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टिकट बंटवारे में आरजेडी का जाति वाला दांव, NDA के कोर वोट बैंक में सेंध की कोशिश - rjd focus on nda core voters

patna rjd attempt: महागठबंधन में सीट बंटवारे का पेच सुलझने से पहले ही आरजेडी ने कई उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. फिलहाल आरजेडी ने जिस हिसाब से अपने उम्मीदवारों का एलान किया है उससे इस बात का संकेत मिल रहा है कि आरजेडी की नजर इस बार NDA के कोर वोटर्स पर है, पढ़िये पूरी खबर,

आरजेडी का नया दांव
आरजेडी का नया दांव
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 22, 2024, 7:54 PM IST

आरजेडी का नया दांव

पटनाः महागठबंधन में सीटों का पेच भले न सुलझा हो, आरजेडी ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांटना शुरू कर दिया है. नवादा, गया, औरंगाबाद, जमुई, बांका के अलावा भी कई सीटों पर आरजेडी ने अपने कैंडिडेट तय कर दिए हैं. इसको लेकर महागठबंधन के घटक दल क्या कह रहे हैं ये अलग बात है लेकिन आरजेडी के सीट बंटवारे में जो बात खास है वो ये कि इस बार पार्टी MY समीकरण से हटकर NDA के कोर वोटर्स को साधने की कोशिश में जुटी है.

जातीय समीकरण को साधने की कवायदः आरजेडी ने अभी तक जिन 5 प्रत्याशियों को पार्टी का सिंबल दिया है, उसमें नवादा और औरंगाबाद से कुशवाहा समाज के उम्मीदवार उतारे हैं तो गया सुरक्षित सीट से पासवान कैंडिडेट पर दांव लगाया है. इसके अलावा जमुई से रविदास समाज से ताल्लुक रखने वाली अर्चना रविदास को टिकट मिला है और बांका से यादव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जयप्रकाश नारायण यादव को टिकट दिया गया है.

कुशवाहा और महिला पर फोकसः आरजेडी के इन 5 प्रत्याशियों पर नजर डालें तो ये बात साफ होती है कि इस बार आरजेडी वैसे वोटर्स पर फोकस कर रहा है जो NDA का कोर वोटर्स है. मसलन कुशवाहा समाज पिछले कई चुनावों से NDA के साथ मजबूती से खड़ा नजर आता रहा है. ऐसे में आरजेडी ने औरंगाबाद और नवादा से कुशवाहा कैंडिडेट उतार कर बड़ा संदेश दिया है. इतना ही नही अर्चना को जमुई से उतारकर आधी आबादी को भी तरजीह देने का संदेश दिया है.

पासवान जाति को लुभाने की कोशिशः बिहार में रामविलास पासवान को पासवान जाति का सबसे बड़ा नेता माना जाता था. रामविलास के निधन के बाद उनकी विरासत संभाल रहे चिराग पासवान NDA का हिस्सा हैं. ऐसे में गया सुरक्षित सीट से पासवान जाति के कुमार सर्वजीत को अपना कैंडिडेट बनाकर आरजेडी ने जता दिया है कि NDA के कोर वोटर्स उनके निशाने पर हैं.

नवादा का जातीय समीकरणः नवादा लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो ये सीट भूमिहार और यादव बाहुल्य मानी जाती है.इसके अलावा पिछड़ा, अति पिछड़ा,दलित और महादलितों की संख्या भी अच्छी खासी है. आरजेडी ने इस बार नवादा से कुशवाहा समाज का प्रत्याशी उतार दिया है और आरजेडी से टिकट मिलने के बाद श्रवण कुशवाहा ने कहा भी है कि "गरीबों के मसीहा लालू प्रसाद ने एक कुशवाहा को टिकट दिया है और इस बार नवादा से गरीब का बेटा चुनाव जीतेगा."

औरंगाबाद का जातीय समीकरण:औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है और लोकसभा के चुनावी इतिहास में राजपूत जाति को छोड़कर किसी जाति को यहां जीत नसीब नहीं हुई है बावजूद इसके आरजेडी ने इस बार जेडीयू से आए अभय कुशवाहा को अपना कैंडिडेट बनाया है.यहां सबसे ज्यादा राजपूत की आबादी है.इसके बाद यादव, मुस्लिम और फिर कुशवाहा की बड़ी आबादी है. टिकट मिलने के बाद अभय कुशवाहा का दावा है कि औरंगाबाद जो पहले कभी नहीं हुआ वो 2024 में होगा.

जमुई (सु) का जातीय समीकरणः बात जमुई की करें तो यहां सबसे ज्यादा साढ़े तीन लाख यादव वोटर्स हैं. इसके अलावा ढाई लाख मुस्लिम और ढाई लाख के आसपास दलित-महादलित हैं. साथ ही सवर्ण वोटर्स की संख्या भी करीब 2 लाख है. इस बार आरजेडी ने जमुई से अर्चना रविदास को अपना उम्मीदवार बनाया है ताकि रविदास वोटरों को अपने पाले में लाया जा सके.अर्चना रविदास ने पहले ही दावा कर दिया है कि रिजल्ट के दिन लोगों को पता चल जाएगा कि वो कितने लाख वोट से जीती हैं.
गया (सु) का जातीय समीकरणः गया की बात करें तो तो यहां सबसे ज्यादा 3 लाख के आसपास मांझी वोटर्स हैं. इसके बाद मुस्लिम 2 लाख, भूमिहार-राजपूत मिला कर ढाई लाख, यादव 2 लाख ओर वैश्य समुदाय की आबादी करीब 2 लाख है.पिछले 25 वर्षों से गया सीट पर मांझी जाति का ही कब्जा रहा है. इस बार आरजेडी ने पासवान जाति से आनेवाले कुमार सर्वजीत को अपना प्रत्याशी बनाया है. कुमार सर्वजीत का कहना है कि " इस बार जनता परिवर्तन के मूड में है और इसका असर चुनाव परिणाम पर दिखेगा."

'बीजेपी डर गई है': पार्टी में जिस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है इससे आरजेडी के कई नेता उत्साहित हैं. आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि "बीजेपी को अभी से ही हार का डर सताने लगा है. अभी तो शुरुआत भर हुई है, महागठबंधन की ओर से जब राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों पर उम्मीदावरों की घोषणा हो जाएगी तो समाज के सभी वर्गों के चेहरे नजर आएंगे."

'नहीं चलेगा कोई जातीय कार्ड': उत्साहित आरजेडी जहां कह रहा है कि बीजेपी डर गई है वहीं बीजेपी इसे सिरे से खारिज करती है. बीजेपी प्रवक्ता मनीष पांडेय का कहना है कि "लालू प्रसाद यादव 2024 लोकसभा चुनाव में जितना भी जातीय कार्ड खेलने की कोशिश करेंगे उससे उनका कोई फायदा नहीं होगा.बीजेपी ने 400 पर का लक्ष्य रखा है और बिहार में भी 40 की 40 सीटें एनडीए की झोली में आएंगी."

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ?: आरजेडी में टिकट बंटवारे के शुरुआती ट्रेंड को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी ने फोन पर बातचीत में बताया कि "आरजेडी की नजर NDA के कोर वोटर्स पर है. यही कारण है कि जिन 5 कैंडिडेट को सिंबल दिए गये हैं उनमें दो कैंडिडेट कुशवाहा जाति से हैं. अब आरजेडी का ये प्रयोग कितना कामयाब होगा वो तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा."

NDA के वोट बैंक में लगा पाएंगे सेंध ?: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का भी यही मानना है कि आरजेडी इस बार लीक से हटकर अपने कैंडिडेट उतार रहा है. कुशवाहा समाज के साथ-साथ NDA के कोर वोटर्स महिलाओं पर भी आरजेडी का खास फोकस है. जमुई से दलित सुमदाय की अर्चना रविदास को टिकट देना इस बात का सबूत भी दे रहा है.

कुशवाहा को माना जाता है NDA का कोर वोट बैंक: बिहार में NDA के घटक दलों की बात करें तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से आते हैं तो राज्य में कुशवाहा जाति के बड़े नेता माने जानेवाले उपेंद्र कुशवाहा भी NDA के साथ ही है. इसके अलावा उमेश कुशवाहा भी जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष है. ऐसे में NDA को कुशवाहा वोटर्स पर भरोसा है लेकिन आरजेडी की नयी रणनीति कोई नया गुल खिला सकती है.

ये भी पढ़ेंः'कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरे खिलाफ कौन है, जनता मेरे साथ है'- आरजेडी उम्मीदवार अर्चना रविदास - Archana Ravidas Got RJD Ticket

ये भी पढ़ेंःऔरंगाबाद से टिकट मिलने के बाद अभय कुशवाहा ने किया लालू का गुणगान, जदयू पर साधा निशाना - Lok Sabha Election 2024

ये भी पढ़ेंःजीतनराम मांझी होंगे गया से NDA उम्मीदवार, RJD के कुमार सर्वजीत से होगा सामना - Jitan Ram Manjhi Fight From Gaya

आरजेडी का नया दांव

पटनाः महागठबंधन में सीटों का पेच भले न सुलझा हो, आरजेडी ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांटना शुरू कर दिया है. नवादा, गया, औरंगाबाद, जमुई, बांका के अलावा भी कई सीटों पर आरजेडी ने अपने कैंडिडेट तय कर दिए हैं. इसको लेकर महागठबंधन के घटक दल क्या कह रहे हैं ये अलग बात है लेकिन आरजेडी के सीट बंटवारे में जो बात खास है वो ये कि इस बार पार्टी MY समीकरण से हटकर NDA के कोर वोटर्स को साधने की कोशिश में जुटी है.

जातीय समीकरण को साधने की कवायदः आरजेडी ने अभी तक जिन 5 प्रत्याशियों को पार्टी का सिंबल दिया है, उसमें नवादा और औरंगाबाद से कुशवाहा समाज के उम्मीदवार उतारे हैं तो गया सुरक्षित सीट से पासवान कैंडिडेट पर दांव लगाया है. इसके अलावा जमुई से रविदास समाज से ताल्लुक रखने वाली अर्चना रविदास को टिकट मिला है और बांका से यादव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जयप्रकाश नारायण यादव को टिकट दिया गया है.

कुशवाहा और महिला पर फोकसः आरजेडी के इन 5 प्रत्याशियों पर नजर डालें तो ये बात साफ होती है कि इस बार आरजेडी वैसे वोटर्स पर फोकस कर रहा है जो NDA का कोर वोटर्स है. मसलन कुशवाहा समाज पिछले कई चुनावों से NDA के साथ मजबूती से खड़ा नजर आता रहा है. ऐसे में आरजेडी ने औरंगाबाद और नवादा से कुशवाहा कैंडिडेट उतार कर बड़ा संदेश दिया है. इतना ही नही अर्चना को जमुई से उतारकर आधी आबादी को भी तरजीह देने का संदेश दिया है.

पासवान जाति को लुभाने की कोशिशः बिहार में रामविलास पासवान को पासवान जाति का सबसे बड़ा नेता माना जाता था. रामविलास के निधन के बाद उनकी विरासत संभाल रहे चिराग पासवान NDA का हिस्सा हैं. ऐसे में गया सुरक्षित सीट से पासवान जाति के कुमार सर्वजीत को अपना कैंडिडेट बनाकर आरजेडी ने जता दिया है कि NDA के कोर वोटर्स उनके निशाने पर हैं.

नवादा का जातीय समीकरणः नवादा लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो ये सीट भूमिहार और यादव बाहुल्य मानी जाती है.इसके अलावा पिछड़ा, अति पिछड़ा,दलित और महादलितों की संख्या भी अच्छी खासी है. आरजेडी ने इस बार नवादा से कुशवाहा समाज का प्रत्याशी उतार दिया है और आरजेडी से टिकट मिलने के बाद श्रवण कुशवाहा ने कहा भी है कि "गरीबों के मसीहा लालू प्रसाद ने एक कुशवाहा को टिकट दिया है और इस बार नवादा से गरीब का बेटा चुनाव जीतेगा."

औरंगाबाद का जातीय समीकरण:औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है और लोकसभा के चुनावी इतिहास में राजपूत जाति को छोड़कर किसी जाति को यहां जीत नसीब नहीं हुई है बावजूद इसके आरजेडी ने इस बार जेडीयू से आए अभय कुशवाहा को अपना कैंडिडेट बनाया है.यहां सबसे ज्यादा राजपूत की आबादी है.इसके बाद यादव, मुस्लिम और फिर कुशवाहा की बड़ी आबादी है. टिकट मिलने के बाद अभय कुशवाहा का दावा है कि औरंगाबाद जो पहले कभी नहीं हुआ वो 2024 में होगा.

जमुई (सु) का जातीय समीकरणः बात जमुई की करें तो यहां सबसे ज्यादा साढ़े तीन लाख यादव वोटर्स हैं. इसके अलावा ढाई लाख मुस्लिम और ढाई लाख के आसपास दलित-महादलित हैं. साथ ही सवर्ण वोटर्स की संख्या भी करीब 2 लाख है. इस बार आरजेडी ने जमुई से अर्चना रविदास को अपना उम्मीदवार बनाया है ताकि रविदास वोटरों को अपने पाले में लाया जा सके.अर्चना रविदास ने पहले ही दावा कर दिया है कि रिजल्ट के दिन लोगों को पता चल जाएगा कि वो कितने लाख वोट से जीती हैं.
गया (सु) का जातीय समीकरणः गया की बात करें तो तो यहां सबसे ज्यादा 3 लाख के आसपास मांझी वोटर्स हैं. इसके बाद मुस्लिम 2 लाख, भूमिहार-राजपूत मिला कर ढाई लाख, यादव 2 लाख ओर वैश्य समुदाय की आबादी करीब 2 लाख है.पिछले 25 वर्षों से गया सीट पर मांझी जाति का ही कब्जा रहा है. इस बार आरजेडी ने पासवान जाति से आनेवाले कुमार सर्वजीत को अपना प्रत्याशी बनाया है. कुमार सर्वजीत का कहना है कि " इस बार जनता परिवर्तन के मूड में है और इसका असर चुनाव परिणाम पर दिखेगा."

'बीजेपी डर गई है': पार्टी में जिस तरह से सीटों का बंटवारा हो रहा है इससे आरजेडी के कई नेता उत्साहित हैं. आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि "बीजेपी को अभी से ही हार का डर सताने लगा है. अभी तो शुरुआत भर हुई है, महागठबंधन की ओर से जब राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों पर उम्मीदावरों की घोषणा हो जाएगी तो समाज के सभी वर्गों के चेहरे नजर आएंगे."

'नहीं चलेगा कोई जातीय कार्ड': उत्साहित आरजेडी जहां कह रहा है कि बीजेपी डर गई है वहीं बीजेपी इसे सिरे से खारिज करती है. बीजेपी प्रवक्ता मनीष पांडेय का कहना है कि "लालू प्रसाद यादव 2024 लोकसभा चुनाव में जितना भी जातीय कार्ड खेलने की कोशिश करेंगे उससे उनका कोई फायदा नहीं होगा.बीजेपी ने 400 पर का लक्ष्य रखा है और बिहार में भी 40 की 40 सीटें एनडीए की झोली में आएंगी."

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ?: आरजेडी में टिकट बंटवारे के शुरुआती ट्रेंड को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी ने फोन पर बातचीत में बताया कि "आरजेडी की नजर NDA के कोर वोटर्स पर है. यही कारण है कि जिन 5 कैंडिडेट को सिंबल दिए गये हैं उनमें दो कैंडिडेट कुशवाहा जाति से हैं. अब आरजेडी का ये प्रयोग कितना कामयाब होगा वो तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा."

NDA के वोट बैंक में लगा पाएंगे सेंध ?: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का भी यही मानना है कि आरजेडी इस बार लीक से हटकर अपने कैंडिडेट उतार रहा है. कुशवाहा समाज के साथ-साथ NDA के कोर वोटर्स महिलाओं पर भी आरजेडी का खास फोकस है. जमुई से दलित सुमदाय की अर्चना रविदास को टिकट देना इस बात का सबूत भी दे रहा है.

कुशवाहा को माना जाता है NDA का कोर वोट बैंक: बिहार में NDA के घटक दलों की बात करें तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से आते हैं तो राज्य में कुशवाहा जाति के बड़े नेता माने जानेवाले उपेंद्र कुशवाहा भी NDA के साथ ही है. इसके अलावा उमेश कुशवाहा भी जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष है. ऐसे में NDA को कुशवाहा वोटर्स पर भरोसा है लेकिन आरजेडी की नयी रणनीति कोई नया गुल खिला सकती है.

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