हुए वहां से बोतल को कलेक्ट करते हैं और फिर एक जगह एकत्रित कर पौधों का सुरक्षा कवच तैयार करते हैं.

"इससे लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. हमारी संस्था पिछले 5 साल से पर्यावरण पर काम कर रही है. पेड़ पौधा लगाने के साथ-साथ उसकी सुरक्षा भी होनी चाहिए और इसी मकसद से हम लोगों ने कचरे की प्लास्टिक बोतल को नया रूप नया मॉडल में तैयार किया है."- गिरधर झा, बीइंग हेल्पर फाउंडेशन, सदस्य

पटना में 20 हजार पौधों को सुरक्षित करने का लक्ष्य: वहीं सदस्य अनीश कुमार ने कहा कि हम लोगों ने यह अभी शुरुआत की है. बस कुछ दिनों के बाद जब 2 लाख बोतल जमा हो जाएंगे तो हम लोग पटना में 20 हजार पौधों को सुरक्षा कवच बनाकर उसकी देखभाल करेंगे.

"इससे कई तरह के फायदे होंगे. समय-समय पर पानी मिलता रहेगा और रिफ्लेक्टर का काम करेगा. जिससे की एक्सीडेंट कम होगा और कचरे में फेंके गए बोतल का इस्तेमाल भी हो रहा है. इसके कारण प्रदूषण की संभावनाएं भी कम होगी."- अनीश कुमार, बीइंग हेल्पर फाउंडेशन, सदस्य

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Last Updated : Jul 4, 2024, 7:43 PM IST
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