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विधि छात्र को कॉलेज से निष्कासित करने का आदेश रद्द, हाईकोर्ट ने परीक्षा में शामिल करने का दिया निर्देश - High Court News

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 21, 2024, 9:33 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के संगठक कॉलेज संत सिंह लॉ डिग्री कॉलेज, मेजा के छात्र सत्यम कुशवाहा का दाखिला निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह छात्र की फीस व आवेदन पत्र स्वीकार करें और उसे परीक्षा में शामिल करें.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट. (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के संगठक कॉलेज संत सिंह लॉ डिग्री कॉलेज, मेजा के छात्र सत्यम कुशवाहा का दाखिला निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह छात्र की फीस व आवेदन पत्र स्वीकार करें और उसे परीक्षा में शामिल करें. कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान कॉलेज चाहे तो नियमानुसार छात्र के मामले में कार्रवाई कर सकता है. कोर्ट ने सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सत्यम कुशवाहा की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने अधिवक्ता विभु राय और धनंजय राय को सुनकर दिया.

मामले के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर को 21 मार्च 2024 को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि सत्यम कुशवाहा अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है. उसके विरुद्ध प्रयागराज के कर्नलगंज थाने में 15 के करीब आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. सत्यम ने संत सिंह लॉ डिग्री कॉलेज मेजा में तीन वर्षीय विधि पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था. रज्जू भैया विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने यह पत्र मिलने के बाद संत सिंह डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल और मैनेजर को निर्देशित किया कि वह इस मामले में उचित कार्रवाई करें. इसके बाद सत्यम कुशवाहा का कॉलेज प्रबंधन ने दाखिला निरस्त कर दिया.

इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के विरुद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की गई है, उसे लॉ के द्वितीय सेमेस्टर में प्रवेश लेने से रोक दिया गया. ऐसा करने से पूर्व न तो उसे कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और न ही उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. अधिवक्ता का कहना था कि यह स्थापित कानून है कि किसी छात्र को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना न तो उसका दाखिला निरस्त किया जा सकता है और न ही उसे परीक्षा में बैठने से रोक सकते हैं.

जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का कहना था कि रजिस्ट्रार ने रज्जू भैया विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर को सिर्फ सूचना दी थी. वही रज्जू भैया विश्वविद्यालय के वकील का कहना था कि प्रॉक्टर ने रजिस्ट्रार के पत्र पर कॉलेज को कार्रवाई करने के लिए कहा था. यह कार्रवाई नियमानुसार की जानी चाहिए थी. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची के विरुद्ध कार्रवाई करने से पूर्व उसे सुनवाई का मौका नहीं दिया गया और उसका दाखिला निरस्त कर दिया गया. यह आदेश उचित नहीं है. कोर्ट ने कॉलेज द्वारा 1 अप्रैल 2024 को जारी आदेश रद्द कर दिया है तथा सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ें :इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश- सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी पर ही लागू होगा एससीएसटी एक्ट - Allahabad High Court Order

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के संगठक कॉलेज संत सिंह लॉ डिग्री कॉलेज, मेजा के छात्र सत्यम कुशवाहा का दाखिला निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह छात्र की फीस व आवेदन पत्र स्वीकार करें और उसे परीक्षा में शामिल करें. कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान कॉलेज चाहे तो नियमानुसार छात्र के मामले में कार्रवाई कर सकता है. कोर्ट ने सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सत्यम कुशवाहा की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने अधिवक्ता विभु राय और धनंजय राय को सुनकर दिया.

मामले के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर को 21 मार्च 2024 को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि सत्यम कुशवाहा अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है. उसके विरुद्ध प्रयागराज के कर्नलगंज थाने में 15 के करीब आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. सत्यम ने संत सिंह लॉ डिग्री कॉलेज मेजा में तीन वर्षीय विधि पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था. रज्जू भैया विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने यह पत्र मिलने के बाद संत सिंह डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल और मैनेजर को निर्देशित किया कि वह इस मामले में उचित कार्रवाई करें. इसके बाद सत्यम कुशवाहा का कॉलेज प्रबंधन ने दाखिला निरस्त कर दिया.

इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के विरुद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की गई है, उसे लॉ के द्वितीय सेमेस्टर में प्रवेश लेने से रोक दिया गया. ऐसा करने से पूर्व न तो उसे कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और न ही उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. अधिवक्ता का कहना था कि यह स्थापित कानून है कि किसी छात्र को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना न तो उसका दाखिला निरस्त किया जा सकता है और न ही उसे परीक्षा में बैठने से रोक सकते हैं.

जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का कहना था कि रजिस्ट्रार ने रज्जू भैया विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर को सिर्फ सूचना दी थी. वही रज्जू भैया विश्वविद्यालय के वकील का कहना था कि प्रॉक्टर ने रजिस्ट्रार के पत्र पर कॉलेज को कार्रवाई करने के लिए कहा था. यह कार्रवाई नियमानुसार की जानी चाहिए थी. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची के विरुद्ध कार्रवाई करने से पूर्व उसे सुनवाई का मौका नहीं दिया गया और उसका दाखिला निरस्त कर दिया गया. यह आदेश उचित नहीं है. कोर्ट ने कॉलेज द्वारा 1 अप्रैल 2024 को जारी आदेश रद्द कर दिया है तथा सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ें :इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश- सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी पर ही लागू होगा एससीएसटी एक्ट - Allahabad High Court Order

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