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मुख्यमंत्री श्रमिक योजना का हाल: शहरी श्रमिकों को रोजगार देने में हेमंत सरकार फिसड्डी! - Employment Guarantee Scheme

Bad condition of Mukhyamantri Shramik Yojana. झारखंड में मुख्यमंत्री श्रमिक योजना का हाल-बेहाल है. नगर विकास विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस साल सरकार के द्वारा निर्धारित मानव कार्यदिवस का 10% भी रोजगार मुहैया नहीं कराया जा सका है.

pathetic condition of Mukhyamantri Shramik Yojana in Jharkhand
झारखंड मंत्रालय का प्रोजेक्ट भवन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 12, 2024, 8:02 PM IST

रांची: झारखंड में शहरी क्षेत्र के मजदूरों को हर साल 100 दिनों का रोजगार गारंटी सरकारी फाइलों में ही सिमट कर रह गया है. हालत यह है कि इस साल सरकार के द्वारा निर्धारित मानव कार्यदिवस का 10% भी मुहैया नहीं कराया गया है.

झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो चालू वित्तीय वर्ष में 10 लाख मानव दिवस मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 5 अगस्त तक 1 लाख 409 मानव दिवस मुहैया कराए गए. बात अगर जॉब कार्ड मुहैया कराने की करें तो विभाग ने 20 हजार का लक्ष्य रखा है जिसमें मात्र 2 हजार 752 ही जारी किए गए हैं. शहरी निकायों के माध्यम से मिलनेवाले रोजगार की इस सरकारी गारंटी को देने में रांची सहित कई निकाय फिसड्डी साबित हो रहा है. विडंबना यह है कि रांची, गिरिडीह, मानगो, देवघर, दुमका, लोहरदगा, चिरकुंडा, फुसरो, गुमला, मिहिजाम, पाकुड़, महगामा, सरायकेला, बरहरवा, बंशीधरनगर, छतरपुर, हरिहरगंज, मझिआंव, जामताड़ा, चाकुलिया जैसे नगर निकायों में एक भी दिन मजदूरों को रोजगार नहीं मिला.

बेरोजगारी भत्ता में कंजूसी!

मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत रोजगार नहीं मिलने पर सरकार के द्वारा बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है. झारखंड सरकार ने इसमें भी कंजूसी दिखाई है. रांची नगर निगम के पूर्व पार्षद अरुण कुमार झा इसके लिए नगर निकायों का चुनाव नहीं होने बड़ी वजह मानते हैं. उनके अनुसार निर्वाचित जनप्रतिनिधि सरकार के अधिकारियों पर दवाब बनाकर मजदूरों को रोजगार मुहैया कराते रहे हैं.

बोर्ड की बैठक में सवाल उठने के भय से अधिकारी योजना को संचालित करने में तत्परता भी दिखाते हैं मगर वर्तमान समय में ना तो जनप्रतिनिधि है और ना ही अधिकारियों को भय. ऐसे में इसका क्षति मजदूरों को उठाना पड़ता है. इधर विभागीय मंत्री हफीजुल हसन लोकसभा चुनाव के कारण जारी आचार संहिता को बड़ी वजह मानते हैं. उनका मानना है कि सरकार इस दिशा में शेष बचे समय में तत्परतापूर्वक काम करेगी.

इसे भी पढ़ें- ...तो इस वजह से झारखंड के युवा रह जाते हैं बेरोजगार, जानिए क्या कर रही है सरकार - youth of Jharkhand

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इसे भी पढ़ें- भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने विधानसभा के पास किया प्रदर्शन! जमकर लगाए सरकार विरोधी नारे - BJYM demonstration

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झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो चालू वित्तीय वर्ष में 10 लाख मानव दिवस मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 5 अगस्त तक 1 लाख 409 मानव दिवस मुहैया कराए गए. बात अगर जॉब कार्ड मुहैया कराने की करें तो विभाग ने 20 हजार का लक्ष्य रखा है जिसमें मात्र 2 हजार 752 ही जारी किए गए हैं. शहरी निकायों के माध्यम से मिलनेवाले रोजगार की इस सरकारी गारंटी को देने में रांची सहित कई निकाय फिसड्डी साबित हो रहा है. विडंबना यह है कि रांची, गिरिडीह, मानगो, देवघर, दुमका, लोहरदगा, चिरकुंडा, फुसरो, गुमला, मिहिजाम, पाकुड़, महगामा, सरायकेला, बरहरवा, बंशीधरनगर, छतरपुर, हरिहरगंज, मझिआंव, जामताड़ा, चाकुलिया जैसे नगर निकायों में एक भी दिन मजदूरों को रोजगार नहीं मिला.

बेरोजगारी भत्ता में कंजूसी!

मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत रोजगार नहीं मिलने पर सरकार के द्वारा बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है. झारखंड सरकार ने इसमें भी कंजूसी दिखाई है. रांची नगर निगम के पूर्व पार्षद अरुण कुमार झा इसके लिए नगर निकायों का चुनाव नहीं होने बड़ी वजह मानते हैं. उनके अनुसार निर्वाचित जनप्रतिनिधि सरकार के अधिकारियों पर दवाब बनाकर मजदूरों को रोजगार मुहैया कराते रहे हैं.

बोर्ड की बैठक में सवाल उठने के भय से अधिकारी योजना को संचालित करने में तत्परता भी दिखाते हैं मगर वर्तमान समय में ना तो जनप्रतिनिधि है और ना ही अधिकारियों को भय. ऐसे में इसका क्षति मजदूरों को उठाना पड़ता है. इधर विभागीय मंत्री हफीजुल हसन लोकसभा चुनाव के कारण जारी आचार संहिता को बड़ी वजह मानते हैं. उनका मानना है कि सरकार इस दिशा में शेष बचे समय में तत्परतापूर्वक काम करेगी.

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