लातेहार: जिले के चटकपुर पंचायत के रहने वाले मनोज प्रजापति को मनरेगा योजना से कुआं मरम्मती की योजना स्वीकृत हुई थी. लाभुक के द्वारा काम पूरा करवाने के बाद अंतिम भुगतान के लिए पंचायत सेवक से पिछले कई दिनों से गुहार लगाई जा रही थी. परंतु पंचायत सेवक के द्वारा रिश्वत की मांग की जा रही थी. परेशान होकर लाभुक ने इसकी शिकायत पलामू एसीबी की टीम से की.
एसीबी की टीम ने पूरी मामले की छानबीन करने के बाद जब लाभुक के द्वारा लगाए गए आरोप में सत्यता पाई तो बुधवार को 4000 रुपए देकर लाभुक को पंचायत सेवक के पास भेजा. पंचायत सेवक उस समय बाजार में ही था. पंचायत सेवक ने जैसे ही पैसा लेकर अपने पॉकेट में रखा, वैसे ही पहले से घात लगाकर बैठी एसीबी की टीम ने पंचायत सेवक को धर दबोचा. जब पैसे की मिलान की गई तो पंचायत सेवक के पास वही पैसा पाया गया जो नोट निगरानी की टीम ने लाभुक को दिया था. इसके बाद निगरानी की टीम ने आरोपी पंचायत सेवक को आवश्यक छानबीन के बाद गिरफ्तार कर लिया और उसे अपने साथ पलामू ले गए.
घटना के बाद कर्मियों में हड़कंप
पंचायत सेवक को रिश्वत लेते गिरफ्तार होने की घटना के बाद कर्मियों में हड़कंप मच गया है. स्थानीय लाभुकों की मानें तो मनरेगा योजना का हाल ऐसा हो गया है कि बिना रिश्वत के एक पैसा भी भुगतान होना संभव नहीं होता. लाभुकों की मानें तो भुगतान से पहले ही रिश्वत मांगी जाती है. बड़े अधिकारियों से शिकायत करने पर भी इसका कोई प्रतिफल नहीं मिल पाता है. इसी कारण मजबूरी में लोग रिश्वत देकर ही काम करते हैं. जिसके कारण योजनाओं की गुणवत्ता में भी समझौता करना पड़ता है.
लाभुकों का कहना है कि यदि जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी इन मामलों में संज्ञान लेते हुए कड़े कार्रवाई करे तो ग्रामीणों को काफी राहत मिल सकेगी. परंतु वर्तमान में स्थिति तो ऐसी है कि जिन अधिकारी को जिला स्तर पर मनरेगा योजना की जिम्मेवारी है, वह किसी भी व्यक्ति का फोन ही नहीं उठाते हैं. आवश्यक छानबीन के बाद एसीबी की टीम गिरफ्तार पंचायत सेवक को जेल भेजने की तैयारी में लग गई है.
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