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विवि की राशि को 10 दिनों में जारी करें, वरना शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का वेतन रोक दिया जायेगा, HC का बड़ा आदेश - Patna High Court - PATNA HIGH COURT

Funds allotted Bihar universities : बिहार के कई विश्वविद्यालयों में फरवरी से वेतन नहीं मिला है. शिक्षा विभाग की ओर से की गई कार्रवाई पर पटना उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए महत्वपूर्ण आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

PATNA HIGH COURT
PATNA HIGH COURT (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 17, 2024, 6:41 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा विभाग द्वारा अब तक स्वीकृत बजट की राशि को दस दिनों में निर्गत करने का निर्देश दिया है. जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य के तीन विश्वविद्यालयों, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय (दरभंगा), वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) व मुंगेर विश्वविद्यालय के खातों को फ्रिज करने के आदेश पर रोक लगा दिया.

'राशि भेजें नहीं तो कटेगा वेतन' : मगध विश्वविद्यालय के अधिवक्ता सिद्दार्थ प्रसाद ने बताया कि यदि राज्य सरकार पूर्व में राज्य के विश्व विद्यालयों के बजट में स्वीकृत धनराशि दस दिनों में निर्गत नहीं करती, तो शिक्षा विभाग के सभी वरीय पदाधिकारीगण का वेतन रोक दिया जायेगा. पिछली सुनवाई में लम्बी बहस के बाद सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से बात बनी. विश्वविद्यालयों के वीसी शिक्षा विभाग के साथ बैठक करने में अपनी सहमति दी.

'वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी बैठक' : उनका कहना था कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में होना चाहिए. किसी के साथ बदसलूकी नहीं होनी चाहिए. इस बात पर शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया था कि वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी बैठक होगी. उनका कहना था कि शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र जारी कर कहा गया है कि विश्वविद्यालयों की परीक्षा का ससमय संचालन पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी. बैठक में भाग नहीं लेने पर विभाग ने विश्वविद्यालयों के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गयी.

'सचिव बैठक के लिए वीसी को नहीं बुला सकते' : कोर्ट को बताया गया था कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग, वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकता. उनका कहना था कि वरीयताक्रम में चांसलर सबसे ऊपर होते हैं. उसके बाद वीसी फिर प्रोवीसी होते हैं. उसके बाद विभाग के सचिव का नम्बर आता है. ऐसे में विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को नहीं बुला सकते.

'थोड़ी कड़ाई से विचलित हो गये' : वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा था कि जितना पैसा विश्वविद्यालयों को दी जा रही हैं, उस पैसा को छात्रों को दे दिया जाये, तो वे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर लेंगे. उनका कहना था कि राज्य सरकार लगभग 5 हजार करोड़ रुपये देती है. लेकिन शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की तुलना में काफी खराब है. उनका कहना था कि विभाग ने थोड़ी कड़ाई क्या की, सभी विचलित हो गये.

'छात्रों का भविष्य अंधकारमय' : पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि छात्रों का भविष्य अंधकारमय हैं. कोई भी विश्वविद्यालय समय पर परीक्षा नहीं ले रहा है. परीक्षा समय पर लेने के लिए बैठक बुलाई गई, तो वीसी भाग नहीं लिये. कोर्ट में सभी कानून की बात कर रहे हैं, लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि आखिर किस कानून के तहत विश्वविद्यालय पीएल खाता में पैसा रखते हैं.

25 जून को अगली सुनवाई : चांसलर की ओर से वरीय अधिवक्ता डॉ केएन सिंह और राजीव रंजन कुमार पांडेय ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए सभी को आपसी मतभेद मिटा कर बैठक में भाग लेना चाहिए. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जून 2024 को निर्धारित की गई है.

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पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा विभाग द्वारा अब तक स्वीकृत बजट की राशि को दस दिनों में निर्गत करने का निर्देश दिया है. जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य के तीन विश्वविद्यालयों, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय (दरभंगा), वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) व मुंगेर विश्वविद्यालय के खातों को फ्रिज करने के आदेश पर रोक लगा दिया.

'राशि भेजें नहीं तो कटेगा वेतन' : मगध विश्वविद्यालय के अधिवक्ता सिद्दार्थ प्रसाद ने बताया कि यदि राज्य सरकार पूर्व में राज्य के विश्व विद्यालयों के बजट में स्वीकृत धनराशि दस दिनों में निर्गत नहीं करती, तो शिक्षा विभाग के सभी वरीय पदाधिकारीगण का वेतन रोक दिया जायेगा. पिछली सुनवाई में लम्बी बहस के बाद सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से बात बनी. विश्वविद्यालयों के वीसी शिक्षा विभाग के साथ बैठक करने में अपनी सहमति दी.

'वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी बैठक' : उनका कहना था कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में होना चाहिए. किसी के साथ बदसलूकी नहीं होनी चाहिए. इस बात पर शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया था कि वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी बैठक होगी. उनका कहना था कि शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र जारी कर कहा गया है कि विश्वविद्यालयों की परीक्षा का ससमय संचालन पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी. बैठक में भाग नहीं लेने पर विभाग ने विश्वविद्यालयों के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गयी.

'सचिव बैठक के लिए वीसी को नहीं बुला सकते' : कोर्ट को बताया गया था कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग, वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकता. उनका कहना था कि वरीयताक्रम में चांसलर सबसे ऊपर होते हैं. उसके बाद वीसी फिर प्रोवीसी होते हैं. उसके बाद विभाग के सचिव का नम्बर आता है. ऐसे में विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को नहीं बुला सकते.

'थोड़ी कड़ाई से विचलित हो गये' : वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा था कि जितना पैसा विश्वविद्यालयों को दी जा रही हैं, उस पैसा को छात्रों को दे दिया जाये, तो वे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर लेंगे. उनका कहना था कि राज्य सरकार लगभग 5 हजार करोड़ रुपये देती है. लेकिन शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की तुलना में काफी खराब है. उनका कहना था कि विभाग ने थोड़ी कड़ाई क्या की, सभी विचलित हो गये.

'छात्रों का भविष्य अंधकारमय' : पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि छात्रों का भविष्य अंधकारमय हैं. कोई भी विश्वविद्यालय समय पर परीक्षा नहीं ले रहा है. परीक्षा समय पर लेने के लिए बैठक बुलाई गई, तो वीसी भाग नहीं लिये. कोर्ट में सभी कानून की बात कर रहे हैं, लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि आखिर किस कानून के तहत विश्वविद्यालय पीएल खाता में पैसा रखते हैं.

25 जून को अगली सुनवाई : चांसलर की ओर से वरीय अधिवक्ता डॉ केएन सिंह और राजीव रंजन कुमार पांडेय ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए सभी को आपसी मतभेद मिटा कर बैठक में भाग लेना चाहिए. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 जून 2024 को निर्धारित की गई है.

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