रायपुर: विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान खुद अमित शाह ने कहा था कि आने वाले दो सालों में नक्सली पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे. आतंक के अंत को लेकर सालों से हर सरकार अपने अपने दावे कर रही है. बीजेपी की सरकार में नक्सलवाद के खात्मे को लेकर कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार नक्सलवाद के अंत के लिए नई रणनीति के तहत काम भी कर रही है. एक दो घटनाओं को छोड़ दें तो नक्सली संगठन पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुके हैं. अमित शाह छत्तीसगढ़ दौरे पर इस रणनीति को आगे बढ़ाने पर बड़ी बैठक करने वाले हैं.
नक्सलवाद के खात्मे के लिए अमित शाह की बड़ी बैठक: एंटी नक्सल ऑपरेशन को और तेज करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ दौरे पर आने वाले हैं. अमित शाह नक्सलवाद के खात्मे और उसपर बन रही रणनीति को लेकर बड़ी बैठक करेंगे. शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह रायपुर पहुंचेंगे. बैठक में सात राज्यों के डीजीपी सहित सीएस भी मौजूद रहेंगे. बैठक में नक्सल ऑपरेशन को और तेज करने पर चर्चा की जाएगी. बैठक को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
नक्सलवाद के खात्मे को लेकर दावा: सरकार का दावा है कि पूर्ववर्ती सरकार के 5 साल में नक्सलियों के खिलाफ इतनी तेज कार्रवाई नहीं की गई. पुरानी सरकार की तुलना में वर्तमान भाजपा सरकार ने अपने छह महीनों में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया. बीते छह महीनों में सबसे ज्यादा एनकाउंटर और सरेंडर नक्सलियों के हुए. बड़ी संख्या में माओवादियों की गिरफ्तारी भी नई सरकार के कार्यकाल में हुई. नक्सलवाद के खात्मे के लिए ग्रामीणों का भरोसा जीतने की भी सरकार पूरी कोशिश कर रही है. नए नए अभियान लॉन्च किए जा रहे हैं.
क्या कहते हैं नक्सल एक्सपर्ट: नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा भी ये मानती हैं कि ''पिछले पांच साल और अभी के 6-7 महीने में बड़ा अंतर फोर्स के एक्शन में नजर आया''. ईटीवी भारत से एक्स्क्लूसिव बातचीत में कहा कि ''नई सरकार आने के बाद नक्सलवाद के खात्मे के लिए सरकार ज्यादा प्रभावी ढंग से काम कर रही है. नई रणनीतियों को लेकर आगे बढ़ रही है. सरकार सरेंडर और खात्मे के दोनों रास्तों पर आगे बढ़ रही है. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई है.''
''नक्सलियों की सरकार घेराबंदी भी कर रही है और समर्पण की नीति पर भी आगे बढ़ रही है. समर्पण नीति के तहत अब सरेंडर करने वाले माओवादी जहां चाहें वहां पुनर्वास कर सकते हैं. उनको आजीवका का साधन भी मुहैया कराया जाएगा. पहले की पुनर्वास नीति को सरकार ने बदल दिया है. सरेंडर करने वाले नक्सली चाहें तो अपने परिवार के साथ भी रह सकते हैं या फिर उनको अपने साथ रख सकते हैं. रोजगार के लिए कम दरों पर लोन भी उनको मुहैया कराया जाएगा''. - वर्णिका शर्मा, नक्सल एक्सपर्ट
सरकार की नई नीति से बैकफुट पर आए नक्सली: नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा ये मानती हैं कि ''नक्सली समस्या के समाधान के लिए सरकार समानांतर रणनीति के तहत काम कर रही है. सरकार की नई रणनीति का ग्राउंड लेवल पर बड़ा असर भी दिखाई दे रहा है''. वर्णिका शर्मा ये मानती हैं कि ''आने वाले समय में कितने वक्त में ये समस्या खत्म हो जाएगी कहना मुश्किल है. पर इतना जरुर है कि इस समस्या का अंत सामाजिक सहभागिता से ही हो सकता है.''