प्रयागराजः संगम नगरी प्रयागराज में जनवरी 2025 में शुरू होने वाले कुम्भ मेला से पहले परी अखाड़े की तरफ से शाही स्नान का समय दिए जाने की मांग उठानी शुरू कर दी है. महिलाओं के परी अखाड़े की स्थापना करने वाली महिला संत त्रिकाल भवंता ने कहाकि नारियों को सशक्त बनाने के लिए परी अखाड़े को भी अन्य अखाड़ों की तरह ही महिलाओं के अखाड़े को भी शाही स्नान के लिए अलग घाट और समय दिए जाने की मांग उठाई है. अखाड़े का दावा है कि इस बार कुंभ में 25 हजार महिला संत देश भर से भाग लेने पहुंचेंगी.
वहीं, परी अखाड़े की संस्थापक संत त्रिकाल भवंता ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर भरोसा जताते हुए प्रयागराज के महाकुम्भ में शाही स्नान में शामिल होने के लिए समय मिलने की उम्मीद जताई है. उनका कहना है कि नारियों को मजबूत करने और सशक्त बनाने की बात करने वाली भाजपा सरकार महिला संतो का सम्मान करेगी और उन्हें आगामी कुम्भ में उनका हक जरूर मिलेगा. यही नहीं त्रिकाल भवंता ने यह भी मांग की है कि इस कुम्भ में उनके अखाड़े की महिला सन्तों को शाही स्नान का समय देने के अलावा उनके लिए अलग घाट की व्यवस्था भी किये जाने की मांग की है.अब देखना ये होगा कि 12 सालों से महिलाओं के अखाड़े के शाही स्नान के समय और घाट की मांग पर क्या फैसला होता है.
25 हजार महिला संतों के आने का दावा
वहीं परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ रेखामणि परी जी महाराज ने कहाकि वो अपने अखाड़े की संस्थापक महिला शंकराचार्य त्रिकाल भवंता के साथ मिलकर महिला संतों को उनका हक दिलाने के लिए पूरा प्रयास करेंगी.यही नहीं उन्होंने यह भी कहाकि 2025 के महाकुम्भ में उनके परी अखाड़े में देश भर से 25 हजार से अधिक महिला संत आएंगी.जिनके रहने और स्नान के लिए बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए उनकी तरफ से अभी से ही योजना बनायी जा रही है.महिला मेले में आकर सुरक्षित तरीके से रहने के साथ ही स्नान करके जप तप साधना करें उसके लिए व्यवस्था की जाएगी.जिसके लिए उन्होंने सरकार और मेल प्रशासन से महिला संतों को भी पुरुषों और किन्नर अखाड़े के जैसी व्यवस्था दिए जाने की मांग उठायी है.
त्रिकाल भवंता ने हरि गिरी से भी मुलाकात की
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी ने महिलाओं के अखाड़े को मान्यता देने और शाही स्नान का समय दिए जाने के सवाल पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.उनका कहना है कि पहले तरह अखाड़ों और उनसे जुड़े लोगों के स्नान का समय तय हो जाए फिर किसी और पर विचार किया जाएगा.इसके साथ ही उन्होंने परी अखाड़े का नाम लिए बिना उन्हें सलाह दी कि वो अपने अखाड़े के और विस्तार करें उसके बाद इस तरह की मांग उठाएं.अखाड़ा परिषद के महामंत्री ने यह भी कहाकि वो सभी संतों का सम्मान करते हैं त्रिकाल भवंता ने उनसे मुलाकात की है लेकिन किसी अखाड़े को मान्यता देना उनका अकेले का फैसला नहीं हो सकता है.बहरहाल महंत हरी गिरी ने परी अखाड़े के विरोध करने की बात नहीं कही है यह भी परी अखाड़े के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं हैं.हालांकि इसके बाद भी परी अखाड़े के लिए शाही स्नान और अलग घाट की मांग पूरी होना आसान नहीं है.
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