पन्ना। केन नदी पर बने बरियारपुर डैम की हालत दिनों दिन जर्जर होती जा रही है. बता दें कि यह डैम पन्ना जिले के अजयगढ़ क्षेत्र में जरूर स्थित है पर इसकी देखरेख उत्तर प्रदेश सरकार के हवाले है. जिसके तहत जल संसाधन विभाग उत्तर प्रदेश को इसकी मरम्मत का जुम्मा मिला है. पर अधिकारियों द्वारा ध्यान न देने के कारण डैम की हालत जर्जर होती जा रही है.
उत्तर प्रदेश सरकार के हवाले डैम की जिम्मेदारी
प्राप्त जानकारी के अनुसार, केन नदी पर बने बरियारपुर डैम का निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी ने आजादी के पूर्व लगभग 117 वर्ष पहले कराया था. यह डैम पन्ना जिले में जरूर स्थित है पर इससे निकलने वाली सभी नहरे उत्तर प्रदेश की ओर जाती हैं. इसी कारण इस डैम की देखरेख, मरम्मत एवं मॉनिटरिंग उत्तर प्रदेश सरकार के हवाले है. कई वर्षों से इस डैम की देखरेख नहीं की गई है. इसलिए इस डैम की हालत दिनों दिन जर्जर होती जा रही है.
बांदा सहित जिलों की कृषि भूमि लिए वरदान है डैम
बरियारपुर बांध का नाम ग्राम बरियारपुर के नाम से पड़ा है. बरियारपुर बांध की क्षमता 12.50 मिलियन एमसीएम है. इस बांध की मदद से यूपी के बांदा जिले में लगभग 1100 किलोमीटर नहरों से सिंचाई की जाती है. केन नदी पर लगभग 650 मीटर लंबी दीवार क्रस्टवाल है, इसके अंदर सुरंगनुमा रास्ता है. दीवार के ऊपर 8.23 फीट लंबे चौड़े और ऊंचे भारी भरकम लोहे के फाटक लगे हैं. इन्हीं फटकों को खड़ा करके पानी रोका जाता है. बारिश में जब बांध उफान मारता है, तब इसकी दीवारों से लाखों क्यूसेक पानी बहा दिया जाता है.
दिनों दिन होती जा रही डैम की हालत जर्जर
बांध के फाटक पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. किसी की कैंची टूट चुकी है, तो किसी का पिन टूट चुका है. प्रतिवर्ष मरम्मत के नाम की राशि कागजों में खर्च हो जाती है. फाटकों की पुताई हर साल करने का नियम है, लेकिन कई सालों से पुताई नहीं हुई. जिससे फाटक पूरी तरह से जंग की चपेट में आकर जर्जर हो चुके हैं. बांध की सीढ़ियों की ग्रिल भी कई जगह से टूट चुकी है, इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.
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लोग जान जोखिम में डालकर पार करते हैं डैम
अजयगढ़ तहसील क्षेत्र के दर्जनों ग्रामों के लोग खजुराहो व राजनगर जाने के लिए शॉर्टकट के चक्कर में इस बांध पर चढ़कर जान जोखिम में डालकर पैदल या मोटरसाइकिल से बांध को पार करते हैं. जिससे कई बार हादसे भी हो चुके हैं. वहीं कुछ लोग नाव के सहारे भी इस बांध को पार करते हैं. बताया गया है कि बांध पार करने से खजुराहो मात्र 13 किलोमीटर पड़ता है. इसके अलावा अन्य मार्गों से जाने पर 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इसी वजह से लोग जान जोखिम में डालकर बांध को पार करते हैं.