पटनाः पटना हाईकोर्ट ने बिहार का प्रसिद्ध गया विष्णुपद मंदिर मामले में सुनवाई की. 46 साल से चल रहा विवाद समाप्त हो गया. पटना हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में गया स्थित विष्णुपद मंदिर को सार्वजनिक प्रकृति का धार्मिक न्यास करार दिया है.
हजारों साल पुराना है मंदिरः हाईकोर्ट ने यह भी तय किया की हजारों साल पुराने विष्णुपद मंदिर, जहां लोग अपने पितरों के मोक्ष के लिए आते रहे हैं. इससे मंदिर और तीर्थ का आध्यात्मिक लाभ जनसामान्य को ही मिलता है न कि सिर्फ वहां के रहने वाले गयावाल पंडे और पुजारियों को मिलता है.
दक्षिणा लेने का अधिकारी पुजारियों काः ऐसी परिस्थितियों में विष्णुपद मंदिर एक सार्वजनिक न्यास है न कि निजी न्यास है. इसका प्रबंधन और रोजाना देखभाल का जिम्मा बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद का है. वहां के गयावाल पुजारी मंदिर का देखभाल नहीं करेंगे. कोर्ट ने यह भी निर्णय दिया कि विष्णुपद मंदिरों में पूजा कराने और वहां आने वाले हिंदू तीर्थ यात्रियों का पिंड दान करवाने और उसके बदले दक्षिणा लेने का अधिकार गयावाल पुजारियों का ही है.
46 साल पुराना कानूनी लड़ाई समाप्तः जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा ने विष्णुपद भगवान और उनकी ओर से गयावाल पुजारियों की अपील को रद्द करते हुए ये निर्णय दिया. हाईकोर्ट के इस निर्णय से विष्णुपद मंदिर के निजी अथवा सार्वजनिक होने का 46 साल पुराना कानूनी लड़ाई समाप्त हो गयी.
कई साक्ष्यों के आधार पर सुनवाईः इस अपील की सुनवाई में दस्तावेजीय साक्ष्य के तौर पर वाल्मिकी रामायण, महाभारत, अग्नि पुराण, वायु पुराण, इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होलकर (जिन्होंने विष्णुपद मंदिर का निर्माण करवाया) की जीवनकथा और गया के प्रथम जिला गजट जो ब्रिटिश राज के दौरान लिखा गया, इन सबों से साक्ष्य लिए गए हैं.
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