कांकेर : बस्तर के धुर नक्सल क्षेत्रों में फोर्स ने कैंप स्थापित किए थे. इन क्षेत्रों के नक्सल मुक्त होने के बाद कैंप को आगे के इलाकों में शिफ्ट किया गया.ऐसे में जो कैंप फोर्स ने बनाएं थे वो वीरान हो गए.लेकिन जिला प्रशासन की पहल पर इन कैंपों में आश्रमों का संचालन शुरु किया गया.जिसमें अब आसपास के गांव के बच्चे आकर ना सिर्फ रहते हैं.बल्कि बच्चों को पढ़ाई भी करवाई जा रही है.
बीएसएफ कैंप में आश्रम का संचालन : ऐसा ही आश्रम कांकेर के अंतागढ़ क्षेत्र के बोदानार और कढ़ाई खोदरा गांव में संचालित है. जहां BSF कैम्प में स्कूल और आश्रम संचालित हो रहा है. एक समय था जब यह इलाका नक्सलियों का गढ़ था.यहां रोजाना बड़ी नक्सली वारदात होती थी. सड़क और पुल निर्माण के दौरान बाधा पहुंचाई जाती थी. इसी के कारण BSF ने यहां कैम्प खोला. नक्सल विरोधी अभियान चलाएं. इसी का नतीजा है कि अब ये क्षेत्र नक्सल मुक्त हो गया है. क्षेत्र में शांति आ गई है. उत्तर बस्तर में ये दो ही कैम्प में स्कूल आश्रम संचालित नही हो रहा बल्कि भानुप्रतापपुर के भैसाकन्हार गांव में स्थित BSF कैम्प खाली होने के बाद वहां भी स्कूल संचालित हो रहा है.
बोदानार कैंप में पढ़ रहे बच्चे : अंतागढ़ क्षेत्र के बोदानार में 2016 में BSF कैम्प की स्थापना की गई. फरवरी 2023 में कैम्प खाली हो गया और दूसरे जगह स्थानांतरित किया गया. अभी यहां वर्तमान में डेढ़ साल से प्री मैट्रिक छात्रवास संचालित हो रहा है. जहां वर्तमान में कक्षा 6वीं से 12वीं तक के कुल 75 छात्र रहते हैं.बोदानार के आश्रम अधीक्षक सुकलाल नौगो ने बताया कि उनके संज्ञान में आया कि कैम्प खाली हो रहा है. इसके बाद उच्च अधिकारियों ने चर्चा की गई. पहले के छात्रावास में बहुत सी खामियां थी. जिसके बारे में बताया गया. इसलिए प्रशासन की पहल से यहां आश्रम संचालित होने लगा.
''पहले इस क्षेत्र में नक्सलियों का बहुत दहशत था. उपद्रव मचाते थे. लेकिन बीएसएफ कैम्प के आने के बाद से इस क्षेत्र में शांति आई. अब किसी प्रकार का कोई घटना नहीं होता.बीएसएफ जवानों के कैम्प में जो बंकर थे, अब छात्रों के रहने का साधन बन गया है. किचन से लेकर प्ले ग्राउंड और किचन गार्डन तक छात्र लाभ ले रहे हैं.'' सुकलाल नौगौ, आश्रम संचालक
कढ़ाई खोदरा में 2015 में कैंप खुला : अंतागढ़ क्षेत्र के ही कढ़ाई खोदरा में 2015 में कैम्प स्थापित किया गया था. जहां 2023 में कैम्प को दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया. यहां भी स्कूल संचालित किया जा रहा है. कढ़ाई खोदरा स्कूल में 33 छात्र हैं, जिनमें 16 लड़कियां हैं, जो कक्षा 9वीं और 10वीं में पढ़ती हैं. वहीं भानुप्रतापपुर क्षेत्र के भैसाकन्हारगांव (क) में 2019-20 में कैम्प का स्थपना किया गया था. जहां 2024 में कैम्प अन्यत्र स्थापना किया गया उसके बाद खाली पड़े कैम्प में प्रशासन ने स्कूल संचालित कर रही है.
वहीं इस बारे में कांकेर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने बताया कि कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित सुदूर अंचल के क्षेत्र जहां नक्सली गतिविधियों का शिकार हुआ करते थे. लेकिन अब इन इलाकों में शांति और अमन स्थापित हो रहा है.
''जहां शांति स्थापित हो रही है वहां के कैम्प को हटा कर नक्सलियों के कोर क्षेत्र माड़ में स्थापित किए जा रहे हैं. खाली पड़े कैम्पों में छात्रवास और स्कूल संचालित किए जा रहे हैं.खास बात ये है कि जो भी कैम्प बनते हैं.वहां इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे वाशरूम जैसी सुविधाएं रहती हैं. उसे छात्रवास और स्कूली बच्चे लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं.''- नीलेश क्षीरसागर, कलेक्टर
कांकेर जिले में कई क्षेत्र अब नक्सलमुक्त हो चुके हैं.इन इलाकों में बसे कैंप आज भी हैं.जिनका इस्तेमाल आने वाली पीढ़ी को साक्षर बनाने के लिए किया जा रहा है. प्रशासन की योजना है कि जिन जगहों पर अभी कैंप हैं, वो जब भविष्य में खाली होंगे तो वहां भी स्कूल और आश्रम संचालित किए जाएंगे.