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सेवानिवृत्ति के 21 साल बाद इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन का आदेश, 8 हफ्ते में ऑर्डर जारी करने का HC ने दिया निर्देश - Patna High Court - PATNA HIGH COURT

पटना हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति के 21 साल बाद इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोट करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने प्रोन्नति नहीं देने वाले आदेश को निरस्त करते हुए 1996 से प्रमोशन का आदेश दिया. पढ़ें पूरी खबर-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 24, 2024, 11:03 PM IST

पटना : पटना हाई कोर्ट ने दारोगा को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया. इसके अलावे सेवानिवृत दारोगा को 15 अक्टूबर, 1996 से इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया है. जस्टिस राजेश कुमार वर्मा ने दारोगा रामवृक्ष पासवान की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया कि आवेदक से जूनियर दारोगा को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति दे दी गई.

इंस्पेक्टर को प्रोन्नति देने का आदेश : लेकिन जब आवेदक की बारी आई, तो उसे फील्ड टेस्ट बोर्ड में फेल बता प्रोन्नति देने से इंकार कर दिया. उनका कहना था कि आवेदक फील्ड टेस्ट में पास था और प्रोन्नति के लिए उसके नाम का अनुशंसा तक किया गया था. डीजी, बोर्ड ने आवेदक को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति के लिए योग्य पाया गया।लेकिन उसे प्रोन्नति नहीं दी गई. इसी बीच आवेदक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई और उसे 31 जुलाई 2002 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

रिटायरमेंट के 21 साल बाद फैसला : लेकिन अपीलीय अधिकारी ने बर्खास्तगी आदेश को 22 नवम्बर,2002 को निरस्त कर दिया और उसे पूरे वेतन के साथ सेवा में वापस लेने का आदेश दिया. इसी बीच 1मई, 2003 को दारोगा के ही पद से सेवानिवृत्त हो गया. उनका कहना था कि विभागीय कार्रवाई लंबित रहने की बात कह आवेदक को प्रोन्नति नहीं दी गई. जबकि विभागीय कार्रवाई 22 नवम्बर, 2002 को ही समाप्त हो गया था.

हाई कोर्ट में दी गई दलील : उनका कहना था कि प्रोन्नति नहीं देने के लिए विभाग कई तरीके अपनाये. कभी कहा गया कि आवेदक फील्ड टेस्ट बोर्ड पास नहीं है, तो कभी कहा गया कि विभागीय कार्रवाई लंबित रहने के कारण प्रोन्नति देने पर विचार नहीं किया गया. जबकि डीजी बोर्ड ने प्रोन्नति के लिए योग्य माना था. आवेदक का नाम क्रमांक 17 पर अंकित था. इनसे जूनियर दारोगा को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति दे दी गई.

प्रमोशन नहीं देने वाले आदेश निरस्त : कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दी गई हर दलील को नामंजूर करते हुए प्रोन्नति नहीं देने के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही 15 अक्टूबर 1996 से आवेदक को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया. कोर्ट ने सरकार को आठ सप्ताह के भीतर आवेदक को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने के बारे में आदेश जारी करने की बात कही.

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पटना : पटना हाई कोर्ट ने दारोगा को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया. इसके अलावे सेवानिवृत दारोगा को 15 अक्टूबर, 1996 से इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया है. जस्टिस राजेश कुमार वर्मा ने दारोगा रामवृक्ष पासवान की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया कि आवेदक से जूनियर दारोगा को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति दे दी गई.

इंस्पेक्टर को प्रोन्नति देने का आदेश : लेकिन जब आवेदक की बारी आई, तो उसे फील्ड टेस्ट बोर्ड में फेल बता प्रोन्नति देने से इंकार कर दिया. उनका कहना था कि आवेदक फील्ड टेस्ट में पास था और प्रोन्नति के लिए उसके नाम का अनुशंसा तक किया गया था. डीजी, बोर्ड ने आवेदक को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति के लिए योग्य पाया गया।लेकिन उसे प्रोन्नति नहीं दी गई. इसी बीच आवेदक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई और उसे 31 जुलाई 2002 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

रिटायरमेंट के 21 साल बाद फैसला : लेकिन अपीलीय अधिकारी ने बर्खास्तगी आदेश को 22 नवम्बर,2002 को निरस्त कर दिया और उसे पूरे वेतन के साथ सेवा में वापस लेने का आदेश दिया. इसी बीच 1मई, 2003 को दारोगा के ही पद से सेवानिवृत्त हो गया. उनका कहना था कि विभागीय कार्रवाई लंबित रहने की बात कह आवेदक को प्रोन्नति नहीं दी गई. जबकि विभागीय कार्रवाई 22 नवम्बर, 2002 को ही समाप्त हो गया था.

हाई कोर्ट में दी गई दलील : उनका कहना था कि प्रोन्नति नहीं देने के लिए विभाग कई तरीके अपनाये. कभी कहा गया कि आवेदक फील्ड टेस्ट बोर्ड पास नहीं है, तो कभी कहा गया कि विभागीय कार्रवाई लंबित रहने के कारण प्रोन्नति देने पर विचार नहीं किया गया. जबकि डीजी बोर्ड ने प्रोन्नति के लिए योग्य माना था. आवेदक का नाम क्रमांक 17 पर अंकित था. इनसे जूनियर दारोगा को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति दे दी गई.

प्रमोशन नहीं देने वाले आदेश निरस्त : कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दी गई हर दलील को नामंजूर करते हुए प्रोन्नति नहीं देने के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही 15 अक्टूबर 1996 से आवेदक को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया. कोर्ट ने सरकार को आठ सप्ताह के भीतर आवेदक को इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति देने के बारे में आदेश जारी करने की बात कही.

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