पलामूः झारखंड की राजधानी रांची के भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में काला हिरण मौजूद हैं. लेकिन पलामू, गढ़वा एवं लातेहार में मौजूद पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में भी वे जल्द दिखाई देने वाले हैं.
पलामू टाइगर रिजर्व ने हिरण, चीतल, काला हिरण, नीलगाय, सांभर के लिए आधा दर्जन से अधिक सॉफ्ट रिलीज केंद्र बनाए है. सभी सॉफ्ट रिलीज सेंटर में हिरण, चीतल, काला हिरण को शिफ्ट किया जाना है. इनको रांची के भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से लाया जाना है. पहले चरण में 28 नर और 146 मादा हिरण को लाया गया गया है. जबकि जैविक उद्यान में 300 हिरण और 10 काला हिरण ले जाने की योजना है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की देखरेख में सभी हिरण और चीतल को लाया जाना है.
ठंड के बाद शुरू होगी शिफ्टिंग की प्रक्रिया
झारखंड में ठंड को देखते हुए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने हिरण एवं चीतल को रांची के भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से शिफ्ट करने की प्रक्रिया को रोका था. पीटीआर ने पूरे मामले में नेशनल जू अथॉरिटी से दोबारा अनुमति ली है. फरवरी के पहले सप्ताह में शिफ्ट करने की प्रक्रिया को शुरू की जाएगी. बोमा तकनीक से सभी वन्यजीवों को पलामू टाइगर रिजर्व में लाया जाना है एवं सॉफ्ट रिलीज सेंटर में भेजा जाना है.
पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं ठंड के कारण अभियान को थोड़ा धीमा किया गया था. ठंड के बाद हिरण, चीतल को शिफ्ट करने की प्रक्रिया को एक बार फिर से शुरू की जाएगी. इस प्रक्रिया में धीरे-धीरे काला हिरण, नीलगाय, सांभर को भी लाए जाने की प्रक्रिया चलेगी.
दशकों बाद पलामू जोन में दिखेगा काला हिरण
रांची के भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से शिफ्ट होने के बाद पलामू जोन में काला हिरण कई दशकों के बाद नजर आने वाला है. अंग्रेजी शासन काल में जारी हुए गजट में पलामू के इलाके में काला हिरण के मौजूदगी का जिक्र है. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस टाइगर रिजर्व के सिर्फ बेतला नेशनल पार्क के इलाके में हिरण मौजूद है. पीटीआर प्रबंधन सभी इलाकों में हिरण और चीतल की मौजूदगी के लिए सॉफ्ट रिलीज केंद्र बनाया है. पीटीआर में सबसे पहले काला हिरण के व्यवहार के आकलन किया जाएगा उसके बाद उसे जंगल में छोड़ा जाएगा.
इसे भी पढ़ें- झारखंड के इस इलाके में उमड़ा विदेशी पक्षियों का जमावड़ा, कई पहली बार पहुंचे पलामू
इसे भी पढ़ें- झारखंड के इस इलाके में घूम रही बाघिन, यहां सात बाघ के मूवमेंट को किया गया रिकॉर्ड!
इसे भी पढ़ें- झारखंड के इस इलाके में बाघ ने बदला ठिकाना! नए इलाके में शुरू किया शिकार