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उत्तराखंड कांग्रेस में दलबदल की भीषण लैंडस्लाइड, करन माहरा समझ नहीं पा रहे कैसे बचाएं पार्टी? - UK Congress Leaders Joining BJP

Many leaders of Uttarakhand Congress left the party उत्तराखंड में साल 2016 की यादें एक बार फिर ताजा हो रही हैं. खास बात यह है कि इस बार भी दल-बदल के चक्रव्यूह में कांग्रेस ही फंसी है. लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले यहां कांग्रेस में भगदड़ के हालात मच गए हैं. उधर इन हालातों को देखकर भी कांग्रेस संगठन लाचार बना हुआ है. स्थिति ये है कि कांग्रेस के कई नेताओं की दल-बदल को लेकर चर्चा हो रही है, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश कांग्रेस संगठन और दूसरे दिग्गज नेता आत्म समर्पण की सी स्थिति में दिख रहे हैं.

Uttarakhand Congress
उत्तराखंड कांग्रेस समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 19, 2024, 7:16 AM IST

Updated : Mar 20, 2024, 9:25 AM IST

कांग्रेस के सामने संकट अपार, कैसे बचाएंगे खेवनहार?

देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में तोड़फोड़ करने के संकेत भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से काफी पहले ही दे चुकी थी. कांग्रेस के कई नेताओं के भाजपा के संपर्क में होने की बात भी खुले रूप से भाजपाई अपने बयानों में कह रहे थे. इतना ही नहीं राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम भी चर्चाओं में चल रहे थे. प्रदेश में इतना कुछ हो रहा था लेकिन कांग्रेस यह सब देखकर भी अनजान बनी हुई थी. या यूं कहें कि पार्टी ने पहले ही भाजपा की रणनीति के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. तभी तो एक के बाद एक नेता पार्टी में इस्तीफा देते रहे और डैमेज कंट्रोल के नाम पर कांग्रेस प्रदेश में कुछ खास नहीं कर पाई.

Uttarakhand Congress
उत्तराखंड कांग्रेस में भगदड़

वैसे कहते हैं कि जाने वाले को कौन रोक सकता है, लेकिन यहां तो रोकने के प्रयासों पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं. यानी एक तरफ भाजपा की रणनीति थी और दूसरी तरफ कांग्रेस संगठन लाचार हालत में था. अब जानिए पिछले कुछ दिनों में ही किन नेताओं ने कांग्रेस पार्टी को गुड बाय कहा.

Uttarakhand Congress
पूर्व कांग्रेस उपाध्यक्ष केसर सिंह ने पार्टी छोड़ी

इन्होंने छोड़ दी कांग्रेस-

  • बदरीनाथ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भंडारी ने अचानक छोड़ा कांग्रेस का साथ.
  • गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने थामा भाजपा का दामन.
  • पुरोला से पूर्व विधायक मालचंद ने भी कांग्रेस को अलविदा कहा.
  • टिहरी से पूर्व विधायक धन सिंह ने छोड़ी कांग्रेस.
  • रुद्रप्रयाग से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं लक्ष्मी राणा ने भी छोड़ी कांग्रेस.
  • हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं ने भी कांग्रेस से दिया इस्तीफा.
  • पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में ढूंढा ठिकाना.
  • भुवन चंद खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी ने भी कांग्रेस की बजाय भाजपा पर जताया विश्वास.

कांग्रेस छोड़ने वालों की लगी लाइन: हैरत की बात यह है कि इन सभी ने कांग्रेस से त्यागपत्र देते वक्त सिर्फ एक लाइन में ही व्यक्तिगत कारण बताते हुए पार्टी छोड़ दी. सभी का पार्टी छोड़ने के दौरान एक ही भाषा में त्यागपत्र देना भी चर्चा का सबब बना हुआ है. कुछ लोग इसे भाजपा की पहले से ही तय की गई रणनीति भी मान रहे हैं. उधर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा ने अब भी कई कांग्रेसी नेताओं के संपर्क में होने की बात कही है और कांग्रेस संगठन की नाकामी को भी जाहिर करते हुए कांग्रेस के भीतर आपसी गुटबाजी को उनके लिए बड़ी मुसीबत बताया.

Uttarakhand Congress
कांग्रेस छोड़ने का सिलसिला जारी है

अभी और हो सकती है कांग्रेस में टूट: कांग्रेस इस बात को लेकर आशंकित है कि भाजपा उनकी पार्टी के कई अन्य बड़े नेताओं से संपर्क साध रही है. इसके लिए अब ऐसे नेताओं की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है, लेकिन यह सब प्रयास बेअसर दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड में अभी कांग्रेस के ऐसे कई नेता हैं, जिनका नाम गाहेबगाहे दल बदल को लेकर सामने आ रहा है. ऐसे मुश्किल हालात को देखते हुए अब पार्टी के नेता पार्टी कार्यकर्ताओं और दूसरे नेताओं से भावुक अपील करने में जुट गए हैं. उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि कांग्रेस के लिए यह संकट काल है. इस संकट में पार्टी के हर नेता और कार्यकर्ता को पार्टी के साथ खड़ा रहना चाहिए. पार्टी एक मां के समान होती है. यही सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगे बढ़ाने का काम करती है. ऐसे में इन मुश्किल हालात के दौरान सभी को पार्टी की भावनाओं के साथ खड़ा रहना चाहिए.

Uttarakhand Congress
मनीष खंडूड़ी ने कांग्रेस को टाटा बाय-बाय कहा

उत्तराखंड कांग्रेस को ऐसे हालात का है पुराना अनुभव: उत्तराखंड में कांग्रेस के साथ ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब पार्टी बड़ी मुश्किल में दिखाई दे रही हो. दल बदल से उपजे संकट का सामना पहले भी पार्टी उत्तराखंड में कर चुकी है. देशभर में उत्तराखंड बड़े दलबदल को लेकर सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है. साल 2016 में उत्तराखंड की राजनीति में जो भगदड़ हुई थी, वह शायद ही देश में कभी किसी राज्य में देखने को मिली हो. ऐसा इसलिए क्योंकि उसे दौरान न केवल सत्ताधारी दल के पूर्व मुख्यमंत्री बल्कि कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों ने एक साथ पार्टी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ही छोड़ दी थी. कांग्रेस के कई कैबिनेट मंत्री राष्ट्रीय स्तर की पहचान रखने वाले कद्दावर नेता एक साथ पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हो गए थे. इतने बड़े स्तर पर देश ने विधानसभा के अंदर संवैधानिक संकट को पहली बार देखा और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे राजनीतिक मामला आज भी एक नजीर है. तब कांग्रेस के नौ विधायक जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर कैबिनेट मंत्री और विधायक शामिल थे सभी ने पार्टी छोड़ी थी. जबकि इसके अलावा भी कुछ ही समय के अंतराल में कुछ दूसरे कैबिनेट मंत्रियों ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया था.

Uttarakhand Congress
राजेंद्र भंडारी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए

दलबदल दिला रहा 2016 की याद: इस बार भले ही उत्तराखंड में इतने बड़े स्तर पर दल बदल नहीं हुआ हो, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक नेताओं का कांग्रेस छोड़ना 2016 की याद दिला रहा है. उस समय कांग्रेस सत्ता में थी, लेकिन इस बार विपक्ष में होने के बावजूद भी दल बदल के निशाने पर कांग्रेस ही है. जबकि सवालों के घेरे में कांग्रेस का संगठन है जो दल बदल ना रोक पाने के कारण इसके कमजोर हालात को जाहिर कर रहा है.

Uttarakhand Congress
अनुकृति गुसाईं ने भी कांग्रेस छोड़ दी

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देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में तोड़फोड़ करने के संकेत भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से काफी पहले ही दे चुकी थी. कांग्रेस के कई नेताओं के भाजपा के संपर्क में होने की बात भी खुले रूप से भाजपाई अपने बयानों में कह रहे थे. इतना ही नहीं राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम भी चर्चाओं में चल रहे थे. प्रदेश में इतना कुछ हो रहा था लेकिन कांग्रेस यह सब देखकर भी अनजान बनी हुई थी. या यूं कहें कि पार्टी ने पहले ही भाजपा की रणनीति के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. तभी तो एक के बाद एक नेता पार्टी में इस्तीफा देते रहे और डैमेज कंट्रोल के नाम पर कांग्रेस प्रदेश में कुछ खास नहीं कर पाई.

Uttarakhand Congress
उत्तराखंड कांग्रेस में भगदड़

वैसे कहते हैं कि जाने वाले को कौन रोक सकता है, लेकिन यहां तो रोकने के प्रयासों पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं. यानी एक तरफ भाजपा की रणनीति थी और दूसरी तरफ कांग्रेस संगठन लाचार हालत में था. अब जानिए पिछले कुछ दिनों में ही किन नेताओं ने कांग्रेस पार्टी को गुड बाय कहा.

Uttarakhand Congress
पूर्व कांग्रेस उपाध्यक्ष केसर सिंह ने पार्टी छोड़ी

इन्होंने छोड़ दी कांग्रेस-

  • बदरीनाथ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भंडारी ने अचानक छोड़ा कांग्रेस का साथ.
  • गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने थामा भाजपा का दामन.
  • पुरोला से पूर्व विधायक मालचंद ने भी कांग्रेस को अलविदा कहा.
  • टिहरी से पूर्व विधायक धन सिंह ने छोड़ी कांग्रेस.
  • रुद्रप्रयाग से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं लक्ष्मी राणा ने भी छोड़ी कांग्रेस.
  • हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं ने भी कांग्रेस से दिया इस्तीफा.
  • पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में ढूंढा ठिकाना.
  • भुवन चंद खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी ने भी कांग्रेस की बजाय भाजपा पर जताया विश्वास.

कांग्रेस छोड़ने वालों की लगी लाइन: हैरत की बात यह है कि इन सभी ने कांग्रेस से त्यागपत्र देते वक्त सिर्फ एक लाइन में ही व्यक्तिगत कारण बताते हुए पार्टी छोड़ दी. सभी का पार्टी छोड़ने के दौरान एक ही भाषा में त्यागपत्र देना भी चर्चा का सबब बना हुआ है. कुछ लोग इसे भाजपा की पहले से ही तय की गई रणनीति भी मान रहे हैं. उधर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा ने अब भी कई कांग्रेसी नेताओं के संपर्क में होने की बात कही है और कांग्रेस संगठन की नाकामी को भी जाहिर करते हुए कांग्रेस के भीतर आपसी गुटबाजी को उनके लिए बड़ी मुसीबत बताया.

Uttarakhand Congress
कांग्रेस छोड़ने का सिलसिला जारी है

अभी और हो सकती है कांग्रेस में टूट: कांग्रेस इस बात को लेकर आशंकित है कि भाजपा उनकी पार्टी के कई अन्य बड़े नेताओं से संपर्क साध रही है. इसके लिए अब ऐसे नेताओं की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है, लेकिन यह सब प्रयास बेअसर दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड में अभी कांग्रेस के ऐसे कई नेता हैं, जिनका नाम गाहेबगाहे दल बदल को लेकर सामने आ रहा है. ऐसे मुश्किल हालात को देखते हुए अब पार्टी के नेता पार्टी कार्यकर्ताओं और दूसरे नेताओं से भावुक अपील करने में जुट गए हैं. उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि कांग्रेस के लिए यह संकट काल है. इस संकट में पार्टी के हर नेता और कार्यकर्ता को पार्टी के साथ खड़ा रहना चाहिए. पार्टी एक मां के समान होती है. यही सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगे बढ़ाने का काम करती है. ऐसे में इन मुश्किल हालात के दौरान सभी को पार्टी की भावनाओं के साथ खड़ा रहना चाहिए.

Uttarakhand Congress
मनीष खंडूड़ी ने कांग्रेस को टाटा बाय-बाय कहा

उत्तराखंड कांग्रेस को ऐसे हालात का है पुराना अनुभव: उत्तराखंड में कांग्रेस के साथ ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब पार्टी बड़ी मुश्किल में दिखाई दे रही हो. दल बदल से उपजे संकट का सामना पहले भी पार्टी उत्तराखंड में कर चुकी है. देशभर में उत्तराखंड बड़े दलबदल को लेकर सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है. साल 2016 में उत्तराखंड की राजनीति में जो भगदड़ हुई थी, वह शायद ही देश में कभी किसी राज्य में देखने को मिली हो. ऐसा इसलिए क्योंकि उसे दौरान न केवल सत्ताधारी दल के पूर्व मुख्यमंत्री बल्कि कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों ने एक साथ पार्टी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ही छोड़ दी थी. कांग्रेस के कई कैबिनेट मंत्री राष्ट्रीय स्तर की पहचान रखने वाले कद्दावर नेता एक साथ पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हो गए थे. इतने बड़े स्तर पर देश ने विधानसभा के अंदर संवैधानिक संकट को पहली बार देखा और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे राजनीतिक मामला आज भी एक नजीर है. तब कांग्रेस के नौ विधायक जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर कैबिनेट मंत्री और विधायक शामिल थे सभी ने पार्टी छोड़ी थी. जबकि इसके अलावा भी कुछ ही समय के अंतराल में कुछ दूसरे कैबिनेट मंत्रियों ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया था.

Uttarakhand Congress
राजेंद्र भंडारी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए

दलबदल दिला रहा 2016 की याद: इस बार भले ही उत्तराखंड में इतने बड़े स्तर पर दल बदल नहीं हुआ हो, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक नेताओं का कांग्रेस छोड़ना 2016 की याद दिला रहा है. उस समय कांग्रेस सत्ता में थी, लेकिन इस बार विपक्ष में होने के बावजूद भी दल बदल के निशाने पर कांग्रेस ही है. जबकि सवालों के घेरे में कांग्रेस का संगठन है जो दल बदल ना रोक पाने के कारण इसके कमजोर हालात को जाहिर कर रहा है.

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Last Updated : Mar 20, 2024, 9:25 AM IST
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