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देश के इस इलाके में बदल रहा है बारिश का पैटर्न! वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के लिए चुना गया है यह क्षेत्र - One District One Product

One District One Product of Palamu. पलामू जिले में लगातार बारिश का पैटर्न बदल रहा है. जिसके बाद किसान भी अब इसे स्वीकार कर खेती के पैटर्न में बदलाव कर रहे हैं. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के लिए पलामू को चुना गया है.

One District One Product of Palamu
खेती के दौरान किसान (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 6, 2024, 11:04 AM IST

पलामू: देश का एक ऐसा इलाका है जो पिछले दो दशक से सूखे के लिए चर्चा में है. हर साल इस इलाके में बारिश का पैटर्न बदलता रहता है. कभी शुरुआत में बारिश होती है तो कभी अंत में. यह इलाका है झारखंड के पलामू जिले का इलाका. पिछले दो दशक से पलामू सूखे के लिए चर्चा में है. पलामू प्रमंडल के इलाके में बारिश का पैटर्न बदल रहा है. अब धीरे-धीरे किसान भी बारिश के पैटर्न में हो रहे इस बदलाव को स्वीकार करने लगे हैं.

जानकारी देते डीसी शशि रंजन (ईटीवी भारत)

अविभाजित बिहार में पलामू का इलाका धान के कटोरे का हिस्सा रहा है. लेकिन अब यह इलाका चावल की खेती से अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है. राज्य सरकार और सरकारी तंत्र किसानों को चावल के अलावा अलग खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. दलहन की खेती के लिए पलामू के इलाके का चयन किया गया है. पलामू के इलाके को पूरे राज्य में अरहर (तूर) के उत्पादन का हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है. राज्य सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत अरहर के उत्पादन के लिए पलामू के इलाके का चयन किया है.

"बारिश का पैटर्न बदल रहा है, किसान दलहन की खेती में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. कई स्तरों पर समीक्षा की गई, जिसके बाद किसानों को दलहन की खेती से जोड़ने का निर्णय लिया गया. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत पलामू में अरहर की पैदावार का लक्ष्य रखा गया है. आने वाले समय में पलामू का इलाका दलहन उत्पादन का हब बन सकता है." - शशि रंजन, डीसी, पलामू

बढ़ रहा है अरहर का उत्पादन

पलामू प्रमंडल के किसान बारिश के पैटर्न में बदलाव को स्वीकार कर रहे हैं. पिछले पांच वर्षों से पलामू प्रमंडल में धान की खेती लगातार कम होती जा रही है. 2020 से अब तक पलामू प्रमंडल के किसानों को 51 क्विंटल दलहन के बीज उपलब्ध कराए गए हैं. लेकिन 2024 में सरकार की ओर से किसानों को 320 क्विंटल दलहन के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं. ये सभी बीज अरहर के उत्पादन से संबंधित हैं. पलामू में 34000 हेक्टेयर में अरहर उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. 2023 में पलामू प्रमंडल में 22 हजार टन अरहर का उत्पादन हुआ.

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जानकारी देते डीसी शशि रंजन (ईटीवी भारत)

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"बारिश का पैटर्न बदल रहा है, किसान दलहन की खेती में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. कई स्तरों पर समीक्षा की गई, जिसके बाद किसानों को दलहन की खेती से जोड़ने का निर्णय लिया गया. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत पलामू में अरहर की पैदावार का लक्ष्य रखा गया है. आने वाले समय में पलामू का इलाका दलहन उत्पादन का हब बन सकता है." - शशि रंजन, डीसी, पलामू

बढ़ रहा है अरहर का उत्पादन

पलामू प्रमंडल के किसान बारिश के पैटर्न में बदलाव को स्वीकार कर रहे हैं. पिछले पांच वर्षों से पलामू प्रमंडल में धान की खेती लगातार कम होती जा रही है. 2020 से अब तक पलामू प्रमंडल के किसानों को 51 क्विंटल दलहन के बीज उपलब्ध कराए गए हैं. लेकिन 2024 में सरकार की ओर से किसानों को 320 क्विंटल दलहन के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं. ये सभी बीज अरहर के उत्पादन से संबंधित हैं. पलामू में 34000 हेक्टेयर में अरहर उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. 2023 में पलामू प्रमंडल में 22 हजार टन अरहर का उत्पादन हुआ.

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