धर्मशाला: तपोवन विधानसभा में चल रहे शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन वीरवार को नियम 67 के तहत लाई गई चर्चा को लेकर मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने शाम को सदन से वाकआउट कर दिया. इससे पूर्व विपक्षी सदस्यों ने सदन में अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी शुरू कर दी और दोनों तरफ से थोड़ी देर के लिए सदन में माहौल काफी गरमा गया. इस दौरान विपक्षी विधायक सदन में झूठ बोलना बंद करो और सदन को गुमराह करना बंद करे जैसे नारे लगाते हुए सदन से बाहर चले गए. उधर इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने सदन में विपक्ष की गैर मौजूदगी में चर्चा का विस्तार से जवाब दिया. हालांकि, बाद में इस चर्चा को लेकर निंदा प्रस्ताव पारित कर इसे रद्द कर दिया गया.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर में नियम-67 में चर्चा के अंत में अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि एक कंपनी पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है, जिसमें पत्र भी घूम कर रहा है, जिसमें सीएम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. एजुकेशन में स्मार्ट क्लास रूम में एलईडी लगनी चाहिए थी, वहां प्रोजेक्टर लगाए जा रहे हैं. 68 करोड़ प्रोजेक्ट को दो पार्ट में दिया गया, जिसमें नामी कंपनी को छोड़कर अन्य कंपनी को काम दिया गया. 55 करोड़ बजट था, जिसमें 68 करोड़ दिया. स्कूली मेधावियों को नई कंपनी के माध्यम से टैबलेट करोड़ों रुपए के टेंडर नियमों को ताक पर रखकर दिए गए.
विधानसभा सदन में कांग्रेस सरकार कुछ सवालों पर आंकड़े प्रस्तुत कर रही है लेकिन उन पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) December 19, 2024
ऐसा इसलिए क्योंकि इस सरकार और सरकार के अधिकारियों के कामकाज से भरोसा टूट चुका है।
हिमाचल में आज ऐसी आउटसोर्स एजेंसियां पंजीकृत हुई हैं जो भर्तियां करने से पहले ही पैसे ले… pic.twitter.com/TqXaSu0er9
वहीं, नेता प्रतिपक्ष ने कहा जमीन घोटाले में 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी कैसे हुई. एक्साइज की पॉलिसी को कोविड-19 के दौर से किस तरह से अब के समय से जोड़ने का प्रयास किया जा सकता है. पीडब्ल्यूडी में 14 करोड़ का मलवा हटाया गया, जो कि हटा ही नहीं गए. जबकि कई काम हुए बिना ही पेमेंट की जा रही है.
पूर्व सीएम ने आपदा के समय में पैसों के वितरण को लेकर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा ब्यास नदी में बाढ़ के दौरान को रात को रेत-बजरी उठाकर कौन ले गए? डायरेक्टर हेल्थ सर्विस ऐसे व्यक्ति लगाए गए है, जो ओडीए में है. ओटीएस में जिनके घर गिरवी होने की स्थिति में आ गए, क्या उन्हें लाभ मिला या नेता को लाभ प्रदान किया जा रहा है. ग्रीन एनर्जी में आकंड़े पर अधिक न जाने की बात करते हुए कॉस्ट में 32 मेगावाट, 35 मेगावाट के डबल दाम पर चला गया है. आउटसोर्स में नौकरी देने के लिए पहले से ही पैसे लिए जा रहे हैं. कबाड़ मामले में भी उचित कार्रवाई की जाए और इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाए, जिसमें उन्होंने मंत्रालय बनाने की बात कही.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ने कहा सुक्खू सरकार ने जश्न में 25 करोड़ फूंक दिए. जबकि रैली में महिलाएं कुछ भी काम न होने की बातें कहती रही. समोसे की जांच करवा दी, जंगली मुर्गे मेन्यू के साथ वीडियो भी सामने आई. इस पर एफआईआर इस मामले में जंगली मुर्गा मारने, खाने व परोसने वालों पर करनी चाहिए थी, जबकि खबरें लगाने वालों पर किस आधार पर कार्रवाई हुई?
वहीं, विपक्ष के सवालों पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा लाई है, लेकिन विपक्ष चर्चा पर बिल्कुल गंभीर नहीं रहा. विपक्ष को उम्मीद थी चर्चा नहीं मिलेगी और वॉकआउट करके विपक्ष बाहर निकल जाएगा. लेकिन व्यवस्था परिवर्तन के तहत सरकार भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा करवाना चाहती थी. कांग्रेस सरकार सत्ता सुख के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आई है.
जो भी गलत करेगा, वो जेल जाएगा। pic.twitter.com/PGkfzYHUCv
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) December 19, 2024
पिछली भाजपा सरकार की नाकामी और लीपापोती के कारण हिमाचल विकास के मापदंडों पर पिछड़ गया था। pic.twitter.com/FTspY8mC19
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) December 19, 2024
वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 'गुमनाम चिट्ठी' को लेकर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर कहा कि यह फर्जी पत्र था. यह कच्चा चिट्ठा भाजपा की आंतरिक कलह का सबूत है. यह चिट्ठा भाजपा के लिए है न की कांग्रेस के लिए. कच्चे चिट्ठे में शराब ठेकों की नीलामी मामले में लगे आरोपों पर सीएम ने कहा कि इस सरकार ने इस मामले में रिकॉर्ड राजस्व अर्जित किया है, जिसे विपक्ष घोटाले के रूप में देख रहा हैं. वहीं, सीएम के जवाब को विपक्ष ने झूठा करार दिया और सदन से से वॉकआउट किया.