पटनाः पटना हाईकोर्ट ने बुधवार 11 सितंबर को दहेज हत्या के एक मामले में रोहतास जिला के बिक्रमगंज में कार्यरत न्यायिक दंडाधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह ने न्यायिक दंडाधिकारी प्रतीक शैल की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले की गंभीरता एवं तथ्यों का अवलोकन करने के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया.
क्या है आरोपः आरोप के अनुसार ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट प्रतीक शैल की 11.05.2022 को हिंदू रीति-रिवाज से शादी हुई थी. आरोप है कि शादी के एक महीने बाद ही उन्होंने दहेज के लिए पत्नी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने कथित रूप से पत्नी की हत्या कर दी. इस मामले में लड़की के घरवालों ने बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
मजिस्ट्रेट के वकील की दलीलः याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता उमेश प्रसाद सिंह ने कोर्ट में दलील रखी. उन्होंने कोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ता निर्दोष है. सम्मानित पद पर कार्यरत है. उन्होंने कहा कि मृतका के मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार, वह पुरानी और गंभीर टीबी की मरीज थी. इसके अलावा भी कई अन्य तरह की जटिलताओं से पीड़ित थी, लेकिन उसने कभी ससुराल वालों को नहीं बताया.
याचिका का विरोधः दूसरे पक्ष की ओर से एपीपी उमानाथ मिश्रा ने प्रतीक शैल की जमानत याचिका का विरोध किया. कोर्ट को बताया कि मृतक की अन्य जटिलताओं के उपचार के संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से कोई चिकित्सकीय पर्चा दाखिल नहीं किया गया है. उन्होंने याचिकाकर्ता की ओर से दिये गये दलील को मनगढ़त बताया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रतीक शैल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.