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विपक्ष ने कहा- प्रवर समिति को सौंपा जाए यूसीसी विधेयक, सत्ता पक्ष ने पीएम और सीएम को बताया भगीरथ

UCC Bill Uttarakhand मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने आज विधानसभा में 'समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक' पेश किया. जिस पर सदन में चर्चा हुई. चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने यूसीसी विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग की. वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने यूसीसी विधेयक को लेकर पीएम और सीएम की तुलना राजा भगीरथ से की.

Uttarakhand Assembly Special Session
उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 6, 2024, 9:25 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन के पटल पर 'समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक' को रखा. यूसीसी विधेयक को पटल पर रखने के बाद सदन के भीतर यूसीसी विधेयक पर चर्चा किया गया. सदन में यूसीसी विधेयक पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री ने तमाम बातों को रखा तो वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने यूसीसी पर कहा कि इसमें तमाम कमियां हैं. जिसके चलते इसे पारित न करके प्रवर समिति को सौंप देना चाहिए.

प्रेमचंद अग्रवाल ने पीएम और सीएम को बताया भगीरथ: सदन में चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यूसीसी में तमाम विसंगतियों को दूर करते हुए बड़ा प्रयास किया गया है. राजा भगीरथ जो गंगा को धरती पर लेकर आए थे, वैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम धामी यूसीसी को लेकर आए हैं. ये एक आदर्श के रूप में स्थापित होगा. संकल्प से सिद्धि तक का मूल मंत्र आज साकार हो रहा है.

उन्होंने कहा कि 20 महीने तक विशेषज्ञ समिति ने काम कर यूसीसी ड्राफ्ट तैयार किया है. अवगुण को गुण में परिवर्तन करने का काम सीएम धामी ने किया है. यूसीसी में पुत्र-पुत्री के अधिकारों में समानता की गई है. राम मंदिर के लिए साढ़े 500 साल का इंतजार और करीब साढ़े 4 लाख लोगों के बलिदान के बाद राम मंदिर बना है. वही, प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में कहा कि पहले हम जब श्री राम का नाम लेते थे तो पुलिस पकड़ती थी, लेकिन अब जब श्री राम का नाम लेते हैं तो सम्मान मिलता है.

स्वार्थ की बात होती तो यूसीसी बहुत पहले आ गया होता, लेकिन किसी स्वार्थ के चलते यूसीसी नहीं लाया गया. आरएसएस का मूल भाव है कि सनातनी परंपरा वापस आनी चाहिए, जो नष्ट हुई है. ऐसे में आरएसएस का जो भाव था, वो आज पूरा हो रहा है. इस यूसीसी में विवाह, तलाक, एडॉप्शन और संपत्ति में अधिकार मिलेगा. शादी के बाद रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद ही सरकारी लाभ मिलेगा.

इतनी जल्दबाजी क्या थी? लेना चाहिए था विपक्ष का सुझाव भी: वहीं, यूसीसी विधेयक पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि यूसीसी विधेयक का अध्ययन के लिए मात्र दो घंटे का समय दिया गया. इस विधेयक में 392 अनुच्छेद हैं. यूसीसी की ड्राफ्ट कमेटी में सभी धर्म गुरुओं को भी सदस्य के रूप में भी शामिल किया जाना चाहिए था. यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है, क्या ये विधि सम्मत है, अन्य राज्य इसे स्वीकार करेंगे.

उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने विधि आयोग का गठन किया है तो इतनी जल्दबाजी क्या थी कि राज्य सरकार यूसीसी ला रही है. संविधान निर्माताओं ने यूसीसी का भाग संविधान में रखा है. साल 1971 में कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यूसीसी को लागू करने के प्लान और मन बनाना होगा. ये पहल तो कांग्रेस ने बहुत पहले ही की थी.

यशपाल आर्य ने कहा कि कभी आमंत्रित नहीं किया गया, कभी सुझाव नहीं लिया गया, लेकिन अगर सुझाव लिया जाता तो निश्चित ही विपक्ष अपना सुझाव देती. यूसीसी में महिलाओं को व्यापक अधिकार दिया है, लेकिन अनुसूचित जनजाति को यूसीसी से बाहर किया गया है. इसका इस विधेयक में उल्लेख है, लेकिन अनुसूचित जनजाति को इस विधेयक से बाहर क्यों रखा गया है? अन्य राज्य से आने वाले लोगों का क्या होगा, क्या उन पर भी लागू होगा?

प्रवर समिति को भेजा जाए यूसीसी ड्राफ्ट: जब केंद्र सरकार ने विधि आयोग का गठन कर दिया है तो प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के क्या मायने हैं? सदन की कार्यवाही के दौरान प्रश्नकाल होनी चाहिए. क्योंकि, प्रदेश के तमाम ज्वलंत मुद्दे हैं. उन्होंने यूसीसी ड्राफ्ट को प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया. ताकि, यूसीसी की कमियों को दूर किया जा सके. साल 2016 में केंद्र सरकार ने जो विधि आयोग का गठन किया था, उसमें यूसीसी को लागू करना अव्यवहारिक बताया था.

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प्रेमचंद अग्रवाल ने पीएम और सीएम को बताया भगीरथ: सदन में चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यूसीसी में तमाम विसंगतियों को दूर करते हुए बड़ा प्रयास किया गया है. राजा भगीरथ जो गंगा को धरती पर लेकर आए थे, वैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम धामी यूसीसी को लेकर आए हैं. ये एक आदर्श के रूप में स्थापित होगा. संकल्प से सिद्धि तक का मूल मंत्र आज साकार हो रहा है.

उन्होंने कहा कि 20 महीने तक विशेषज्ञ समिति ने काम कर यूसीसी ड्राफ्ट तैयार किया है. अवगुण को गुण में परिवर्तन करने का काम सीएम धामी ने किया है. यूसीसी में पुत्र-पुत्री के अधिकारों में समानता की गई है. राम मंदिर के लिए साढ़े 500 साल का इंतजार और करीब साढ़े 4 लाख लोगों के बलिदान के बाद राम मंदिर बना है. वही, प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में कहा कि पहले हम जब श्री राम का नाम लेते थे तो पुलिस पकड़ती थी, लेकिन अब जब श्री राम का नाम लेते हैं तो सम्मान मिलता है.

स्वार्थ की बात होती तो यूसीसी बहुत पहले आ गया होता, लेकिन किसी स्वार्थ के चलते यूसीसी नहीं लाया गया. आरएसएस का मूल भाव है कि सनातनी परंपरा वापस आनी चाहिए, जो नष्ट हुई है. ऐसे में आरएसएस का जो भाव था, वो आज पूरा हो रहा है. इस यूसीसी में विवाह, तलाक, एडॉप्शन और संपत्ति में अधिकार मिलेगा. शादी के बाद रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद ही सरकारी लाभ मिलेगा.

इतनी जल्दबाजी क्या थी? लेना चाहिए था विपक्ष का सुझाव भी: वहीं, यूसीसी विधेयक पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि यूसीसी विधेयक का अध्ययन के लिए मात्र दो घंटे का समय दिया गया. इस विधेयक में 392 अनुच्छेद हैं. यूसीसी की ड्राफ्ट कमेटी में सभी धर्म गुरुओं को भी सदस्य के रूप में भी शामिल किया जाना चाहिए था. यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है, क्या ये विधि सम्मत है, अन्य राज्य इसे स्वीकार करेंगे.

उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने विधि आयोग का गठन किया है तो इतनी जल्दबाजी क्या थी कि राज्य सरकार यूसीसी ला रही है. संविधान निर्माताओं ने यूसीसी का भाग संविधान में रखा है. साल 1971 में कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यूसीसी को लागू करने के प्लान और मन बनाना होगा. ये पहल तो कांग्रेस ने बहुत पहले ही की थी.

यशपाल आर्य ने कहा कि कभी आमंत्रित नहीं किया गया, कभी सुझाव नहीं लिया गया, लेकिन अगर सुझाव लिया जाता तो निश्चित ही विपक्ष अपना सुझाव देती. यूसीसी में महिलाओं को व्यापक अधिकार दिया है, लेकिन अनुसूचित जनजाति को यूसीसी से बाहर किया गया है. इसका इस विधेयक में उल्लेख है, लेकिन अनुसूचित जनजाति को इस विधेयक से बाहर क्यों रखा गया है? अन्य राज्य से आने वाले लोगों का क्या होगा, क्या उन पर भी लागू होगा?

प्रवर समिति को भेजा जाए यूसीसी ड्राफ्ट: जब केंद्र सरकार ने विधि आयोग का गठन कर दिया है तो प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के क्या मायने हैं? सदन की कार्यवाही के दौरान प्रश्नकाल होनी चाहिए. क्योंकि, प्रदेश के तमाम ज्वलंत मुद्दे हैं. उन्होंने यूसीसी ड्राफ्ट को प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया. ताकि, यूसीसी की कमियों को दूर किया जा सके. साल 2016 में केंद्र सरकार ने जो विधि आयोग का गठन किया था, उसमें यूसीसी को लागू करना अव्यवहारिक बताया था.

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