पटनाः क्या बिहार में काम करनेवाले IAS अधिकारियों की कार्यक्षमता काम के बोझ से प्रभावित हो रही है ? ये सवाल इसलिए कि सामान्य तौर पर एक विभाग का काम देखने वाले अधिकारियों के पास कई-कई विभागों की जिम्मेदारियां हैं. कई लोग इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं तो मंत्रियों का कहना है कि इसमें कहीं भी किसी किस्म की परेशानी नहीं है.
कई अधिकारियों के पास एक से अधिक विभागः बिहार सरकार में फिलहाल मुख्य सचिव स्तर के आठ अधिकारी हैं. जिनमें मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा और विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद को छोड़ दें तो 6 अधिकारियों के पास एक से अधिक विभाग की जिम्मेदारी है. इसी तरह प्रधान सचिव स्तर के बारह अधिकारियों में से 6 अधिकारियों के पास एक से अधिक विभाग संभालने का जिम्मा है.
अधिकारी एक, जिम्मेदारी अनेकः 1990 बैच के चर्चित IAS अधिकारी केके पाठक राजस्व परिषद के अध्यक्ष के साथ महानिदेशक बिहार लोक प्रशासन और ग्रामीण विकास संस्थान (बिपार्ड) भी हैं. वहीं नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों में एक 1991 बैच के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के पास तीन महत्वपूर्ण विभाग हैं. स्वास्थ्य विभाग, पथ निर्माण और आपदा प्रबंधन विभाग . पिछले कई सालों से प्रत्यय अमृत तीनों विभागों को देख रहे हैं.
एस सिद्धार्थ के पास भी कई विभागः 1991 बैच के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ के पास भी कई विभागों की जिम्मेदारी है. एस सिद्धार्थ शिक्षा विभाग के साथ-साथ मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर हैं. साथ ही वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव भी हैं. इतना ही नहीं एस सिद्धार्थ ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के डायरेक्टर भी हैं. इसके अलावा भी उनके पास कई संस्थानों की जिम्मेदारी है.
लंबी है फेहरिस्तः वहीं 1993 बैच के मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी दीपक कुमार सिंह के पास ग्रामीण कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के अलावा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का भी अतिरिक्त प्रभार है. जबकि 1993 बैच के ही हरजोत कौर बम्हरा अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग के अलावा प्रबंध निदेशक बिहार राज्य महिला एवं बाल विकास निगम के प्रभार में भी है.
मिहिर सिंह के पास भी कई विभागः 1993 बैच के मिहिर कुमार सिंह अपर मुख्य सचिव पंचायती राज विभाग के अलावा अपर मुख्य सचिव खान, आयुक्त एव प्रबंध निदेशक बिहार राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड, प्रबंध निदेशक बिहार राज्य खनन निगम लिमिटेड, खान भूतत्व विभाग के साथ-साथ मुख्य जांच आयुक्त के रूप में सामान्य प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं.
प्रधान सचिव स्तर के अधिकारियों के पास भी कई विभागः 1995 बैच के IAS अधिकारी अरविंद कुमार चौधरी गृह विभाग के साथ ही निगरानी विभाग के भी प्रधान सचिव हैं. इसके अलावा उन्हें परीक्षा नियंत्रण बिहार राज्य संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर्षद और जांच आयुक्त की जिम्मेदारी भी दी गई है.
कई और नाम भी हैंः1995 बैच के IAS अधिकारी डॉ बी राजेंद्र सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव के साथ-साथ खेल विभाग का भी प्रधान सचिव बनाया गया है. साथ ही वे मिशन निदेशक बिहार प्रशासनिक सुधार समिति का काम भी देख रहे हैं.1996 बैच के प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी आनंद किशोर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष लंबे समय से हैं इसके अलावा उनके पास वित्त विभाग के प्रधान सचिव की भी जिम्मेदारी है.
सेंथिल कुमार के पास भी अतिरिक्त जिम्मेदारी: प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी के सेंथिल कुमार योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव के साथ राज्य योजना परिषद एवं परियोजना निदेशक राज्य आपदा पुनर्वास का काम भी देख रहे हैं. वहीं संतोष कुमार माल के पास जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के साथ स्थानिक आयुक्त और जांच आयुक्त की जिम्मेदारी भी है . इसके अलावा डॉक्टर सफीना ए एन के पास राजस्व पर्षद की अपर सदस्य के साथ ही जांच आयुक्त सामान्य प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी भी है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?: इसको लेकर ए एन सिंह शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर का कहना है कि हर आदमी के काम करने की एक क्षमता होती है. जब एक से अधिक विभाग किसी अधिकारी के पास होगा तो स्वाभाविक है फाइलों के मूवमेंट पर असर पड़ेगा और इसके कारण जो विकास की योजनाएं हैं वह सही ढंग से पूरा नहीं हो पाएंगी.
"बिहार में पहले शिक्षा में तीन मंत्रालय होते थे प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च. तीनों के अलग मंत्री और सेक्रेटरी होते थे. आज शिक्षा में एक विभाग है और जिनके जिम्मे शिक्षा विभाग है. उनके पास एक से अधिक विभाग दिया जाता है तो स्वाभाविक है काम पर असर पड़ेगा." - डीएम दिवाकर, पूर्व निदेशक, ए एन सिंह शोध संस्थान
"जब अधिकारी कम होंगे तो स्वाभाविक है कि एक से अधिक विभाग की जिम्मेदारी उन्हें दी जाएगी. यदि एक नेचर का विभाग है तो उसमें को-ऑर्डिनेशन में मदद भी मिलती है लेकिन अलग-अलग नेचर का विभाग है तो उसमे परेशानी होती है."-ललन सिंह, पूर्व IAS अधिकारी
'कोई परेशानी की बात नहीं हैः' हालांकि नीतीश कैबिनेट के मंत्री ऐसा बिल्कुल नहीं सोचते हैं. उनकी राय विशेषज्ञों से पूरी तरह अलग है. बिहार सरकार की मंत्री शीला मंडल का कहना है कि मुख्यमंत्री को पता है कि किस अधिकारी के पास कितनी क्षमता है और उसी के अनुसार वे जिम्मेदारी देते हैं.
"मुख्यमंत्री अधिकारियों को उनकी क्षमता के अनुसार ही एक से अधिक पद देते हैं. कहीं से कोई परेशानी की बात नहीं होती है."- शीला मंडल, मंत्री, बिहार सरकार
स्वीकृत पद से कम हैं IAS अधिकारीः दरअसल बिहार में IAS अधिकारियों की कमी लंबे समय से चल रही है.ये एक बड़ा कारण है जिससे बिहार के IAS अधिकारी काम के बोझ में दबे हुए हैं.बिहार में IAS अधिकारियों के कुल स्वीकृत पद 359 हैं और फिलहाल 300 IAS अधिकारी बिहार में काम कर रहे हैं. इनमें से 25 IAS अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी हैं.